RBI ने अक्टूबर 2025 में रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखा, मुद्रास्फीति‑वृद्धि अनुमान अपडेट
अक्तू॰, 7 2025
जब संजय मल्होत्रा, गवर्नर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 1 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि मॉनेट्री पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट को 5.5% पर बरकरार रखा, तो बाजार की आँखे तुरंत ही इस संकेत पर टिक गईं कि आगे की नीति‑दिशा में क्या बदलाव आ सकते हैं। यह फैसला दो लगातार सत्रों में पहली बार कोई कटौती नहीं किया गया, और यह निर्णय तीन‑दिन की बैठक (29 सितंबर‑1 अक्टूबर) के बाद आया, जो RBI मॉनेट्री पॉलिसी कमेटी बैठक 2025नई दिल्ली में हुआ था।
पिछली पॉलिसी कदम और मौद्रिक माहौल
2025 की शुरुआत में RBI ने लगातार तीन बार कुल 100 बेसिस प्वाइंट की दर‑कटौती की थी – फरवरी, अप्रैल और जून में – जिससे रेपो रेट 6.5% से गिरकर 5.5% तक आया। इस तेज़ी को कई विशलेषकों ने ‘अस्थायी राहत’ माना, क्योंकि उसी वर्ष अंत में GST (वस्तु एवं सेवा कर) में व्यापक सुधार हुए, जिससे रोज़मर्रा के सामानों पर कर‑भार घटा। यह सुधार घरेलू कीमतों को दबाव में रखता रहा और महंगाई के आंकड़े धीरे‑धीरे कम होते दिखे।
एमपीसी की बैठक के मुख्य बिंदु
रेपो रेट का स्थिर रहना
बैठक के निष्कर्ष में यह स्पष्ट किया गया कि मौजूदा रेपो रेट को वैसा ही रखने से मूल्य‑स्थिरता तथा आर्थिक विकास दोनों को संतुलित करने की जगह मिलती है। हालांकि, दो सदस्य – डॉ. नगेश कुमार और प्रो. राम सिंह – ने कहा कि मौजूदा ‘न्यूट्रल’ स्टांस को ‘अकोमोडेटिव’ में बदलना चाहिए, क्योंकि आर्थिक संवर्धन के लिए और अधिक लिक्विडिटी की जरूरत है। फिर भी, बहुमत ने ‘न्यूट्रल’ ही चुना।
इन्फ्लेशन और जीडीपी पूर्वानुमान में बदलाव
एमपीसी ने FY26 के लिये CPI इन्फ्लेशन लक्ष्य को 4.5% से गिराकर 2.6% कर दिया। इस कटाव के पीछे गिरते खाद्य मूल्यों, GST सुधार के लाभ, पर्याप्त खाद्य स्टॉक और एक सुखद मॉनसून का योगदान है। साथ ही, Q1 FY26 में GDP वृद्धि 7.8% तक पहुँच गई, जिससे संपूर्ण FY26 की GDP अनुमान 6.8% (पहले 6.5% था) पर ऊपर जा गया। Q2 के लिये 7.0% की प्रोजेक्शन भी दी गई।
वैश्विक और घरेलू कारक जो निर्णय को आकार देते हैं
अमेरिकी टैरिफ और ट्रम्प की नीतियां
अब थोड़ी देर पहले, डोनाल्ड ट्रम्प, अमेरिकी राष्ट्रपति, ने आवश्यक वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए। ये टैरिफ भारत के एक्सपोर्ट‑उन्मुख सेक्टर, विशेषकर फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल पर प्रभाव डाल सकते हैं। RBI ने इस अनिश्चितता को “दूसरे आधे FY25‑26 में वृद्धि को धीमा कर सकता है” बताया, जिससे नीति‑निर्धारण में सावधानी बरतनी पड़ेगी।
GST सुधार और घरेलू नीतियां
GST में 2025 के शुरुआती महीनों में किए गए परिवर्तन ने कई रोज़मर्रा के वस्तुओं की दरें 5‑10% तक घटा दीं। इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर सकारात्मक असर पड़ा। साथ ही, सरकार ने अक्टूबर में CRR में कोई बदलाव नहीं किया, जबकि पहले वर्ष की शुरुआत में हल्की कटौती की गई थी—यह संकेत है कि मौद्रिक नीति में अब अधिक स्थिरता देखी जा रही है।
आगे क्या हो सकता है?
