लातूर, महाराष्ट्र का एक ऐसा जिला जहाँ सूखा, बाढ़ और भूस्खलन ने सदियों से लोगों की जिंदगी बदल दी है। यहाँ की जमीन रेतीली है, पानी कम है, और बारिश अनियमित। लेकिन इसी कठिनाई के बीच लातूर के लोग अपनी जिद्द से नए रास्ते बना रहे हैं। लातूर एक ऐसा स्थान है जहाँ आपदाएँ सिर्फ़ खबरें नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा हैं।
इस जिले के बारे में जब भी बात होती है, तो लोग बाढ़, मानसून के अनिश्चित आगमन के कारण होने वाली भारी बरसात और नदियों के बाहर निकलने की स्थिति की बात करते हैं। कई बार लातूर के आसपास के इलाकों में बारिश इतनी तेज़ होती है कि नदियाँ बाढ़ ला देती हैं, खेत बह जाते हैं, और घर बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में भूस्खलन, पहाड़ी इलाकों में मिट्टी और पत्थरों का अचानक नीचे गिरना भी एक बड़ी चुनौती बन जाता है। ये आपदाएँ न सिर्फ़ जान-माल की हानि करती हैं, बल्कि लातूर के विकास के रास्ते में भी बाधा बनती हैं।
लेकिन लातूर की कहानी सिर्फ़ आपदाओं की नहीं है। यहाँ के लोगों ने जल संकट के सामने अपनी जिद्द से नए तरीके अपनाए हैं। जल संग्रहण के लिए नहरें बनाई गईं, टैंक बनाए गए, और बारिश के पानी को जमा करने की व्यवस्था की गई। इसी तरह यहाँ के किसानों ने सूखे के दौर में भी फसल उगाने के लिए नए बीज और तकनीक अपनाई हैं। लातूर अब सिर्फ़ एक जिला नहीं, बल्कि एक ऐसा उदाहरण है जो दिखाता है कि कैसे एक जगह अपनी मुश्किलों को अपने तरीके से हरा सकती है।
इस पेज पर आपको लातूर से जुड़ी ताज़ा खबरें मिलेंगी — जहाँ बारिश के बाद बाढ़ का नुकसान कितना हुआ, कैसे सरकार ने राहत पहुँचाई, और कौन-से गाँव अभी भी पानी की तलाश में हैं। आप यहाँ लातूर के लोगों की लड़ाई, उनकी जीत और उनकी असफलताओं को भी देख पाएँगे। ये सभी खबरें आपको बताएँगी कि लातूर क्या है, और यहाँ क्या चल रहा है।
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