कैंसर: संकेत, पहचान और क्या करें

कैंसर नाम सुनते ही डर लगता है, पर समय पर जानकारी और चेकअप से बहुत कुछ बदला जा सकता है। अगर आप जानते हैं कि किस चीज़ पर ध्यान देना है, तो बीमारी की पहचान जल्दी हो सकती है और इलाज सफल रहने की संभावना बढ़ जाती है। नीचे आसान भाषा में बताता/बती हूँ कि कौन-से संकेत देखें, कैसे रोकें और डॉक्टर से क्या उम्मीद रखें।

कैंसर के आम लक्षण और कब डॉक्टर के पास जाएं

कैंसर के लक्षण कई बार सामान्य शिकायतों जैसे थकान या वजन घटने से मिलते-जुलते लगते हैं। फिर भी कुछ संकेत हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए: बिना वजह लगातार वजन कम होना, अनियमित खून का बहना, घाव जो ठीक नहीं हो रहे, नयी गांठ या सूजन, पाचन में बदलाव या लगातार खांसी।

यदि ये लक्षण दो-तीन हफ्तों से अधिक बने रहें तो डॉक्टर से मिलें। खासकर यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर रहा हो, तो आप और सतर्क रहें। देर मत कीजिए — शुरुआती जाँच अक्सर निदान और इलाज दोनों को आसान बना देती है।

रोकथाम, स्क्रीनिंग और इलाज — आसान कदम

रोकथाम में रोज़मर्रा की छोटी आदतें बड़ी मदद कर सकती हैं। तंबाकू और शराब से बचें, संतुलित खाना खाइए, नियमित व्यायाम करें और वजन नियंत्रित रखें। धूप में सही समय पर सनस्क्रीन लगाना और अनावश्यक पराबैंगनी संपर्क से बचना त्वचा कैंसर के जोखिम घटाता है।

स्क्रीनिंग जांचें समय पर कराना बेहद जरूरी है। उदाहरण के लिए स्तन कैंसर के लिए मैमोग्राफी, गर्दन के कैंसर के लिए पैप स्मीयर या HPV जांच, और कोलन कैंसर के लिए कालोनोस्कोपी जैसी जाँचें उम्र और जोखिम के आधार पर सुझाई जाती हैं। अपने परिवार के डॉक्टर से पूछें कि आपको कौन-सी स्क्रीनिंग कब करानी चाहिए।

इलाज अब कई प्रकार से होता है: ऑपरेशन, रेडिएशन, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और लक्षित दवाइयां। सही योजना रोग के प्रकार, स्टेज और मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है। यह आम तौर पर मल्टीडिसिप्लिनरी टीम बनाकर तय की जाती है — सर्जन, ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट और नर्सें मिलकर निर्णय लेते हैं।

डॉक्टर के पास जाने पर आप अपने लक्षण, परिवार का इतिहास और किसी भी टेस्ट की रिपोर्ट साथ रखें। सवाल पूछने से हिचकिचाएँ नहीं — जैसे इलाज के फायदे, साइड-इफेक्ट्स, और जीवनशैली में क्या बदलाव चाहिए।

एक मिथक यह है कि कैंसर=मौत। सही समय पर पहचान और आधुनिक इलाज से कई कैंसर ठीक हो जाते हैं या लंबा कंट्रोल में रहते हैं। मानसिक समर्थन भी ज़रूरी है—परिवार, काउंसलिंग और रोगियों के समूह मदद करते हैं।

अगर आप चिंतित हैं तो छोटी-छोटी जाँचें करवा लें। देर करने से बेहतर है कि एक बार चेकअप करवा कर मन शांत कर लें। स्वास्थ्य ही असली निवेश है—नियमित स्क्रीनिंग और अच्छी आदतें आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा हैं।

महान क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड़ का 71 वर्ष की आयु में कैंसर से निधन

महान क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड़ का 71 वर्ष की आयु में कैंसर से निधन

भारतीय पूर्व क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड़ का बुधवार को कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ते हुए निधन हो गया। वे 71 वर्ष के थे। गायकवाड़ ने भारत के लिए 40 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले थे। वे भारतीय टीम के कोच भी थे और 2000 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में टीम को रनर-अप तक पहुंचाया था।

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