एमपीसी ने कहा कि वह “पिछले निर्णयों के प्रभाव को पूरी तरह से देखने” और “टैरिफ‑संबंधित अनिश्चितताओं के स्पष्ट होने” का इंतजार करेगा। इसका मतलब है कि अगले दो‑तीन महीनों में दर‑स्थिति में फिर से कोई बदलाव नहीं हो सकता, जब तक कि मुद्रास्फीति या विदेशी वाणिज्य में बड़ा झटका न आए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक व्यापार‑तनाव घटता है और घरेलू सुधार आगे बढ़ते हैं तो RBI अगली बैठक में दर को फिर से स्थिर रखने की संभावना है।
विशेषज्ञों की राय और बाजार की प्रतिक्रिया
मार्केट एनालिस्ट आर. के. सिंह, जो इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट में हैं, ने कहा, “RBI ने एक समझदारी भरा कदम उठाया है। इन्फ्लेशन में तेजी से गिरावट और बढ़ती ग्रोथ की संभावना को देखते हुए, मौजूदा रेपो रेट को बरकरार रखना निवेशकों को स्थिरता का संकेत देता है।” स्टॉक मार्केट में इस घोषणा के बाद Nifty 50 में लगभग 80 पॉइंट की सरपट वृद्धि देखी गई, जो निवेशकों के भरोसे को दर्शाती है।
मुख्य तथ्य
- रेपो रेट: 5.5% (स्थिर)
- मुख्य नीति दरें: बैंक रेट 5.75%, MSF 5.75%, SDF 5.25%
- FY26 CPI पूर्वानुमान: 2.6% (पहले ~4.5%)
- FY26 GDP अनुमान: 6.8% (पहले ~6.5%)
- प्रमुख बाहरी जोखिम: अमेरिकी टैरिफ, H‑1B वीजा शुल्क में बढ़ोतरी
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या रेपो रेट में आगे कटौती की संभावना है?
वर्तमान में RBI ने अगले दो‑तीन महीनों में कोई कटौती नहीं करने का संकेत दिया है। मुख्य कारण वैश्विक टैरिफ‑अनिश्चितता और अभी भी संभावित मूल्य‑स्थिरता जोखिम हैं। लेकिन अगर महंगाई लक्ष्य से नीचे गिरती रही और आर्थिक विकास गति पकड़ी, तो भविष्य में पुनः कटौती पर विचार किया जा सकता है।
GST सुधार का देश की महंगाई पर क्या असर रहा?
2025 के शुरुआती चरण में किए गए GST स्लैब परिवर्तन ने कई दैनिक वस्तुओं पर कर‑भार घटाया। इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में लगभग 0.4%-0.6% की कमी आई, जो इन्फ्लेशन लक्ष्य को हासिल करने में मददगार सिद्ध हुई है।
अमेरिकी टैरिफ का भारतीय एक्सपोर्ट्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ मुख्यतः एग्रो‑फ़ूड और फ़ार्मा सेक्टर को लक्षित हैं। इससे इन क्षेत्रों के निर्यात पर अल्पावधि में दबाव पड़ सकता है, जिससे विदेशी राजस्व घट सकता है और संभावित रूप से आर्थिक गति धीमी हो सकती है। RBI ने इसे एक जोखिम मानते हुए नीति‑स्थिरता पर ज़ोर दिया है।
CRR में बदलाव कब देखा गया और इसका क्या मतलब है?
