PM नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने रक्षा, ब्लू इकॉनमी और आतंकवाद पर द्विपक्षीय बैठक में की चर्चा

PM नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने रक्षा, ब्लू इकॉनमी और आतंकवाद पर द्विपक्षीय बैठक में की चर्चा जून, 22 2024

नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी और पीएम शेख हसीना की महत्वपूर्ण बैठक

नई दिल्ली में हाल ही में एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भाग लिया। इस वार्ता में दोनों नेताओं ने अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, जो दोनों देशों के बीच के संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बना सकते हैं।

रक्षा में सहयोग और आतंकवाद से निपटने पर ध्यान

बैठक के दौरान, रक्षा संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। दोनों देशों ने रक्षा उत्पादन में सहयोग और आतंकवाद से निपटने के लिए मिलकर काम करने पर जोर दिया। आतंकवाद एक बड़ा खतरनाक मुद्दा है जो संपूर्ण दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करता है। इसलिए, दोनों देशों ने इस दिशा में एक संयुक्त रणनीति विकसित की।

सीमा प्रबंधन और क्षेत्रीय सहयोग

भारत और बांग्लादेश की साझा सीमा के प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया गया। सीमा प्रबंधन के मुद्दे, सीमा पार पारवहन, और अनियमित गतिविधियों पर नियंत्रण के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी पर भी चर्चा हुई जिससे दोनों देश अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर विकास कर सकें।

महत्वपूर्ण परियोजनाओं की फेहरिस्त

बैठक ने उन महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने पर भी बात की, जो दोनों देशों के विकास की दिशा में अहम साबित हो रही हैं। इनमें गंगा नदी पर विश्व की सबसे लंबी नदी क्रूज सेवा की शुरुआत, पहला सीमा पार मैत्री पाइपलाइन, और भारतीय ग्रिड के माध्यम से नेपाल से बांग्लादेश को बिजली का निर्यात शामिल है। यह परियोजनाएं दोनों देशों के बीच की साझेदारी और विश्वास को दर्शाती हैं।

आर्थिक साझेदारी और ऊर्जा जुड़ाव

दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर चर्चा को शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। इसके साथ ही डिजिटल और ऊर्जा के जुड़ाव पर भी बात की गई जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे को मजबूत बना सके। डिजिटल कनेक्टिविटी और ऊर्जा सेक्टर में सहयोग से बहुत सी नई संभावनाओं के द्वार खुल सकते हैं।

पर्यावरणीय चिंताएं और जल प्रबंधन

बैठक में पर्यावरणीय चिंताओं, जैसे बाढ़ प्रबंधन, 1996 के गंगा जल संधि का नवीनीकरण, और तीस्ता नदी के संरक्षण पर भी चर्चा की गई। दोनों देशों ने अपने जल संसाधनों के उत्तम उपयोग और प्रबंधन पर सहमति जताई, जिससे जल संकट के प्रबंधन में सहयोग किया जा सके।

भावी दृष्टि: हरित साझेदारी और अंतरिक्ष सहयोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हरित साझेदारी, डिजिटल साझेदारी, ब्लू इकॉनमी और अंतरिक्ष सहयोग पर एक समृद्ध भविष्य की परिकल्पना की। इन क्षेत्रों में सहयोग से दोनों देशों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का उद्देश्य रखा गया।

इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया कि यह उनकी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पहला राज्य अतिथि कार्यक्रम था और पीएम हसीना ने पीएम मोदी को बांग्लादेश यात्रा के लिए आमंत्रित किया। पिछले एक साल में दोनों देशों के बीच दस बार बैठकें हो चुकी हैं, जो उनके मजबूत और तेजी से विकसित होते रिश्तों को प्रदर्शित करता है।

15 टिप्पणि

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    Suresh Chandra Sharma

    जून 22, 2024 AT 21:12

    भाईयो, मोदी और शेख हसीना की इस बैठक में एकदम दोस्ती की हवा देखी जा सकती है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने की योजना काफी ज़बरदस्त लग रही है। ब्लू इकोनोमी और जल प्रबंधन जैसे मुद्दों पर भी ठोस कदम उठाने की बात हुई। उम्मीद है कि इससे दोनों लोगों के बीच समझ बढ़ेगी।

