तमिलनाडु चुनाव एक ऐसा राजनीतिक घटनाक्रम है जो दक्षिण भारत की राजनीति को आकार देता है। तमिलनाडु चुनाव, तमिलनाडु विधानसभा के लिए मतदाताओं द्वारा चुने जाने वाले प्रतिनिधियों का चयन प्रक्रिया है, जो हर पाँच साल में होता है और राज्य के भविष्य की दिशा तय करता है। ये चुनाव सिर्फ एक राज्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के राजनीतिक नक्शे को भी प्रभावित करते हैं। यहाँ के मतदाता अपनी पार्टियों के प्रति बहुत लगाव रखते हैं, और इसी वजह से ये चुनाव देश के सबसे ज्यादा भागीदारी वाले चुनावों में से एक हैं।
अन्ना द्रमुक, तमिलनाडु में लंबे समय से शक्तिशाली राजनीतिक दल है, जिसकी नींव एम.जी. रामचंद्रन ने रखी और जिसने राज्य में भाषा, समाज और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर एक अलग पहचान बनाई है। इसके बाद भाजपा तमिलनाडु, केंद्रीय सरकार का एक हिस्सा होने के बावजूद, राज्य में अपनी जड़ें जमाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है, खासकर शहरी क्षेत्रों और युवाओं के बीच। दोनों पार्टियाँ अपने-अपने विचारधारा के साथ राज्य के विकास, शिक्षा और नौकरियों के मुद्दों पर लड़ती हैं। इनके अलावा, स्थानीय दल जैसे तमिलनाडु मुक्केल तिरुमन्नम और तमिलनाडु विजय चुनाव में भी अपना असर छोड़ते हैं।
चुनाव के दौरान भाषा का मुद्दा, जाति आधारित आरक्षण, और राज्य की आर्थिक स्वायत्तता जैसे विषय सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। यहाँ के मतदाता सिर्फ नेताओं की वादबाजी नहीं, बल्कि उनके कार्यक्रमों और राज्य के लिए उनकी योजनाओं को देखकर फैसला करते हैं। इसलिए तमिलनाडु चुनाव का नतीजा देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मापदंड बन जाता है।
इस पेज पर आपको तमिलनाडु चुनाव से जुड़े सभी बड़े घटनाक्रम मिलेंगे — जैसे कि विजेता दलों की सूची, मुख्यमंत्री के बदलाव, चुनावी जीत के आँकड़े, और उन पार्टियों के बारे में जानकारी जिन्होंने राज्य की राजनीति को बदल दिया। यहाँ आपको वो तथ्य मिलेंगे जिन्हें आप किसी और जगह नहीं पाएंगे — सटीक, सीधा, और बिना किसी बहाने के।
DMK ने 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में AIADMK को हराकर 10 साल बाद सत्ता पर लौट आया। M K Stalin के नेतृत्व में गठबंधन ने 126 सीटें जीतीं, जबकि AIADMK केवल 66 पर रह गई।
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