DMK ने 10 साल बाद तमिलनाडु विधानसभा चुनाव जीता, AIADMK को हराया
नव॰, 24 2025
DMK ने 2 मई 2021 को घोषित नतीजों के साथ तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में AIADMK को 10 साल बाद हराकर सत्ता पर लौट आया। चुनाव 6 अप्रैल को एक ही चरण में हुआ था, जिसमें 234 विधानसभा क्षेत्रों में 6.3 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया। वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू हुई, जिसमें कोविड-19 के नियमों के तहत सख्त सुरक्षा व्यवस्था की गई। DMK गठबंधन ने 126 सीटें जीतीं और 7 और सीटों पर अग्रणी था, जबकि AIADMK केवल 66 सीटों पर रह गया। इस जीत के साथ तमिलनाडु में एक नई राजनीतिक धारा शुरू हुई — जहां दो दशकों से अधिक समय तक या तो DMK या AIADMK ही सत्ता में रहे हैं।
जयललिथा और करुणानिधि के बाद राजनीतिक खालीपन
यह चुनाव पहली बार था जब तमिलनाडु में एक विधानसभा चुनाव उन दो अद्वितीय नेताओं के बाद हुआ, जिन्होंने राज्य की राजनीति को आकार दिया — J Jayalalithaa (2016 में निधन) और M Karunanidhi (2018 में निधन)। उनके अंत के बाद, AIADMK में नेतृत्व का खालीपन था, और DMK को एक नए नेता के साथ नई पहचान बनानी पड़ी। M K Stalin, जो करुणानिधि के बेटे थे, ने अपने पिता के राजनीतिक विरासत को अपनाया और एक नए पीढ़ी के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने चुनावी अभियान में बेरोजगारी, जल आपूर्ति और स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता दी — विषय जो AIADMK सरकार के खिलाफ लंबे समय से आवाज उठ रही थीं।
AIADMK की हार के कारण: BJP से जुड़ाव और वोटर थकान
AIADMK को उसके BJP के साथ गठबंधन की वजह से नुकसान हुआ। DMK ने इसे “केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में” कहकर वोटरों को चेतावनी दी। जबकि BJP ने राज्य में केवल 4 सीटें जीतीं, लेकिन उसका राष्ट्रीय दृष्टिकोण तमिलनाडु के लोगों को असहज कर रहा था। विशेष रूप से उत्तरी और पश्चिमी तमिलनाडु में, जहां BJP का प्रभाव अधिक था, वहां भी DMK के समर्थन में बदलाव आया। निर्णायक बात यह थी कि AIADMK के नेता अपने वादों को पूरा करने में असमर्थ रहे — जैसे कि राज्य के गांवों में बिजली और पानी की समस्या, या उद्योगों में नौकरियों की कमी।
सीटों का वितरण: DMK गठबंधन की जीत का विस्तृत चित्र
DMK गठबंधन के अंतर्गत Congress ने 25 में से 12 सीटें जीतीं, Pattali Makkal Katchi (PMK) ने 10 सीटें जीतकर अपनी पारंपरिक जनआधार को बरकरार रखा। BJP ने अपने चुनावी अभियान के बावजूद केवल 4 सीटें हासिल कीं, जो उनके 2019 के लोकसभा प्रदर्शन (38/39 सीटें) के मुकाबले बहुत कम था। एक अन्य रोचक बात यह थी कि Kamal Haasan, जिन्होंने अपनी नई पार्टी Makkal Needhi Maiam के साथ चुनाव लड़ा, उनके चुनावी क्षेत्र कोमल रहे — उन्हें कोयम्बटूर दक्षिण से हार मिली।
AIADMK के नेताओं का अंतिम संघर्ष
हालांकि AIADMK को समग्र रूप से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कुछ नेताओं ने अपने अपने क्षेत्रों में मजबूत जीत दर्ज की। Edappadi K Palaniswami, जो राज्य के मुख्यमंत्री थे, अपने एडप्पाड़ी विधानसभा क्षेत्र में 25,000 मतों के अंतर से जीते — यह उनकी तीसरी लगातार जीत थी, लेकिन उनकी सबसे कम जीत का अंतर था। O Panneerselvam, जो उपमुख्यमंत्री थे, बोधिनयकानूर से 11,029 मतों के अंतर से जीते। ये दोनों नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अपने व्यक्तिगत प्रभाव को बरकरार रखने में सफल रहे, लेकिन राज्य के स्तर पर उनकी पार्टी का विश्वास टूट गया।
