प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया मई, 14 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी लोकसभा सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। यह वह क्षेत्र है जहां से उन्होंने लगातार दो बार बड़े अंतर से जीत हासिल की है। 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी एक बार फिर वाराणसी से तीसरी बार जीत के इरादे से चुनाव मैदान में उतरे हैं।

नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ताकत का एक भव्य प्रदर्शन के साथ होने की उम्मीद है। यह घटना चुनाव प्रचार में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करती है क्योंकि मोदी अपनी सीट बरकरार रखने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक और जीत की ओर ले जाने के प्रयास में हैं।

वाराणसी शहर मोदी के लिए एक खास महत्व रखता है। यहां उन्होंने पिछले दो चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की थी। 2014 में मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरविंद केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों के अंतर से हराया था। 2019 में उनकी जीत का अंतर और बढ़कर 4.79 लाख वोट हो गया। इस बार भी मोदी और भाजपा को वाराणसी में अपनी जीत को दोहराने का भरोसा है।

नामांकन से पहले मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, एक रेलवे स्टेशन का नवीनीकरण और एक नया अस्पताल शामिल हैं। मोदी ने वाराणसी में अपने कार्यकाल के दौरान शहर के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विकास पर जोर दिया है।

हालांकि, विपक्षी दलों ने मोदी और भाजपा पर वाराणसी की वास्तविक समस्याओं से ध्यान हटाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शहर में प्रदूषण, बेरोजगारी और गरीबी जैसे मुद्दे अभी भी बने हुए हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने वाराणसी में मोदी को कड़ी चुनौती देने की बात कही है।

फिर भी, भाजपा के लिए मोदी का वाराणसी से चुनाव लड़ना सिर्फ एक सीट जीतने से कहीं अधिक का प्रतीक है। यह पार्टी और मोदी के लिए एक प्रतिष्ठा का सवाल है। मोदी का वाराणसी से जुड़ाव उनकी हिंदुत्व राजनीति और विकास एजेंडा दोनों को दर्शाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन और गंगा आरती में शामिल होकर मोदी अपने हिंदू मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते हैं।

दूसरी तरफ, शहर के विकास कार्यों पर जोर देकर मोदी यह संदेश देते हैं कि उनकी सरकार प्रगति और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। नामांकन के दौरान NDA के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी गठबंधन की एकता और मजबूती का संकेत देती है।

आने वाले दिनों में वाराणसी में चुनावी गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है। नामांकन के बाद मोदी शहर में रोड शो और जनसभाएं करेंगे। अन्य राजनीतिक दल भी अपने प्रचार अभियान को धार देंगे। वाराणसी में जीत किसी भी पार्टी के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक बढ़त देगी और आम चुनावों के लिए टोन सेट करेगी।

हालांकि चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, लेकिन यह तय है कि वाराणसी एक बार फिर देश के चुनावी राजनीति का केंद्र बनने जा रहा है। मोदी के नामांकन ने इस प्राचीन शहर को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। अब देखना यह है कि क्या मोदी अपना जादू एक बार फिर बरकरार रख पाएंगे या विपक्ष उनके किले में सेंध लगाने में कामयाब होगा।

12 टिप्पणि

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    shobhit lal

    मई 14, 2024 AT 21:23

    भाइयो, मोदी जी का वाराणसी से जुड़ाव सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि एक ब्रांड है। दो बार बड़े अंतर से जीत के बाद तीसरी बार नामांकन करना बिल्कुल स्वाभाविक है। उनका फोकस हमेशा विकास पर रहता है, खासकर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे नया अस्पताल और स्टेडियम।
    वो जनता के दिल में झांकते हैं, काशी विश्वनाथ की आभा के साथ। कई बार लोग कहते हैं कि यह सिर्फ वोट बैंक नहीं, बल्कि उनका व्यक्तिगत मिशन है।