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    sakshi singh

    जून 23, 2024 AT 13:53

    यह बैठक भारत‑बांग्लादेश के दोनोँ देशों के लिए एक महत्वपूर्ण इतिहास रचा है।
    सबसे पहले, रक्षा सहयोग के प्रस्ताव ने हमारे सुरक्षा परिदृश्य को सुदृढ़ करने की नींव रखी है।
    ब्लू इकोनोमी के क्षेत्र में सहयोग से समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग संभव होगा।
    एंटी‑टेररिज़्म में संयुक्त कार्रवाई से सीमा पर आतंकवादियों की आवाज़ कम होगी।
    डिजिटल कनेक्टिविटी की बात भी हुई, जिससे दोनोँ देशों के व्यापारी आसानी से जुड़े रहेंगे।
    ऊर्जा साझा करने की योजना, जैसे सीमा‑पार पाइपलाइन, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाएगी।
    जल प्रबंधन में गंगा‑गंगा जल संधि को नवीनीकृत करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
    पर्यावरणीय चिंताओं को लेकर दोनों पक्षों ने मिलकर कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।
    भविष्य में अंतरिक्ष सहयोग के माध्यम से हम वैज्ञानिक उन्नति को तेज़ कर सकते हैं।
    डिजिटल साझेदारी से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवाचार आएगा।
    भाई‑बहन जैसे संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी योजना बन रही है।
    कुशल कर्मियों की आपसी आदान‑प्रदान से दोनों राष्ट्रों के तकनीकी स्तर में वृद्धि होगी।
    मेंडलीन प्रभाव को कम करने के लिये व्यापारिक बाधाओं को हटाने की बात भी सामने आई।
    समग्र रूप से, इस द्विपक्षीय बैठक ने बहुपक्षीय सहयोग के कई द्वार खोले हैं।
    उम्मीद है कि ये कदम आर्थिक विकास और सामाजिक समृद्धि को गति देंगे।
    अंत में, दोनों देशों के जनसमुदाय को इस सहयोग का वास्तविक लाभ जल्द ही दिखेगा।

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    Hitesh Soni

    जून 24, 2024 AT 07:56

    मुझे यह स्पष्ट करना चाहिए कि रक्षा सहयोग का विस्तार केवल प्रतीकात्मक नहीं होना चाहिए; इसके लिए ठोस बजट आवंटन व समयबद्ध कार्यान्वयन आवश्यक है। बांग्लादेश के साथ आतंकवादी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिये सामरिक जानकारी का वास्तविक आदान‑प्रदान आवश्यक है, नहीं तो यह केवल भाषण रह जाएगा। इस प्रकार की रणनीतियों को व्यावहारिक रूप में बदलने के लिये पारदर्शी निगरानी तंत्र भी स्थापित किया जाना चाहिए।

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    rajeev singh

    जून 25, 2024 AT 02:00

    भारत‑बांग्लादेश संबंधों की गहराई को देखते हुए, इस बैठक ने सांस्कृतिक पुल बनाते हुए दोनों जनसमुदायों के बीच समझ को और सुदृढ़ किया है। समुद्री विनिमय और जल प्रबंधन के क्षेत्र में साझा ज्ञान दोनों देशों की प्रगति में सहायक सिद्ध होगा। इस प्रकार के उच्च‑स्तरीय संवाद हमें भविष्य में अधिक घनिष्ठ सहयोग की राह दिखाते हैं।

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    ANIKET PADVAL

    जून 25, 2024 AT 20:03

    सर्वोच्च राष्ट्रीय हितों को देखते हुए, यह अत्यावश्यक है कि हम अपने देश की संप्रभुता और सुरक्षा को प्रथम प्राथमिकता दें, जबकि किसी भी विदेशी प्रभाव को सावधानीपूर्वक परखा जाए। बांग्लादेश के साथ रक्षा में सहयोग केवल पारस्परिक लाभ के आधार पर होना चाहिए, न कि किसी आध्यात्मिक सहमति के रूप में। ब्लू इकॉनमी को विकसित करने के लिये हमें समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना होगा, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बाधित न हो। आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त रणनीति बनाते समय, हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारे मूल्यों और सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देकर दोनों देशों के युवा वर्ग को नए अवसर प्रदान किए जा सकते हैं, परन्तु यह भी आवश्यक है कि डेटा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए। जल प्रबंधन में संधियों का अद्यतन केवल कागज़ी कार्य नहीं हो, बल्कि वास्तविक जल वितरण को प्रभावी बनाना चाहिए। ऊर्जा साझेदारी के तहत, सीमा‑पार बिजली ग्रिड का विस्तार एक उल्लेखनीय कदम है, परंतु हमें इसे राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा के साथ संतुलित रखना होगा। अंतरिक्ष सहयोग को लेकर उठाए गए प्रस्ताव अत्यंत सराहनीय हैं, परंतु इस दिशा में हमारे वैज्ञानिकों की स्वायत्तता को बनाए रखना अनिवार्य है। मेरे दृष्टिकोण से, सभी इन योजनाओं को लागू करने में पारदर्शिता और जवाबदेही को सर्वोपरि माना जाना चाहिए, क्योंकि यह ही लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करता है। अंततः, यह स्पष्ट है कि निरंतर संवाद और ठोस कार्यों के बिना कोई भी गठजोड़ केवल शब्दों का ढेर ही रह जाएगा।

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    Shivangi Mishra

    जून 26, 2024 AT 14:06

    यह साझेदारी हमारे देश की शक्ति को दोहरी करवाएगी, और मैं इस कदम को सराहता हूँ।

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    ahmad Suhari hari

    जून 27, 2024 AT 08:10

    यह मीटिंग दोनों राष्ट्रों के लिये एक महत्त्वपूर्ण माइलस्टोण है, जहाँ रक्षा व आर्थिक सहयोग के कई पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई।

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    shobhit lal

    जून 28, 2024 AT 02:13

    भाई, इस चर्चा में तो बहुत कुछ निकला!

