DMK: द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम क्या है, इसकी राजनीति और तमिलनाडु पर इसका प्रभाव

DMK, द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम, जो तमिलनाडु की सबसे लंबे समय तक चलने वाली और सबसे प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी है, जिसकी शुरुआत 1949 में एन. एम. रामाचंद्रन और सी. एन. अन्नादुराई ने की थी। इसे अन्नाद्रमुक भी कहा जाता है, और यह तमिल संस्कृति, भाषा और सामाजिक न्याय के लिए एक अद्वितीय आवाज़ रही है। यह पार्टी केवल राज्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति में भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।

DMK की नीतियाँ आम आदमी के लिए हैं—सब्सिडीयुक्त भोजन, मुफ्त बैग और जूते, लड़कियों के लिए शिक्षा का समर्थन, और राज्य के अंदर अनुसूचित जाति और वर्गों के लिए आरक्षण। यह पार्टी अक्सर केंद्र सरकार के साथ टकराती है, खासकर जब तमिलनाडु के हितों को खतरा महसूस होता है। इसकी नेतृत्व वाली वंशानुक्रमिक राजनीति भी अनोखी है—अन्नादुराई से लेकर मु. करुणानिधि, और फिर मु. कमलनाथ तक, जिन्होंने इसे एक लोकप्रिय आंदोलन से एक शक्तिशाली राजनीतिक संस्थान में बदल दिया।

तमिलनाडु के लोगों के लिए DMK सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि एक पहचान है। इसके नेता अक्सर भाषा के संरक्षण के लिए सड़क पर उतर आते हैं, और केंद्रीय सरकार के निर्णयों के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं। यही कारण है कि जब भी तमिलनाडु में कोई बड़ा विवाद उठता है—चाहे वह भाषा का हो, रेलवे का हो, या फिर केंद्रीय योजनाओं का—DMK का नाम जरूर आता है।

इस पेज पर आपको DMK से जुड़ी विभिन्न खबरें मिलेंगी—चाहे वो राजनीतिक बदलाव हों, नेताओं के बयान हों, या फिर राज्य में इसकी नीतियों का असर। आप देखेंगे कि कैसे यह पार्टी तमिलनाडु के आम आदमी की जिंदगी को बदल रही है, और भारत की राजनीति में इसकी अनोखी भूमिका क्या है।

DMK ने 10 साल बाद तमिलनाडु विधानसभा चुनाव जीता, AIADMK को हराया

DMK ने 10 साल बाद तमिलनाडु विधानसभा चुनाव जीता, AIADMK को हराया

DMK ने 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में AIADMK को हराकर 10 साल बाद सत्ता पर लौट आया। M K Stalin के नेतृत्व में गठबंधन ने 126 सीटें जीतीं, जबकि AIADMK केवल 66 पर रह गई।

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