क्या आपकी टीम की गेंदबाज़ी नियमित रूप से रन रोकने में ढीली पड़ जाती है? एक अच्छा गेंदबाजी कोच उन्हीं बुनियादी आदतों पर ध्यान देता है जो मैच में फर्क बनाते हैं — लाइन, लेंथ, गति कंट्रोल और मानसिक तैयारी। नीचे दिए गए अभ्यास सीधे मैदान पर लागू होते हैं और हर स्तर के गेंदबाज इस्तेमाल कर सकते हैं।
कोई भी सत्र बिना सही वॉर्म-अप के शुरू मत करें। 10 मिनट का हल्का रन, गतिशील स्ट्रेच और कंधे-ग्लोबल वर्क जरूरी है। पकड़ पर काम करें: पेसरों के लिए सीम की पकड़ और उंगलियों का दबाव, स्पिनरों के लिए अंगुलियों और कलाई का प्रयोग। हर अभ्यास के साथ छोटे-छोटे फीडबैक लूप बनाएं — खिलाड़ी खुद जाँच सके कि गेंद कहाँ जा रही है।
रिलीज़ पर फोकस रखें। गेंद छोड़ने का वक्त और उंगलियों की फीलिंग अक्सर उसी खिलाड़ी की टर्नअराउंड को तय कर देती है। कोच हमेशा बताएँ कि गेंद को किस दिशा में और कितने अंगुलियों के साथ छोड़ा गया। वीडियो रिव्यू से बहुत जल्दी गलत आदत पकड़ में आ जाती है।
ड्रिल 1 — लक्षित लेंथ बॉक्स: तीन निशानों वाला लेंथ बॉक्स बनाएं। हर गेंदबाज को 30 गेंदें उसी बॉक्स में फेंकनी होंगी। अंक दें — हर सटीक लेंथ पर 2, बाहर पर 0। इससे लेंथ की सटीकता बनती है।
ड्रिल 2 — गति और कंट्रोल: पेसरों के लिए रन-अप में वैरिएशन। 6-8 गेंदें फुल स्पीड, 6-8 बल्लींस ग्रैज़िंग स्पीड। गति कंट्रोल बेहतर होता है और बल्लेबाज की समझ धोखा खाती है।
ड्रिल 3 — स्पिनरों के लिए टार्गेटेड टिस्क: गेंद पर हथेली और उंगलियों की स्थिति बदल कर 40 गेंदें फेंकें — हर 10 गेंदों पर डॉक्यूमेंट करें कि किस वैरिएशन से कितनी रोटेशन आई।
ड्रिल 4 — मैच सिमुलेशन: विकेट-कीमती गेंदें बनाएं। हर टीम में 6–8 मैच सिचुएशन सेट करें (उदाहरण: 10 वें ओवर में 40 रन चाहिए)। गेंदबाजों को दबाव में गेंदबाज़ी करने की आदत बनेगी।
फिटनेस और रिकवरी भी बराबर जरूरी है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, कोर वर्क और रेगुलर आईसीई/स्ट्रेचिंग से चोटें घटती हैं। लोड मैनेजमेंट — खासकर युवा गेंदबाजों के लिए — सप्ताहवार पिचिंग काउंट को ट्रैक करें।
कोच के रूप में आप क्या करें? साफ़ निर्देश दें, छोटी-छोटी बातें सुधारें, और हर सत्र के आखिर में 2-3 सुधार बिंदु दें। वीडियो क्लिप दें ताकि खिलाड़ी घर पर भी देख सकें। मैच विश्लेषण पढ़ें — हमारी साइट पर मौजूद रिपोर्ट्स जैसे "IND vs PAK Champions Trophy 2025" और "विराट कोहली की वापसी वाले दिल्ली बनाम रेलवे रणजी" पढ़कर आप मैदान की स्थिति और बल्लेबाजी ट्रेंड को समझ सकते हैं।
अंत में, निरंतरता ही सबसे बड़ी चाबी है। रोज़ छोटे लक्ष्य रखें — लेंथ सुधारो, एक वैरिएशन पर महारत हासिल करो, या थ्रोइंग इकॉनमी घटाओ। छोटे सुधार मिलकर बड़े रिज़ल्ट लाते हैं।
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज मॉर्न मोर्कल को भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का गेंदबाजी कोच नियुक्त किया गया है। बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने उनकी नियुक्ति की पुष्टि की है। मोर्कल का कार्यकाल 1 सितंबर से शुरू होगा और उनकी पहली जिम्मेदारी बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज होगी, जो 19 सितंबर से शुरू होगी।
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