व्लादिमीर पुतिन नाम सुनते ही कई सवाल दिमाग में आते हैं — वे कौन हैं, उनका राजनैतिक सफर कैसा रहा और उनकी नीतियाँ दुनिया पर किस तरह असर डालती हैं? यहां आसान भाषा में वही बातें मिलेंगी जो तुरंत काम की और समझने में सीधी हों।
पुतिन ने 2000 में पहली बार रूस का राष्ट्रपति बनकर व्यापक पहचान पाई। 2008-2012 के बीच वे प्रधानमंत्री रहे, फिर फिर से राष्ट्रपति बने। उनकी शैली मजबूत केंद्रीकरण, सुरक्षा-परक नीतियों और राष्ट्रीय हित पर जोर देने वाली रही है। यह भी जानिए कि लोकप्रियता और आलोचना दोनों साथ-साथ रहती हैं — घरेलू स्तर पर कुछ लोग उन्हें स्थिरता का कारण मानते हैं, जबकि कई आलोचक स्वतंत्र मीडिया और विपक्ष पर पाबंदियों की चिंता जताते हैं।
पुतिन की विदेश नीति में रूस की प्रभावशाली भूमिका वापस लाने का मकसद साफ दिखता है। 2014 में यूक्रेन के कुछ हिस्सों का कब्जा और 2022 के बाद की घटनाओं ने यूरोप-यूएस के साथ रिश्तों पर गहरी छाप छोड़ी। इसके नतीजे में आर्थिक प्रतिबन्ध, ऊर्जा मार्गों पर ध्यान और सैन्य गतिविदियाँ तेज हुईं।
ये घटनाएँ सिर्फ राजनीतिक नहीं रहीं—त्योहार नहीं, आम लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर भी असर हुईं। तेल-गैस की आपूर्ति, वैश्विक खाद्य-दानों और ऊर्जा की कीमतें, निवेश का परिदृश्य — सब प्रभावित हुए। अगर आप जानना चाहते हैं कि किसी वैश्विक खबर का असर आपके बजट या नौकरी पर कैसे पड़ेगा, तो रूस की नीतियाँ समझना ज़रूरी है।
पुतिन का रूस अक्सर सुरक्षा और सामरिक शक्ति पर ज़ोर देता है। NATO के साथ तनाव, मध्य पूर्व और अफ्रीका में मिलकर काम करना, और चीन के साथ जुड़ाव—ये सब रणनीतिक फैसले हैं जिनका असर लंबी अवधि में दिखाई देता है।
यहाँ सीधे-सरल तरीके से कुछ बिंदु जो ध्यान देने योग्य हैं:
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रूसी अधिकारियों और टिप्पणीकारों ने हाल के अमेरिकी चुनावी हस्तक्षेप के आरोपों का मजाक उड़ाया। राष्ट्रपति पुतिन ने हंसी में कह दिया कि वो उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का समर्थन करेंगे। यह सब उस वक्त हुआ जब अमेरिकी न्याय विभाग ने रूसी राज्य संचालित प्रसारक RT पर अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।
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