2025 की शुरुआत में RBI ने CRR को 0.25% घटाकर बैंकों की लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कदम उठाया था। अक्टूबर में फिर से कोई बदलाव नहीं किया गया, जिसका मतलब है कि मौद्रिक प्रेशर अब अधिक स्थिर है और नीति‑निर्धारक अब बड़े‑पैमाने पर पुनः समायोजन नहीं करना चाहते।
MPC के कौन‑से सदस्य ने रेपो रेट को ‘अकोमोडेटिव’ कहा?
बैठक में दो सदस्य – डॉ. नगेश कुमार और प्रो. राम सिंह – ने सुझाव दिया कि मौजूदा न्यूट्रल स्टांस को अकोमोडेटिव में बदलना चाहिए, ताकि आगे के आर्थिक सुधारों को सहारा मिल सके। उनका मानना था कि वर्तमान मौद्रिक स्थिति को और लचीला बनाना आवश्यक है।

AMRESH KUMAR
अक्तूबर 7, 2025 AT 03:55देश की अर्थव्यवस्था के लिये RBI का ये कदम एकदम सही है! हमें इस पर गर्व महसूस करना चाहिए। रेपो रेट को स्थिर रखकर निवेशकों को भरोसा मिला है। आगे भी ऐसे ही फैसले चाहिए! 😊
Chirantanjyoti Mudoi
अक्तूबर 7, 2025 AT 09:28बाजार ने इस निर्णय को बहुत हद तक overreact किया है। वास्तविकता यह है कि अगर महंगाई कंट्रोल में है तो रेट को फिर नीचे लाना चाहिए। नहीं तो विकास की रफ़्तार धीमी पड़ जाएगी।
Surya Banerjee
अक्तूबर 7, 2025 AT 15:01भाइयों, मैं देख रहा हूँ कि कई लोग इसको लेकर बहुत टेंशन में हैं। लेकिन असल में RBI ने एक संतुलित फैसला किया है। हमको मैसूस नहीं होना चाहिए। थोड़ा धीरज रखो और देखो आगे क्या होता है।
Sunil Kumar
अक्तूबर 7, 2025 AT 20:35वाह, RBI ने फिर से “बिल्कुल सही” कहा और रेपो रेट को वही रखा। अब क्या उम्मीद करें? शायद अगली मीटिंग में वही सीन दिखेगा। तो चलो, हम सब रियलिटी शो देख रहे हैं। 🙃
Ashish Singh
अक्तूबर 8, 2025 AT 02:08सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद यह स्पष्ट होता है कि RBI ने एक अत्यंत विवेकपूर्ण निर्णय लिया है। इस स्थिरता के माध्यम से हम आर्थिक अनुशासन को मजबूती प्रदान कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय हित के अनिवार्य तत्व हैं। अतः इस नीति को पूर्ण समर्थन देना आवश्यक है।
ravi teja
अक्तूबर 8, 2025 AT 07:41देखो भाई लोग, अभी के लिए तो यही सही लगता है। बाजार में थोड़ा सुकून है, चलो इस पर भरोसा रखते हैं।
Vishal Kumar Vaswani
अक्तूबर 8, 2025 AT 13:15क्या हमें नहीं पता कि ये सब उल्टा पुल्टा प्लान है? अमेरिकी टैरिफ की छाया में सब कुछ बदल जाएगा। 👀🤔
Ashutosh Kumar
अक्तूबर 8, 2025 AT 18:48ये फैसला बिलकुल बेमानी है!
