माँ कूष्मण्डा नवरात्रि की चौथी देवी हैं। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी मुस्कान से सृष्टि की रचना की — इसलिए उन्हें ऊर्जा, जीवन और प्रकाश की देवी माना जाता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि माँ कूष्मण्डा का महत्व क्या है और उनकी साधारण पूजा कैसे करें, तो यह पेज आपके काम आएगा।
कूष्मण्डा का नाम तीन शब्दों से समझा जाता है: 'कु' (छोटा), 'उष्मा' (ऊर्जा/ताप) और 'अंड' (अंडा/सृष्टि) — मतलब छोटी सी मुस्कान से बनी बड़ी सृष्टि। वे जीवन-शक्ति और स्फूर्ति देती हैं। उनकी छवि में अक्सर उन्हें आठ से दस भुजाओं में दिखाया जाता है, जिनमें दीया, कमण्डलु, माला और हथियार होते हैं। वे सवेरा और उजाले की देवी भी मानी जाती हैं; इसलिए जो लोग नई शुरुआत चाहते हैं, वे उनकी पूजा करते हैं।
घर पर माँ कूष्मण्डा की छोटी पूजा आप आसानी से कर सकते हैं। नीचे सीधी और व्यावहारिक विधि दी जा रही है:
1) साफ स्थान चुनें: सुबह अलमारी या मंदिर में साफ कपड़ा बिछाएँ और तस्वीर या मूर्ति रखें।
2) दीप और धूप: एक छोटी दीपक में घी या तेल जलाएँ। अगर संभव हो तो धूप भी दें।
3) पुष्प और भोग: लाल या गेरुआ रंग के फूल दें। परंपरा में कद्दू (कुश्मान्डा) देना शुभ माना जाता है — इसलिए अगर मिल सके तो कद्दू का भोग रखें। मिठाई में गुड़-लड्डू या मिश्री रख सकते हैं।
4) मंत्र और आरती: मन शांत करके तीन बार नाम बोले — "ॐ कूष्माण्डायै नमः"। अगर आप चाहें तो कूष्माण्डा की छोटी आरती पढ़ें या कोई भक्ति गीत गा लें।
5) प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद घर के लोगों में बाँट दें और कुछ नज़दीकी परिजनों को भेंट करें।
यह विधि साधारण है और रोज़ी-रोज़ की ज़िंदगी में ऊर्जा और प्रेरणा के लिए काम आती है। कम समय में भी आप मन से आराधना कर सकते हैं।
क्या आप व्रत रखना चाहते हैं? नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मण्डा की पूजा करने वाले कई लोग एक दिन का उपवास रखते हैं या फल और दूध से ही भोजन करते हैं। व्रत रख रहे हों तो सुबह पूजा में विशेष ध्यान दें और धैर्य रखें।
माँ कूष्मण्डा की पूजा से मानसिक शक्ति, नई शुरुआत की प्रेरणा और स्वास्थ्य में सुधार की कामना होती है। अगर आप जीवन में नया काम शुरू करने जा रहे हैं या थकान-निराशा से बाहर आना चाहते हैं, तो उनकी साधारण भक्ति मददगार साबित हो सकती है।
अगर आप और जानकारी चाहते हैं — जैसे आरती का पाठ, विस्तृत मंत्र या पारंपरिक कथा — तो बताइए, मैं सरल भाषा में आगे की विधि और स्रोत साझा कर दूँगा।
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है, जिन्हें समृद्धि और ब्रह्मांडीय ऊर्जा की देवी माना जाता है। माँ कुष्मांडा की पूजा करने से शक्ति, साहस और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन के शुभ मुहूर्त में पूजा करने से देवी की कृपा प्राप्त करने का विशेष महत्व है।
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