GST सुधार – नई नीति, बदलाव और असर

जब हम GST सुधार, वित्तीय वर्ष 2025‑26 में लागू होने वाले कर ढांचे का अद्यतन है. इसे अक्सर सेकंड स्टेज GST भी कहा जाता है, और इसका लक्ष्य कर बोझ कम करना, सरकार की राजस्व स्थिरता बढ़ाना और व्यवसायों के लिए सरल प्रक्रिया बनाना है।

GST सुधार और उसके मुख्य घटक

GST सुधार का सबसे बड़ा उप‑घटक GST 2.0, नई कर दर संरचना और डिजिटल compliance टूल्स को शामिल करने वाली संस्करण है। यह भाग कर दरों को दो‑तीन स्लैब में समेटता है, जिससे छोटे व्यवसायों को 5% पर, मध्यम वर्ग को 12% पर, और बड़े उद्योगों को 18% पर कर देना होगा। इसके अलावा, GST 2.0 इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइसिंग को अनिवार्य बनाता है, जिससे कर चोरी में काफी कमी आती है। एक और महत्वपूर्ण साइड‑इफ़ेक्ट है महिंद्रा, भारतीय ऑटोमोटिव निर्माण कंपनी पर। जब GST 2.0 ने SUV और हल्के वाणिज्यिक वाहनों की कर दर घटाई, तो महिंद्रा की कीमतें 1.56 लाख रुपये तक गिर गईं। इससे न केवल कंपनी की बिक्री में इजाफा हुआ, बल्कि सामान्य उपभोक्ता को भी सस्ती कारें मिलने लगीं। इस प्रकार, GST सुधार सीधे‑सीधे ऑटो बाजार को आकार देता है। GST सुधार का एक और पहलू 'उपभोक्ता मूल्य पर असर' है। जब कर दरें घटती हैं, तो व्यापारियों को अतिरिक्त मार्जिन नहीं जोड़ना पड़ता, इसलिए अंतिम कीमतें क्लाइंट के लिए कम रहती हैं। उदाहरण के तौर पर, महिंद्रा के SUVs पर 13% तक बचत का मतलब है कि वही मॉडल अब पहले से सस्ते में उपलब्ध है, जिससे मध्यम वर्ग के घरों में कार खरीदना आसान हो जाता है। यही कारण है कि कई उपभोक्ता फोरम GST सुधार को लेकर उत्साहित हैं। इन सभी बिंदुओं को जोड़ते हुए, हम कह सकते हैं कि "GST सुधार" कर नीति में परिवर्तन को समेटता है, "GST 2.0" तकनीकी साधन लेकर आता है, और महिंद्रा जैसी कंपनियों के मूल्य‑निर्धारण पर सीधा प्रभाव डालता है। यह त्रिकोणीय संबंध (GST सुधार ➔ GST 2.0 ➔ महिंद्रा) दर्शाता है कि नीति, तकनीक और उद्योग कैसे एक दूसरे को सुदृढ़ करते हैं। अब आप इस पेज पर नीचे दी गई सूची में विभिन्न लेख और समाचार देखेंगे, जिनमें GST सुधार के विभिन्न पहलुओं—जैसे नई दरें, उद्योगों पर प्रभाव, उपभोक्ता लाभ, और सरकारी निगरानी—की विस्तृत चर्चा है। इन लेखों को पढ़कर आप समझ पाएँगे कि इस सुधार से आपका व्यक्तिगत खर्च या व्यवसायिक योजना कैसे बदल सकती है।

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