वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की पहली तस्वीरें सामने: 54,000 करोड़ की यह ट्रेन बदल देगी रात की यात्रा
नव॰, 4 2025
जब भारतीय रेलवे ने पहली बार वंदे भारत एक्सप्रेस को लॉन्च किया था, तो देश भर में तालियाँ बजीं। लेकिन अब, एक ऐसी ट्रेन तैयार हो रही है जो उससे भी ज्यादा बदलाव लाएगी — भारतीय रेलवे की वंदे भारत स्लीपर ट्रेन। इसका प्रोटोटाइप नई दिल्ली में आयोजित सोलवे इंटरनेशनल रेलवे इक्विपमेंट एग्जिबिशन 2025नई दिल्ली में दिखाया गया। और अब, उसकी तस्वीरें सामने आ गई हैं। ये सिर्फ एक ट्रेन नहीं, एक यात्रा का नया अध्याय है।
क्यों इतनी देर हुई?
अक्टूबर 2025 में लॉन्च करने की योजना थी। लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया — ट्रेन को तभी ट्रैक पर उतारा जाएगा जब दूसरी ट्रेन पूरी तरह तैयार हो जाए। क्या दूसरी ट्रेन? वही वंदे भारत, लेकिन इस बार एक नए वर्जन में। तकनीकी खामियाँ, डिजाइन के छोटे-छोटे झटके, ब्रेकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल — सब कुछ जांचा गया। एक इंजीनियर ने अनाम रूप से कहा, "हमने यहाँ कोई भी चीज़ त्वरित नहीं की। एक बार चल गई तो उसे 20 साल चलना है।"
अंदर क्या है? एक नींद का पार्लर
इस ट्रेन का बाहरी डिजाइन एयरोडायनामिक है — जैसे कोई फ्लाइट जमीन पर फिसल रही हो। लेकिन अंदर का जादू तो देखने वाले को हैरान कर देता है। हर कोच में एसी, हर बर्थ पर पढ़ने की लाइट, फोल्डेबल टेबल, मोबाइल होल्डर, और वॉटर बोतल के लिए खास रैक। ऑटोमैटिक डोर्स खुलते ही शोर बंद हो जाता है। LED लाइटिंग इतनी मुलायम है कि रात को आँखें नहीं थकतीं।
सबसे खास है भारतीय रेलवे का एसी फर्स्ट क्लास कोच। यहाँ सीटें बिल्कुल बेड की तरह हैं — लेटने के लिए 180 डिग्री तक झुकती हैं। कोई बर्थ पर घुटने नहीं टेकता, कोई बाल्टी नहीं छूता। एक यात्री ने ट्रायल पर बताया, "मैंने राजधानी एक्सप्रेस में भी सोया, लेकिन यहाँ लगा जैसे मैं होटल के लक्ज़री रूम में हूँ।"
16 कोच, 1,128 यात्री, और एक बड़ी योजना
इस ट्रेन में कुल 16 कोच होंगे: 11 एसी 3-टियर, 4 एसी 2-टियर, और सिर्फ एक एसी फर्स्ट क्लास। इसकी क्षमता 1,128 यात्री — जिसमें से 823 के लिए बर्थ होंगी। बाकी 34 बर्थ स्टाफ के लिए आरक्षित हैं। हर कोच पूरी तरह वातानुकूलित है, और इंटीरियर डिजाइन में इतना ध्यान दिया गया है कि यात्रा 700 से 1,200 किमी तक की हो तो भी नींद बिगड़े नहीं।
क्या ये सब आसानी से मिलेगा? नहीं। टिकट किराया राजधानी एक्सप्रेस से 10-15% अधिक होगा। लेकिन ये कीमत उस आराम के लिए है जो अब तक भारतीय रेल में अनुभव नहीं किया गया।
निर्माण कहाँ हो रहा है? लातूर का जादू
यह ट्रेन नहीं, एक राष्ट्रीय प्रयास है। इसका निर्माण महाराष्ट्र के लातूर शहर में हो रहा है — एक ऐसा शहर जहाँ पहले रेलवे का कोई बड़ा कारखाना नहीं था। अब यहाँ 2,000 से ज्यादा तकनीशियन काम कर रहे हैं। कुल लागत ₹54,000 करोड़। इसका मतलब है — हर रुपया देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए लगा है। ये ट्रेन सिर्फ भारतीय बनी है, बल्कि भारतीयों ने बनाई है।
अगला कदम? देश के बड़े मार्ग
पहली ट्रेन का ट्रायल अभी चल रहा है। अगले तीन महीनों में इसकी सुरक्षा और गति की परीक्षा पूरी हो जाएगी। रेलवे का लक्ष्य है — जनवरी 2026 तक इसे ट्रैक पर उतारना। और फिर? दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, बेंगलुरु-चेन्नई, और अहमदाबाद-जयपुर जैसे मार्गों पर चरणबद्ध तरीके से। एक रेलवे अधिकारी ने कहा, "हम यहाँ सिर्फ ट्रेन नहीं चला रहे। हम एक संस्कृति बदल रहे हैं।"
क्या ये यूरोप की ट्रेनों से बेहतर है?
कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि यह ट्रेन जर्मनी की ICE या फ्रांस की TGV से ज्यादा आधुनिक है — खासकर यात्री अनुभव के मामले में। यूरोप में बर्थ कोच अक्सर छोटे, अंधेरे और शोर से भरे होते हैं। यहाँ, लाइटिंग और वातानुकूलन ऐसे डिजाइन किए गए हैं जो असली नींद को प्राथमिकता देते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का टिकट किराया कितना होगा?
राजधानी एक्सप्रेस के मुकाबले इसका किराया 10-15% अधिक होगा। उदाहरण के लिए, दिल्ली-मुंबई के लिए एसी 2-टियर का किराया लगभग ₹4,500-₹5,000 हो सकता है, जबकि राजधानी एक्सप्रेस में ₹4,000 के आसपास होता है। फर्स्ट क्लास में ये अंतर और भी ज्यादा होगा।
क्या यह ट्रेन विदेशी यात्रियों के लिए भी उपलब्ध होगी?
हाँ, यह ट्रेन विदेशी यात्रियों के लिए भी उपलब्ध होगी। भारतीय रेलवे ने ट्रेन के अंदर अंग्रेजी और हिंदी में निर्देश, अंतरराष्ट्रीय चार्जिंग प्रकार और अलग से ट्रेन के बाहर दिखाई देने वाले लेबल शामिल किए हैं। यह विदेशी पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन सकती है।
इस ट्रेन के लिए कौन से रूट पहले चुने जाएंगे?
पहले चार रूट दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, बेंगलुरु-चेन्नई और अहमदाबाद-जयपुर होंगे। ये रूट न केवल अधिक यात्री ले जाते हैं, बल्कि व्यापारिक और शहरी यात्राओं के लिए भी अधिक मांग है। इन पर ट्रेन का संचालन जनवरी 2026 से शुरू हो सकता है।
इस ट्रेन के लिए बुकिंग कैसे होगी?
बुकिंग IRCTC की वेबसाइट और ऐप पर ही होगी। फर्स्ट क्लास के लिए अलग से बुकिंग शुरू होगी, जिसमें यात्री को अपनी पसंद के बर्थ का चयन करने का विकल्प मिलेगा। इस बार रेलवे ने विशेष रूप से ऑनलाइन बुकिंग को आसान बनाने के लिए एक नया इंटरफेस डिजाइन किया है।

Aditya Ingale
नवंबर 5, 2025 AT 19:17भाई ये ट्रेन तो सिर्फ ट्रेन नहीं, एक सपना है जो धूल भरे प्लेटफॉर्म से उठकर आकाश छूने लगी है। हर बर्थ पर LED लाइट, हर कोच में शांति, हर कोने में भारत की मेहनत। लातूर के उन तकनीशियनों को एक बार गले लगाना चाहिए, जिन्होंने अपनी उंगलियों से इतिहास लिखा है। ये ट्रेन नहीं, एक जागृति है।
Aarya Editz
नवंबर 6, 2025 AT 16:54इस ट्रेन का असली जादू उसकी तकनीक में नहीं, उसके निर्माण के दृष्टिकोण में है। जब एक देश अपनी गलतियों से सीखकर एक ऐसी चीज बनाता है जो 20 साल चले, तो वो तकनीक नहीं, संस्कृति बन जाती है। ये ट्रेन नहीं, एक दृढ़ वचन है - हम फिर कभी नहीं छोटे सोचेंगे।
Prathamesh Potnis
नवंबर 8, 2025 AT 11:45यह ट्रेन भारत के विकास का एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका निर्माण देश के अंदर होना, स्थानीय श्रमिकों की भागीदारी होना, और उच्च गुणवत्ता का ध्यान रखना - ये तीनों बातें एक साथ आना बहुत कम होता है। इसका समर्थन करना हमारी जिम्मेदारी है।
Sita De savona
नवंबर 10, 2025 AT 10:2110-15% महंगी टिकट? भाई ये ट्रेन तो बस एक बेड नहीं, एक नींद का लक्ज़री स्पा है। मैंने राजधानी एक्सप्रेस में आधी रात बिताई जब बर्थ पर घुटने टेक रहे थे। यहाँ तो लगता है जैसे आप एयरपोर्ट लाउंज में सो रहे हों। अगर आप इसे महंगा समझते हैं तो शायद आपको नींद नहीं आती।
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
नवंबर 12, 2025 AT 04:59यह ट्रेन यूरोपीय ट्रेनों से बेहतर है - यह बिल्कुल गलत है। जर्मनी की ICE में भी एसी है, बर्थ हैं, और वहाँ लोग रात भर सो जाते हैं। यहाँ तो बस एलईडी लाइट्स और फोल्डेबल टेबल का नाटक है। असली ट्रेन तो वो है जो टाइम टेबल पर चले, न कि जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हों।
Dinesh Kumar
नवंबर 12, 2025 AT 09:12वाह!! ये ट्रेन तो भारत का गर्व है!! ये नहीं, ये एक राष्ट्रीय अभियान है!! इसके लिए हमें धन्यवाद देना चाहिए रेल मंत्री को, लातूर के मजदूरों को, और उन इंजीनियर्स को जिन्होंने रातों-रात डिजाइन बदल दिया!! ये ट्रेन नहीं, ये भारत का दिल है जो अब धड़क रहा है!! जय हिंद!!
