Shardiya Navratri: Maa Kushmanda पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri: Maa Kushmanda पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त अक्तू॰, 7 2024

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन: माँ कुष्मांडा की पूजा का महत्व

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित होता है, जो देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप के रूप में विद्यमान हैं। इनकी उपासना ब्रह्मांडीय ऊर्जा, समृद्धि और संपन्नता के लिए की जाती है। माँ कुष्मांडा के नाम में 'कु' का अर्थ है 'थोड़ा', 'उष्मा' का अर्थ है 'गर्मी' और 'अंड' का अर्थ है 'ब्रह्मांड'। इस प्रकार, उनका नाम ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसकी संपूर्णता की ओर संकेत करता है। यह दिन माता की कृपा से जीवन की विभिन्न कष्टकारी परिस्थितियों को पार करने की शक्ति प्रदान करता है।

माँ कुष्मांडा पूजा विधि

इस दिन की शुरुआत स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करने से होती है। माँ के सामने देसी घी का दीपक जलाया जाता है और माँ की प्रतिमा या चित्र पर सिंदूर, पुष्प, माला, मीठा पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पांच प्रकार के फल और मिष्ठान्न अर्पित किए जाते हैं। 'दुर्गा सप्तशती' का पाठ और दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है। इस दिन माखन की खीर और दही के रूप में माँ को भोग अर्पण किया जाता है। पूजन के बाद आरती की जाती है और फिर व्रत खोलकर सात्विक भोजन किया जाता है।

शुभ मुहूर्त

पूजा के लिए कुछ विशेष शुभ मुहूर्त होते हैं, जैसे ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:39 से 5:28 बजे), अभिजीत मुहूर्त (11:45 से 12:32 बजे), प्रातः संध्या (सुबह 5:03 से 6:17 बजे), अमृत काल (दोपहर 2:25 से 4:12 बजे), और विजय मुहूर्त (दोपहर 2:06 से 2:53 बजे)। इन मुहूर्तों में पूजा करके भक्त माँ की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

मंत्र और स्तुति

माँ कुष्मांडा के लिए मुख्य मंत्र है 'ॐ देवी कुष्मांडायै नमः' और स्तुति है 'या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।' इन मंत्रों के उच्चारण से भक्तों में सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक शक्ति का संचार होता है। यह मंत्र और स्तुति जीवन में समृद्धि और संतोष की प्राप्ति में सहायक होते हैं।

भोग और रंग

भोग के रूप में माँ कुष्मांडा को मालपुआ या हलवा अर्पण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन विशेष प्रसाद को अर्पित करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि और संपन्नता आती है। इस दिन का रंग नारंगी होता है, जो जीवन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, और माँ की कृपा को आकर्षित करने के साथ-साथ इस दिन की भावना को सजीव बनाता है।

माँ कुष्मांडा की पूजा से मिलने वाली आशीर्वाद जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। यह दिन हर व्यक्ति के जीवन में आंतरिक ज्ञान और बाह्य सुख-संपन्नता को लाने का काम करता है। भक्तों को इसकी विधिवत पूजा से न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक जीवन में भी लाभ मिलता है। इस विशेष दिन पर माँ की कृपा के माध्यम से हमें मिलती है ऊर्जा और उत्साह की नई दिशा।

व्रत और अर्चना के लाभ

माँ कुष्मांडा की पूजा और व्रत के अनेक लाभ बताए गए हैं। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति विधिपूर्वक इनकी पूजा करता है, उसे देवी दुर्गा की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है। यह अनुकंपा जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति और सफलता की राह खोलती है। माता की स्तुति और मंत्र के नियमित पाठ से मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक जागरण प्राप्त होता है।

इस प्रकार माँ कुष्मांडा की अर्चना न केवल भौतिक समृद्धि बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त करती है। यह समय सभी भक्तों के लिए आत्म-साक्षात्कार और divine connection की दिशा में बढ़ने का एक अवसर प्रदान करता है।