कभी सोचा है कि छोटी-छोटी घटनाओं में सही समय क्यों मायने रखता है? शादी, गृहप्रवेश, नया कारोबार या नामकरण—हर काम के लिए मुहूर्त देखना वैसा ही है जैसे मौसम के हिसाब से बीज बोना। यहाँ आप जल्दी और साफ़ तरीके से समझेंगे कि मुहूर्त कैसे चुनें और किन बातों का ध्यान रखें।
शुरू में सबसे जरूरी है पञ्चांग की पांच बातें: तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार। इसके अलावा राहुकाल, गुलिक, और चोगड़िया जैसी समय-विशेष जानकारी भी काम आती है। ये सब मिलकर तय करते हैं कि कोई समय शुभ है या नहीं। अगर आप जल्दी परिणाम चाहते हैं तो मोबाइल पर पञ्चांग ऐप खोलकर आज का तिथि और राहुकाल तुरंत देख लीजिए।
राहुकाल और गुलिक जैसे कालों में यात्रा या नया काम टालना बेहतर होता है। चोगड़िया आपको दिन के छोटे-छोटे हिस्सों में शुभ-अशुभ समय बता देता है—ये खासकर घर लौटने, यात्रा या नयी शुरुआत के लिए मददगार है।
शादी के लिए: लग्न का महत्व बढ़ जाता है। विवाह मुहूर्त में वधू-वधु की कुंडली का मेल, सही नक्षत्र और शुभ लग्न देखना चाहिए। शाम का समय कई बार अच्छा माना जाता है, पर सही कुंडली और पञ्चांग मिलाकर ही अंतिम निर्णय लें।
गृहप्रवेश और दुकान खोलना: घर में प्रवेश के लिए गोदाम या दुकान खोलने से पहले शुभ तिथि और समय चुनें, सुबह का शुभ समय या दोपहर के बाद का चोगड़िया अच्छा माना जाता है। नया कारोबार शुरू करते वक्त बुध और शुक्र की स्थिति भी देखी जाती है।
नामकरण, मुंडन या धार्मिक कार्य: छोटे पारिवारिक समारोहों के लिए नक्षत्र और तिथि प्राथमिकता में रहती है। रविवार-शुक्रवार जैसे दिन कुछ कामों के लिए बेहतर होते हैं, पर विशेष तिथि का महत्व ज़्यादा होता है।
त्वरित टिप: अगर समय सीमित है तो सुबह का पहला शुभ चोगड़िया या दोपहर बाद का सरल शुभ समय चुन लें और राहुकाल से बचें।
पंडित से सलाह कब लें? अगर शादी, संपत्ति या जीवन के बड़े फैसले हों तो कुंडली मिलाकर पंडित/ज्योतिष से सलाह लें। छोटे कामों के लिए आप भरोसेमंद ऑनलाइन पंचांग या मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
नज़र रखने योग्य गलतियाँ: सिर्फ दिन देखकर फैसला कर लेना, राहुकाल न देखना, और केवल हॉरоскоп के बिना पञ्चांग न देखना अक्सर गलत निर्णय बनाते हैं।
अंत में एक सरल नियम: मुहूर्त तभी काम आता है जब उसे सही जानकारी और व्यावहारिक फैसले के साथ जोड़ा जाए। आज का पञ्चांग देखिए, राहुकाल बचाइए, और ज़रूरत पर विशेषज्ञ की मदद लीजिए—फिर जो भी समय चुनें, मन शांत रहेगा और आयोजन ठीक चलेगा।
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है, जिन्हें समृद्धि और ब्रह्मांडीय ऊर्जा की देवी माना जाता है। माँ कुष्मांडा की पूजा करने से शक्ति, साहस और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन के शुभ मुहूर्त में पूजा करने से देवी की कृपा प्राप्त करने का विशेष महत्व है।
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