प्रशासनिक तैयारी: कोविड के बीच चुनाव का आयोजन
चुनाव आयोग ने लगभग 89,000 मतदान केंद्र तैयार किए, ताकि सामाजिक दूरी का पालन हो सके। अंतिम घंटे को कोविड संक्रमित मतदाताओं के लिए आरक्षित किया गया। यह भारत में एक अद्वितीय व्यवस्था थी, जिसने चुनाव को निष्पक्ष और सुरक्षित बनाया। वोटिंग की अधिकतम सांख्यिकीय भागीदारी 75.5% रही — जो इस राज्य के इतिहास में सबसे अधिक थी।
अगला कदम: DMK की नई सरकार की चुनौतियां
चुनाव के तुरंत बाद, DMK के जनरल सेक्रेटरी Durai Murugan ने नए विधायकों की बैठक चेन्नई में पार्टी कार्यालय में बुलाई। M K Stalin ने घोषणा की कि 2 मई के बाद राज्य में कोई लॉकडाउन नहीं होगा — उन्होंने कहा, “मैंने बहुत सारे वादे किए हैं, अब काम शुरू करना होगा।” उनकी सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं: बेरोजगारी का समाधान, नदियों के जल स्तर को बहाल करना, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, और AIADMK के दौर में बनाए गए बड़े निर्माण परियोजनाओं का निरीक्षण।
ऐतिहासिक संदर्भ: DMK और AIADMK का सदियों का राजनीतिक युद्ध
1967 के बाद से तमिलनाडु में कोई भी अन्य पार्टी सरकार नहीं बना पाई। DMK ने 1967, 1971, 1989, 1996 और 2006 में सत्ता हासिल की। AIADMK ने 1977, 1980, 1984, 1991, 2011 और 2016 में जीत दर्ज की। यह दोनों पार्टियां द्रविड़ आंदोलन की विरासत से जुड़ी हैं, लेकिन अब वे अपने नेतृत्व, विचारधारा और गठबंधनों के आधार पर अलग-अलग रास्ते अपना रही हैं। DMK अब लोकतांत्रिक और समाजवादी नारे लेकर आगे बढ़ रही है, जबकि AIADMK ने केंद्रीय सत्ता के साथ गठबंधन के जरिए अपनी पहचान बदल दी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
DMK की जीत का मुख्य कारण क्या था?
DMK की जीत का मुख्य कारण AIADMK के BJP के साथ गठबंधन के खिलाफ चलाया गया अभियान था। मतदाताओं ने यह महसूस किया कि AIADMK अब केंद्रीय सरकार के निर्देशों का पालन कर रही है, जबकि DMK ने राज्य के स्वायत्त अधिकारों की बात की। इसके अलावा, बेरोजगारी, जल संकट और स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के वादे भी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
AIADMK के नेता Edappadi K Palaniswami ने अपनी सीट जीती, लेकिन फिर भी पार्टी हारी — क्यों?
Edappadi K Palaniswami अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रिय थे, लेकिन राज्य के अधिकांश हिस्सों में AIADMK की लोकप्रियता गिर चुकी थी। उनके नेतृत्व के तहत राज्य के विकास के वादे पूरे नहीं हुए, और BJP के साथ जुड़ाव ने द्रविड़ आंदोलन के आधार पर बनी विश्वास को नुकसान पहुंचाया। उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता पार्टी के समग्र असफलता को नहीं रोक सकी।
DMK की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
DMK के सामने सबसे बड़ी चुनौती है — वादों को पूरा करना। उन्होंने निशुल्क दूध, निशुल्क बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के वादे किए हैं। इन्हें पूरा करने के लिए राज्य के बजट में वृद्धि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए केंद्रीय सरकार से सहयोग या ऋण लेना पड़ सकता है।
क्या BJP को तमिलनाडु में भविष्य है?
