क्या आप भी सोचते हैं कि चुनाव और ज्यादा पारदर्शी हो सकते हैं? चुनाव सुधार सिर्फ कानून बदलना नहीं, बल्कि प्रक्रियाओं को आसान, तेज और भरोसेमंद बनाना है। नीचे दिए गए सुझाव सीधे और लागू करने योग्य हैं — नीतियों की भाषाओं में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की सच्ची समस्याओं को हल करने के नजरिये से।
1. EVM के साथ VVPAT की व्यापकता और रैंडम काउंटर: हर बूथ पर VVPAT होना चाहिए और चुनाव के बाद कुछ रैंडम बूथों की मैन्युअल गिनती करनी चाहिए। इससे मशीन और पेपर का मिलान होगा और लोगों का भरोसा बढ़ेगा।
2. साफ़ और अपडेटेड मतदाता सूची: दशकों पुरानी घटिया सूचियों से गलतियाँ और डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन होते हैं। मोबाइल और वेब से आसान नाम-अपडेट, फोटो और पता सत्यापन, और समय-समय पर लोकल कैंप लगाकर सूची साफ रखनी चाहिए। पहचान का काम गोपनीय तरीके से होना चाहिए ताकि किसी की पर्सनल जानकारी रिस्क में न आए।
3. चुनावी वित्त पर कड़ा नियंत्रण: खर्च की रीयल‑टाइम रिपोर्टिंग, बड़े दानदाताओं की पारदर्शिता और नकदी पर सख्त रोक से अशुद्ध प्रभाव कम होगा। ऑनलाइन चुनावी खर्च की ऑडिटिंग और उल्लंघन पर जल्दी कार्रवाई जरूरी है।
4. सामाजिक मीडिया और फेक न्यूज की रोकथाम: चुनावी समय पर गलत खबरें तेजी से फैलती हैं। प्लेटफार्मों पर फास्ट‑ट्रैक रिपोर्टिंग, पैलिनिंग टीम और चुनाव आयोग के साथ कोऑर्डिनेशन से गलत सूचनाओं का असर घटाया जा सकता है।
5. उम्मीदवार पारदर्शिता: सभी उम्मीदवारों को प्रमाणित कर के संपत्ति, आपराधिक पृष्ठभूमि और शिक्षा की जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए और समय पर सत्यापन होना चाहिए। इससे वोटर को निर्णय लेने में मदद मिलती है।
बदलाव केवल कानूनों से नहीं आता — वोटर की भागीदारी से भी आता है। सबसे पहले अपने नाम और पते की सूची चेक कर लें। कोई गलती मिले तो तुरंत अपडेट कराएँ। दूसरे, स्थानीय चुनाव निगरानी समूहों से जुड़ें या मतदान के दौरान बूथ पर आने वाली अनियमितताओं की रिकॉर्डिंग और रिपोर्ट करें।
अगर कोई प्रत्याशी खुलकर खर्च का हिसाब नहीं देता, तो उस जानकारी को सोशल मीडिया और लोकल मीडिया में शेयर करें। छोटे सतर्क कदम जैसे मतदान दिन पर समय पर पहुंचना, पहचान और वोटर आईडी साथ रखना और आसपास के लोगों को भी वोट देने के लिए प्रेरित करना असर डालता है।
इन्हें अपनाकर चुनाव ज्यादा पारदर्शी और भरोसेमंद बनेंगे — और आपका वोट सचमुच मायने रखेगा। चुनाव सुधार की दिशा में हर छोटी पहल महत्वपूर्ण है।
1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार को 17 फरवरी 2025 को नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। उनका चयन नए अधिनियम के तहत किया गया, जिससे कई विवाद उठे। उनका कार्यकाल महत्वपूर्ण चुनावों के दौर में रहेगा।
आगे पढ़ें18 सितंबर, 2024 को, मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मंजूरी दी। इससे राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय चुनावों को एकसाथ आयोजित करने की संभावनाएँ बढ़ी हैं। यह बिल आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पहल के प्रबल समर्थक रहे हैं, जो चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाने और बार-बार चुनावों की आवृत्ति को कम करने का लक्ष्य रखती है।
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