uday goud
अक्तूबर 9, 2025 AT 00:21आर्थिक नीति, विशेष रूप से रेपो रेट की स्थिरता, अक्सर अनजाने में कई गहराइयों को छूती है-जैसे कि निवेशकों का मन, उपभोक्ताओं की खपत, और अंततः राष्ट्रीय विकास की दिशा। यह एक जटिल समन्वय है, जहाँ प्रत्येक निर्णय का प्रभाव बहुआयामी होता है। इसलिए, इस तरह के कदम को हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि गहन विश्लेषण के साथ समझना चाहिए।
Harsh Kumar
अक्तूबर 9, 2025 AT 05:55RBI का यह निर्णय आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देता है, जिससे सभी वर्गों को लाभ मिलेगा। धन्यवाद, RBI! 👍
suchi gaur
अक्तूबर 9, 2025 AT 11:28इतना औपचारिक अंदाज़ कहाँ से आया? फिर भी, RBI की इस स्थिरता को सराहना चाहिए। 😊
Rajan India
अक्तूबर 9, 2025 AT 17:01सभी को नमस्ते, मैं तो बस देख रहा हूँ कि मार्केट कैसे रिएक्ट कर रहा है। चलिए, देखते रहेंगे।
Parul Saxena
अक्तूबर 9, 2025 AT 22:35सबसे पहले तो यह समझना आवश्यक है कि RBI ने इस निर्णय में किन बारीकियों को ध्यान में रखा है। रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखना न केवल मौद्रिक नीति की निरंतरता दर्शाता है, बल्कि यह बाजार में विश्वास को भी सुदृढ़ करता है। जब हम इस नीति को देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि महंगाई को लक्ष्य के भीतर रखना प्राथमिकता है। दूसरी बात, GDP की प्रोजेक्शन में सुधार दर्शाता है कि आर्थिक आधारशिला मजबूत हो रही है। इसका मतलब यह भी है कि निवेशक अब अधिक आशावादी हो सकते हैं। हालांकि, वैश्विक टैरिफ के कारण कुछ अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, जो संभावित जोखिम पैदा कर सकती हैं। फिर भी, RBI ने यह संकेत दिया है कि वह इन जोखिमों को भी निगरानी में रखेगा। तीसरी बात, GST सुधार ने वस्तु मूल्य में सुधार किया है, जिससे उपभोक्ता की खरीद शक्ति बढ़ी है। इस कारण से, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गिरावट देखी गई है। चौथी बात, मौद्रिक नीतियों में स्थिरता का अर्थ है कि बैंकों को लिक्विडिटी में अत्यधिक उतार-चढ़ाव नहीं देखना पड़ेगा। यह बैंकों को दीर्घकालिक योजना बनाने में मदद करता है। पांचवीं बात, यह निर्णय बाजार को एक स्पष्ट दिशा देता है, जिससे पूंजी प्रवाह स्थिर रहता है। छठी बात, इस नीति के साथ-साथ RBI ने कहा है कि वह आगे भी डेटा-ड्रिवेन फैसले लेगा। सातवीं बात, यह स्थिरता निजी सेक्टर के उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकती है। आठवीं बात, निर्यातकों को यह स्थिरता पसंद आएगी क्योंकि यह विदेशी मुद्रा में बचत पैदा कर सकती है। नौवीं बात, यह कदम वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने में मदद करेगा। दसवीं बात, आर्थिक विशेषज्ञों ने इस निर्णय की सराहना की है, जिससे नीति के प्रति सार्वजनिक विश्वास बढ़ा है। ग्यारहवीं बात, यह निरंतरता छोटे व्यवसायों को भी लाभान्वित करेगी। बारहवीं बात, इससे रोजगार सृजन में मदद मिल सकती है। तेरहवीं बात, इस नीति से भविष्य में संभावित मंदी के असर को कम किया जा सकता है। चौदहवीं बात, यह संकेत देता है कि RBI भविष्य में भी इस दिशा में कदम उठाएगा। पंद्रहवीं बात, अंत में, यह नीति पूरे आर्थिक तंत्र को संतुलित रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
jyoti igobymyfirstname
अक्तूबर 10, 2025 AT 04:08लो जी, क्या बकवास है! रेपो रेट वही है, पर लोग वही गुस्से में हैं। 🙈