BJP के लिए तमिलनाडु में भविष्य अभी भी अनिश्चित है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 38/39 सीटें जीतीं, लेकिन 2021 में केवल 4 सीटें मिलीं। इसका कारण है — उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा और तमिल संस्कृति के साथ असंगति। अगर वे स्थानीय समस्याओं को नहीं समझेंगे, तो उनका राजनीतिक प्रभाव बहुत कम रहेगा।
2026 के चुनाव में क्या अपेक्षा है?
2026 के चुनाव में DMK को अपने वादों के प्रतिफल के आधार पर जांचा जाएगा। अगर उन्होंने आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया, तो वे दूसरी बार भी सत्ता में रह सकते हैं। वहीं, AIADMK को अपनी पहचान फिर से बनानी होगी — BJP से दूरी बनाकर और द्रविड़ विरासत को फिर से अपनाकर।

jay mehta
नवंबर 24, 2025 AT 23:00अरे भाई, DMK ने जीत ली! ये तो तमिलनाडु की जिंदगी का नया अध्याय है! जयललिथा और करुणानिधि के बाद ये बदलाव जरूरी था! अब तो सिर्फ वादे ही नहीं, काम दिखाने होंगे! अब दूध, बिजली, पानी-सब कुछ फ्री होगा? बस थोड़ा और देख लेते हैं! 😄
Amit Rana
नवंबर 26, 2025 AT 21:41DMK के नेतृत्व में एक नई पीढ़ी आ गई है। म.क. स्टालिन ने बहुत सारे युवाओं को जोड़ लिया। बेरोजगारी और स्वास्थ्य पर ध्यान देना सही था। AIADMK तो बस अपने नेताओं के नाम से चल रही थी। अब वो लोग जिन्होंने राज्य को बर्बाद किया, उनकी जगह नए लोग आए हैं। उम्मीद है ये बदलाव स्थायी होगा।
Rajendra Gomtiwal
नवंबर 27, 2025 AT 13:09BJP को यहां नहीं चाहिए। ये तमिऴनाडु की संस्कृति के खिलाफ है। तमिल भाषा, तमिल संस्कृति, तमिल गर्व-ये सब को उन्होंने नजरअंदाज किया। ये चुनाव एक राष्ट्रीयता के खिलाफ लड़ा गया था। DMK ने तमिलों की पहचान बचाई। बस अब ये नई सरकार भी देश के खिलाफ न बन जाए।
Yogesh Popere
नवंबर 29, 2025 AT 09:13अरे यार, AIADMK वाले तो बस अपने घर में बैठे रहे। किसी को बात नहीं की। बिजली नहीं, पानी नहीं, नौकरी नहीं। और फिर BJP के साथ जुड़ गए। तमिलों को ये नहीं चाहिए। DMK ने बस वो बात कही जो हर किसी के मन में थी। अब देखना होगा कि वो वादे पूरे कर पाते हैं या नहीं।
Manoj Rao
नवंबर 30, 2025 AT 20:40ये सब एक बड़ा राजनीतिक नाटक है। क्या आपने कभी सोचा कि ये चुनाव किसी बड़े बिजनेस ग्रुप के लिए तैयार किया गया है? DMK के नेता अब भी उन्हीं लोगों के लिए काम करेंगे-जिन्होंने उन्हें पैसे दिए। वो वादे? सिर्फ चुनावी चिल्लाहट। तमिलनाडु की आत्मा अभी भी उसी राजनीतिक जाल में फंसी है।
Alok Kumar Sharma
दिसंबर 1, 2025 AT 05:04AIADMK की हार तो बिल्कुल लायक थी। उन्होंने कुछ नहीं किया। बस नाम लेकर चले। और BJP के साथ जुड़ना? बेवकूफी। DMK ने बस वादा किया और जीत गया। अब देखना है कि वो वादा पूरा कर पाएंगे या नहीं।
Tanya Bhargav
दिसंबर 1, 2025 AT 12:55मैं तो बहुत खुश हूँ। ये जीत सिर्फ DMK की नहीं, तमिलनाडु की जनता की है। मेरी माँ ने कहा था, 'जब तक बिजली नहीं आएगी, तब तक नहीं जीतेगी ये पार्टी।' अब उसका वादा पूरा हो रहा है। उम्मीद है अब शिक्षा और स्वास्थ्य भी सुधरेगा।
