समुद्र सिर्फ दिखने में खूबसूरत नहीं है — यह आज की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बन रहा है। ब्लू इकॉनमी का मतलब समुद्री संसाधनों का टिकाऊ उपयोग करके आर्थिक विकास, नौकरियां और समुद्री पारिस्थितिकी का संतुलन बनाना है। भारत के पास करीब 7,516 किमी की तटरेखा और 2.02 मिलियन वर्गकिमी का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) है — यानी मौके बहुत हैं, बस सही दिशा में काम करना होगा।
ये क्षेत्र सीधे आपके रोज़गार या व्यवसाय से जुड़ सकते हैं: मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर — ताजी मछली, झींगा और सी-फूड प्रोसेसिंग; समुद्री परिवहन और बंदरगाह — माल ढुलाई, लॉजिस्टिक्स, सागर्माला जैसे प्रोजेक्ट; समुद्री पर्यटन — समुद्री साहसिक खेल, होमस्टे व बोट टूर; समुद्री ऊर्जा — ऑफशोर विंड और टाइडल एनर्जी; समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी — सीवीड/सी-लिविंग उत्पाद, दवाइयाँ और बायोप्रॉडक्ट्स; समुद्री सुरक्षा और स्मार्ट सेंसिंग — समुद्री ड्रोन्स, सी-आईओटी।
हर क्षेत्र में छोटे-बड़े व्यापार और स्टार्टअप के मौके हैं। उदाहरण के लिए समुद्री फ्रीज लॉजिस्टिक्स या सी-फूड ब्रांड शुरू कर आप सीधे बाजार तक पहुंच सकते हैं।
ब्लू इकॉनमी में जोखिम भी हैं: अतिमछली पकड़ना, समुद्री प्रदूषण, तटीय कटाव और जलवायु परिवर्तन। टिकाऊ प्रथाओं और तकनीक से इन पर काबू पाया जा सकता है। ठंडा-श्रृंखला (cold chain) बढ़ाइए, लाइसेंस और नियमों की जानकारी रखिए, और समुदायों को शामिल कीजिए। सरकार के PMMSY (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) जैसे प्रोग्राम छोटे मछुआरों और प्रोसेसर्स के लिए मदद देते हैं; सागर्माला आधुनिक बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स पर काम कर रहा है।
नोट: हर नया कदम नियामक मंजूरी, पर्यावरण प्रभाव और स्थानीय समुदाय की स्वीकृति पर निर्भर करता है — ये तीनों देखें।
अगर आप रोजगार या बिजनेस के मौके ढूंढ रहे हैं तो ये छोटे-छोटे कदम करें: स्थानीय मछुआरे और को-ऑप से बात करें, छोटे प्रोटोटाइप बनाकर मार्केट टेस्ट करें, और नाविक/मरीन ट्रेनिंग कोर्स जॉइन करें। तकनीक से जुड़ना है तो ड्रोन, GIS, और आईओटी सिखें — ये समुद्री निगरानी और लॉजिस्टिक्स में बहुत काम आते हैं।
नागरिक क्या कर सकते हैं? प्लास्टिक कम करें, समुद्र तट साफ रखें, स्थायी मछली का चुनाव करें और स्थानीय समुद्री जीवन के संरक्षण के प्रयासों में हिस्सा लें। छोटे बदलाव बड़े फर्क डालते हैं।
ब्लू इकॉनमी में पैसा ही नहीं, लगातार काम और नई जानकारियाँ हैं। आप चाहे विद्यार्थी हों, उद्यमी हों या सिर्फ एक जानकरी रखने वाला नागरिक — समुद्र से जुड़ा अवसर ढेर हैं। अब सवाल बस ये है: आप कौन सा कदम उठाएंगे?
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता की, जिसमें रक्षा संबंधों को बढ़ाने, आतंकवाद पर सहयोग, और सीमा प्रबंधन पर चर्चा की गई। वार्ता में आर्थिक साझेदारी, डिजिटल और ऊर्जा संपर्क, और पर्यावरणीय मुद्दों पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
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