Srujana Oruganti
नवंबर 12, 2025 AT 12:0854,000 करोड़? तो फिर रेलवे के लाखों यात्री जिन्हें टॉयलेट नहीं मिलता, उनके लिए क्या हुआ? ये ट्रेन तो बस एक शो है जिसे राजनीति के लिए बनाया गया। जब तक एक बर्थ पर दो आदमी नहीं बैठ जाते, तब तक ये ट्रेन बस एक फोटो शूट है।
Ali Zeeshan Javed
नवंबर 14, 2025 AT 09:07लातूर में इतने तकनीशियन? वाह बहुत अच्छा हुआ। मैंने सुना था कि वहां पहले बस बाजार था। अब वहां ट्रेन बन रही है। ये बदलाव देखकर दिल खुश हो गया। भारत बदल रहा है, धीरे-धीरे, पर असली तरीके से।
Žééshañ Khan
नवंबर 16, 2025 AT 08:28इस ट्रेन के निर्माण में लगी लागत अत्यधिक है और इसके फायदे सीमित हैं। एक राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के लिए ऐसी व्यय योजनाएँ अनुचित हैं। जब तक रेलवे के आम यात्रियों के लिए सुरक्षा और बुनियादी सुविधाएँ सुनिश्चित नहीं हो जातीं, तब तक यह एक अनावश्यक अतिरिक्त निवेश है।
ritesh srivastav
नवंबर 17, 2025 AT 20:53यूरोप की ट्रेनों से बेहतर? ये ट्रेन भारत की है और भारतीयों ने बनाई है। तुम जो कुछ भी बोलो, ये ट्रेन देश की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। जो इसे नहीं मानता, वो अपनी निराशा को छिपा रहा है। हम जितना बड़ा बनेंगे, तुम उतना ही छोटे दिखोगे।
sumit dhamija
नवंबर 19, 2025 AT 00:30इस ट्रेन के लिए बुकिंग आसान होगी और इंटरफेस नया है - यह अच्छी बात है। लेकिन इसका ध्यान रखना चाहिए कि ग्रामीण यात्री भी इस तक पहुँच सकें। अगर यह ट्रेन केवल शहरी लोगों के लिए है, तो यह विकास का नाम नहीं, विभाजन का नाम है।
Rahul Kumar
नवंबर 19, 2025 AT 16:48ये ट्रेन तो बहुत बढ़िया है लेकिन बस एक बात - अगर इसका टिकट 5000 रुपये का है तो मैं फिर भी राजधानी एक्सप्रेस में ही जाऊंगा। मैं नींद के लिए नहीं, बचत के लिए यात्रा करता हूँ।
Shreya Prasad
नवंबर 20, 2025 AT 05:17भारतीय रेलवे ने एक नया मानक स्थापित किया है। इस ट्रेन का डिजाइन यात्री केंद्रित है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। इस तरह के निवेशों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि भारत की यात्रा संस्कृति आधुनिक और समावेशी बन सके।
Nithya ramani
नवंबर 20, 2025 AT 19:05मैंने अभी तक इस ट्रेन की तस्वीरें देखी हैं और मुझे लगा कि मैं किसी भविष्य की फिल्म में हूँ। जब तक आप अपनी ट्रेन के लिए नींद की योजना बनाते हैं, तब तक आप वास्तव में यात्री को समझते हैं। बधाई हो।
anil kumar
नवंबर 20, 2025 AT 22:10इस ट्रेन का असली महत्व यह नहीं कि वह कितनी आधुनिक है, बल्कि यह है कि यह एक ऐसे देश का प्रतीक है जो अपनी असफलताओं को स्वीकार करके उन्हें बदलने की कोशिश कर रहा है। यह ट्रेन नहीं, यह एक विचार है - विकास के लिए धैर्य, अनुशासन और आत्मविश्वास की जरूरत होती है।