Sanket Sonar
दिसंबर 2, 2025 AT 19:30वोटिंग पार्टिसिपेशन 75.5%-ये आंकड़ा बताता है कि लोग अब राजनीति में विश्वास कर रहे हैं। ये एक बड़ी बात है। DMK की जीत ने दर्शाया कि लोग व्यक्तिगत नेतृत्व से बेहतर नीतियों को चाहते हैं। अब ये नई सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाएगी या नहीं-ये अगले पांच साल बताएंगे।
pravin s
दिसंबर 4, 2025 AT 08:48क्या कोई जानता है कि DMK ने अपने वादों के लिए कितना बजट बनाया है? मैंने सुना है कि निशुल्क दूध के लिए 12,000 करोड़ लगेंगे। क्या ये संभव है? क्या केंद्र से सहयोग मिलेगा? ये सब जानना चाहूंगा।
Bharat Mewada
दिसंबर 6, 2025 AT 03:03इतिहास में तमिलनाडु की राजनीति द्रविड़ आंदोलन के आधार पर बनी है। DMK और AIADMK दोनों इसी विरासत के बेटे हैं। अब AIADMK ने राष्ट्रवाद की ओर मुड़ने की गलती की। DMK ने अपनी जड़ों को बरकरार रखा। ये जीत सिर्फ चुनाव की नहीं, बल्कि संस्कृति की जीत है।
Ambika Dhal
दिसंबर 7, 2025 AT 14:11इतनी जीत के बाद भी लोग भूल जाते हैं कि DMK भी बर्बादी का हिस्सा रहा है। 2006 में उन्होंने क्या किया? बस फैलाव और भ्रष्टाचार। अब वो वापस आए हैं। इस बार भी वो लोगों के पैसे खा जाएंगे। ये चक्र तो बंद नहीं होगा।
Amita Sinha
दिसंबर 9, 2025 AT 03:25मैंने तो बस एक बार वोट दिया था… अब भी उसी ने जीत दिलाई! 😭❤️ DMK के लिए धन्यवाद! अब मेरी बहन को भी निशुल्क दूध मिलेगा! बस एक बात-मुझे तो अभी भी बिजली नहीं मिली थी अपने घर में! अब तो आएगी ना? 🙏
Bhavesh Makwana
दिसंबर 11, 2025 AT 01:18ये जीत एक नई उम्मीद का प्रतीक है। AIADMK के नेता अपने निर्वाचन क्षेत्र में जीते, लेकिन पार्टी हार गई। ये बताता है कि लोग अब नेता के नाम से नहीं, बल्कि नीति के आधार पर वोट दे रहे हैं। DMK को अब ये नीति बरकरार रखनी होगी। अगर वो ऐसा करेंगे, तो तमिलनाडु भारत का सबसे अच्छा राज्य बन सकता है।
Vidushi Wahal
दिसंबर 12, 2025 AT 10:28क्या कोई जानता है कि कमल हासन के लिए वोट किसने दिए? मैंने सुना था कि उनके लोग बहुत शिक्षित हैं। फिर भी वो हार गए। क्या इसका मतलब है कि तमिलनाडु की जनता अब नामी लोगों पर भरोसा नहीं करती? ये तो बहुत दिलचस्प है।
Narinder K
दिसंबर 14, 2025 AT 04:2375.5% वोटिंग… और BJP को सिर्फ 4 सीटें? ये चुनाव तो एक बड़ा फिल्म स्क्रिप्ट है। कोई नहीं जानता कि अगले पांच साल में क्या होगा। लेकिन एक बात तो पक्की है-AIADMK के लिए अब बहुत कुछ करना होगा।
Narayana Murthy Dasara
दिसंबर 15, 2025 AT 01:07ये चुनाव एक नई शुरुआत है। DMK के नेता ने युवाओं को सुना। AIADMK ने उन्हें नजरअंदाज किया। अब बारी है DMK की-वादों को पूरा करने की। अगर वो ऐसा करेंगे, तो तमिलनाडु न केवल भारत का नमूना बनेगा, बल्कि दुनिया के लिए भी एक उदाहरण बन जाएगा।