रूसी अधिकारियों ने अमेरिकी चुनावी आरोपों का मजाक उड़ाया, पुतिन ने कमला हैरिस का समर्थन करने का मजाक किया
सित॰, 6 2024रूसी अधिकारियों की प्रतिक्रिया
रूस के अधिकारियों और सार्वजनिक मामलों के टिप्पणीकारों ने हालिया अमेरिकी चुनावी आरोपों का मजाक उड़ाते हुए एक खास अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया दी। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक आर्थिक मंच पर बात करते हुए मजाक में कहा कि वह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का समर्थन करेंगे। इस बयान पर पुतिन ने एक खास मुस्कान और उठी हुई भौंह के साथ संकेत दिया कि यह सब कुछ मजाक था।
यह प्रतिक्रिया अमेरिका द्वारा रूसी राज्य संचालित प्रसारक RT पर आरोप लगाने के बाद आई है। अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया कि RT ने अमेरिकी जनता पर राष्ट्रपति चुनाव के पहले एक गुप्त अभियान चलाया था। दो राज्य मीडिया कर्मचारियों पर आरोप लगाया गया, और 10 व्यक्तियों के साथ दो संस्थाओं को प्रतिबंधित किया गया। कई क्रेमलिन संचालित वेबसाइट्स को भी जप्त कर लिया गया।
पिछले आरोप
यह पहला अवसर नहीं है जब रूस पर अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया हो। 2016 के चुनावों से ही इस प्रकार के आरोप लगाए जा रहे हैं। क्रेमलिन ने हमेशा इन आरोपों को निराधार बताया है। इस बार भी, राष्ट्रपति पुतिन और अन्य रूसी अधिकारियों ने इन आरोपों को हंसी में उड़ा दिया।
RT की भूमिका
RT की प्रमुख, मारगारीता सिमोन्यान, जो अमेरिकी प्रतिबंधों का भी सामना कर रही हैं, ने सोशल मीडिया पर जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'उन्होंने 2016 से फोन किया और अपने सभी थके हुए क्लिच वापस चाहें।' सिमोन्यान को अमेरिकी कोषागार विभाग ने 'रूसी सरकारी दुर्भावनापूर्ण प्रभाव प्रयासों की एक केंद्रीय आंकड़ा' के रूप में वर्णित किया।
पुतिन की प्रतिक्रिया
प्रेसिडेंट पुतिन ने कहा कि जब उनके 'परिवारिक' राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पुनर्निर्वाचन के लिए अपनी बोली छोड़ दी और उनके समर्थकों को कमला हैरिस का समर्थन करने की सिफारिश की, तो रूस भी हैरिस का समर्थन करेगा। पुतिन के संवाद ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस मुद्दे को मजाक में ले रहे हैं और अमेरिका के आरोपों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
रूस की प्रतिशोधी प्रतिक्रिया
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे रूस में अमेरिकी मीडिया के खिलाफ प्रतिशोधी कदम उठाएंगे। अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में, रूस ने संकेत दिया कि वे अपने स्वयं के प्रतिबंध लगाएंगे और इस मुद्दे को आसान नहीं होने देंगे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि यह घटनाक्रम किस दिशा में ले जाता है और इससे दोनों देशों के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच इस प्रकार की तनावपूर्ण स्थिति लंबे समय तक बनी रह सकती है।