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    suji kumar

    जून 28, 2024 AT 20:16

    नई दिल्ली में हुई इस ऐतिहासिक बैठक ने न केवल द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को बल दिया, बल्कि भविष्य की कई संभावनाओं के द्वार भी खोलें; रक्षा सहयोग, जल प्रबंधन, तथा ब्लू इकॉनमी जैसे क्षेत्रों में दोनोँ देशों के बीच गहन सहयोग की संभावना स्पष्ट हुई।
    वास्तव में, गंगा नदी पर विश्व की सबसे लंबी क्रूज़ सेवा का प्रस्ताव न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास में भी योगदान देगा; इस प्रकार के परियोजनाएँ दोनों देशों के जनसमुदाय के बीच सांस्कृतिक समझ को गहरा करेंगी।
    सीमा पार मैत्री पाइपलाइन का निर्माण ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, साथ ही पर्यावरणीय क्षरण के जोखिम को कम करेगा; यह कदम जल संसाधनों के सतत उपयोग के प्रति दोनोँ देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    डिजिटल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के लिए प्रस्तावित उपाय, जैसे बुनियादी बुनियादी ढाँचा का विस्तार, दोनों देशों के व्यापार को सहज बनाएंगे; इस दिशा में बुनियादी इंटरनेट पहुँच का विस्तार भी आवश्यक है।
    अंत में, अंतरिक्ष सहयोग के पहलुओं पर चर्चा ने यह संकेत दिया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भी दोनोँ देशों का सहयोग संभव है, जिससे शैक्षिक एवं अनुसंधान संबंधों में नई संभावनाएँ उत्पन्न होंगी।

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    Ajeet Kaur Chadha

    जून 29, 2024 AT 14:20

    वाह, क्या शानदार बैठक थी-जैसे हर बार की तरह, बस शब्दों का जश्न और कुछ ठोस कार्रवाई नहीं! फिर भी, हमें उम्मीद है कि अगली बार इस 'महान' योजना को वास्तविकता में ढालने की कोशिश होगी।

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    Vishwas Chaudhary

    जून 30, 2024 AT 08:23

    देशभक्तों को यह समझ लेना चाहिए कि ऐसी बैठकें सिर्फ विदेशी दबाव को कम करने के लिए नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए हैं; अगर हम इस सहयोग को सही ढंग से इस्तेमाल नहीं करेंगे तो असली खतरा हमारे पास ही रह जाएगा

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    Rahul kumar

    जुलाई 1, 2024 AT 02:26

    मैं इस विचार से थोड़ा असहमत हूँ; जबकि कई लोगों को लगता है कि द्विपक्षीय सहयोग स्वाभाविक रूप से लाभकारी है, वास्तव में हमें सावधानी से देखना चाहिए कि क्या यह हमारे दीर्घकालिक स्वार्थ के साथ मेल खाता है। शायद इस तरह के समझौते कभी‑कभी हमारे आर्थिक स्वायत्तता में बाधा बन सकते हैं, इसलिए हमें सूक्ष्म विश्लेषण करना चाहिए, न कि केवल खुशी‑खुशी समर्थन देना।

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    indra adhi teknik

    जुलाई 1, 2024 AT 20:30

    भाईयों और बहनों, इस बैठक में उल्लेखित कई बिंदु हमारे दैनिक जीवन को सीधे प्रभावित करेंगे; जल प्रबंधन, ऊर्जा साझेदारी और डिजिटल कनेक्टिविटी हमारे क्षेत्रों में विकास की गति को तेज करेंगे, इसलिए हमें स्थानीय स्तर पर इन योजनाओं के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।

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    Kishan Kishan

    जुलाई 2, 2024 AT 14:33

    भाई, यह तो बहुत ही शानदार योजना है-जैसे हर बार की तरह, शब्दों का जश्न, पर कार्यवाही की कमी!; लेकिन फिर भी, अगर हम मिलजुल कर इन पहलुओं को धरातल पर उतारें तो निश्चित रूप से लाभदायक रहेगा।

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    richa dhawan

    जुलाई 3, 2024 AT 08:36

    मुझे नहीं लगता कि यह सब इतना आसान है; हमेशा बड़े राज़ होते हैं जो सामने नहीं आते, और इस तरह की मीटिंग अक्सर कुछ छुपाने के लिए होती है।

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