जब बात PM‑KUSUM, प्रमुख सरकारी पहल है जो किसानों को सौर ऊर्जा स्थापित करने में मदद करती है. इसे प्रधानमंत्री कुसुम योजना भी कहा जाता है, और यह ऊर्जा सुरक्षा, लागत बचत और पर्यावरणीय लाभ को जोड़ती है। साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा सूर्य, पवन आदि स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा और छत‑स्थ सोलर सिस्टम किसानों की छत पर स्थापित छोटे सौर पैनल भी इस योजना के कामकाज में अहम हैं। इस लेख में हम PM‑KUSUM की प्रमुख बातें स्पष्ट करेंगे, जिससे आप जल्दी समझ सकें कि यह आपके खेतों को कैसे बदल सकती है।
PM‑KUSUM का मुख्य लक्ष्य तीन चीजों पर केन्द्रित है: पहले, सौर पैनल की कीमत को 30% तक घटाना; दूसरा, छोटे किसानों को 20‑25% ऊर्जा बचत दिलाना; तीसरा, देश की नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को तेज़ करना। योजना के तीन भाग हैं – भाग A (कृषि जल पंप), भाग B (किराना मंडी/भुना‑भोजन केंद्र) और भाग C (छत‑स्थ सौर)। इनमें से प्रत्येक को अलग‑अलग सब्सिडी और ऋण सुविधा मिलती है। यहाँ एक स्पष्ट त्रिकोण बनता है: PM‑KUSUM योजना सौर पैनल की लागत को कम करती है, नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार इसे सुदृढ़ बनाता है, और छत‑स्थ सोलर सिस्टम किसानों को औसत 20% ऊर्जा बचत देता है। इस तरह का संबंध योजना को व्यावहारिक और आकर्षक बनाता है।
यदि आपके पास 1‑5 एकड़ जमीन है और आप खेती‑किसान हैं, तो आप भाग A या भाग B में आवेदन कर सकते हैं। पात्रता में केवल व्यक्तिगत दस्तावेज, जमीन का प्रमाण और मौजूदा बिजली बिल शामिल हैं। आवेदन प्रक्रिया डिजिटल है – किसान पोरटल पर फॉर्म भरें, आवश्यक कागजात अपलोड करें और फिर राज्य सरकार या केंद्रीय एजेंसियों की स्वीकृति का इंतजार करें। एक बार स्वीकृत हो जाने पर, बैंक या वित्तीय संस्थान से 80% तक सब्सिडी के साथ ऋण मिल जाता है। बाकी 20% को आप अपनी ही हिस्सेदारी से पूरा करते हैं, पर कई बार यह हिस्सा भी सरकारी प्रोत्साहन से घटाया जाता है। यह वित्तीय ढांचा योजना को सरल बनाता है, क्योंकि किसानों को उच्च प्रारम्भिक निवेश की चिंता नहीं रहती।
स्थापना के बाद, सोलर पैनल से उत्पन्न ऊर्जा सीधे पंप या रोशनी में उपयोग होती है, जिससे बिजली बिल में उल्लेखनीय गिरावट आती है। कई किसानों ने बताया कि उन्होंने पहले से 40% तक खर्च घटा लिया। साथ ही, लोड‑शेडिंग के समय भी उनका खेत बिना रुकावट के चल रहा है, जिससे फसलों की पैदावार में सुधार हुआ। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो हर पैनल से लगभग 1.5 टन CO₂ बचत होती है, ये आंकड़े राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी छाप छोड़ते हैं। इस प्रकार, PM‑KUSUM कृषि को ऊर्जा की दृढ़ नींव देता है और देश की जलवायु लक्ष्य में योगदान करता है।
आगे आप देखेंगे कि विभिन्न राज्यों ने इस योजना को कैसे लागू किया, किस तरह के तकनीकी साझेदार मौजूद हैं, और किसानों ने किन चुनौतियों का सामना किया। इन लेखों में हम केस स्टडी, सफलता कहानियाँ और विशेषज्ञों की राय को मिलाकर एक व्यापक तस्वीर पेश करेंगे, जिससे आप अपनी खेती में सौर ऊर्जा को आसानी से जोड़ सकें। अब आइए, इन जानकारियों को आपके लिये एकत्रित करते हैं, ताकि आप आगे के कदम स्पष्ट रूप से तय कर सकें।
25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में 1.22 लाख करोड़ रुपये मूल्य की कई विकास परियोजनाओं का शुभारम्भ किया। इसमें 42,000 करोड़ रुपये का परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट, 19,210 करोड़ रुपये के नवीकरणीय ऊर्जा उपाय और 20,830 करोड़ रुपये की जल सुरक्षा योजनाएँ शामिल हैं। साथ ही पीएम‑कुसुम के लाभार्थियों से संवाद कर ऊर्जा आत्मनिर्भरता पर बल दिया गया। दो वंदे भारत ट्रेनों को फ्लैग ऑफ किया और 15,000 सरकारी कर्मचारियों को नौकरी पत्र वितरित किए गए। यह दौरा राजस्थानी जनजिंदगी को नई दिशा देने का वादा ले कर आया।
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