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    Vishwas Chaudhary

    मई 14, 2024 AT 21:40

    देशभक्तों को देखना चाहिए कि मोदी ने हमेशा दिया है भारत को आगे बढ़ाने का मौका

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    Rahuk Kumar

    मई 14, 2024 AT 21:56

    प्रासंगिक मानदंडों के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि वाराणसी में विकासात्मक पैरामीटर्स का स्वीकृत उद्भव नीतिगत आर्किटेक्चर को पुनः परिभाषित करता है

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    Riddhi Kalantre

    मई 15, 2024 AT 22:06

    यह भारत का गौरव है कि हमारे प्रधानमंत्री वाराणसी में फिर से मंच ले रहे हैं। उनका राष्ट्रीयत्व का प्रदर्शन हर भारतीय के दिल को छूता है। विकास के ठोस कदमों से इस शहर को नई ऊँचाइयों पर ले जाया गया है, और वह अभी भी प्रगति की राह पर हैं।
    भक्तिभाव से भरे राष्ट्र के लिए यह बड़ा बिंदु है।

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    Jyoti Kale

    मई 15, 2024 AT 22:23

    बाहर की राजनीति को देखो तो वही लोग मतदाता को समझते हैं जो वास्तविक समस्याओं को हल नहीं करना चाहते

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    Ratna Az-Zahra

    मई 17, 2024 AT 01:53

    वाराणसी का दशा तो कई पहलुओं में जटिल है, लेकिन विकास के आमंत्रण पर ध्यान देना आवश्यक है। इस समय हमें वास्तविक आँकड़ों की समीक्षा करनी चाहिए, न कि केवल भावनात्मक ढींगें।

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    Nayana Borgohain

    मई 17, 2024 AT 02:10

    हर नज़र में गहराई, हर दिल में शांति 😊

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    Abhishek Saini

    मई 18, 2024 AT 05:40

    चलो भाई लोग, मोदी की जीत को सपोर्ट करिए, वो भरोसेमंद नेता है। कभी‑कभी टाइपिंग मिस्टेक्स हो जाती हैं, पर इरादा साफ़ रहता है।

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    Parveen Chhawniwala

    मई 18, 2024 AT 05:56

    आपको तो पता ही है कि वाराणसी के वोटर कौन हैं, उनका मनोभाव क्या है। लोग हमेशा कहते हैं कि मोदी का काम वोट खींचना नहीं, बल्कि वास्तविक विकास करना है।

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    Saraswata Badmali

    मई 19, 2024 AT 09:26

    सबसे पहले तो यह देखना आवश्यक है कि वाराणसी जैसे ऐतिहासिक शहर में चुनावी रणनीति कितना कंज़ीवली कॉम्प्लेक्स हो सकती है।
    मेरा मानना है कि जनता की थकान को देखते हुए, यह मोडिज़्म का एक नया रूप है, जो केवल पेशेवर दिमागों को ही आकर्षित कर सकता है।
    परन्तु यहाँ का मुख्य मुद्दा यह है कि विरोधी दलों की आलोचना अक्सर एकरूप हो जाती है, जिससे चर्चा का पैनोरमा सीमित रह जाता है।
    वास्तव में, जिस तरह से विकास परियोजनाओं को प्रचार उपकरण बनाकर दिखाया जाता है, वह शैक्षिक विश्लेषण की जरूरत रखता है।
    हर वोटर के मन में एक अलग- अलग डाइनामिक फॉर्मूला मौजूद है, जिसे केवल सांख्यिकी मॉडल के माध्यम से ही समझा जा सकता है।
    यदि हम इस मॉडल को सही तरह से लागू करें तो वाराणसी की राजनीति में एक नया पैराडाइम स्थापित हो सकता है।
    वहीं, यदि हम सिर्फ इमोशनल अपील पर भरोसा करेंगे तो चुनावी परिणाम में परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ उभरेंगी।
    इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि बड़े परिवर्तन केवल तब होते हैं जब चुनावी तंत्र में तकनीकी विश्लेषण को प्रमुखता मिलती है।
    इसलिए, यह जरूरी है कि हम इस चुनाव को केवल एक राजनैतिक घटना न मानें, बल्कि एक सामाजिक प्रयोग के रूप में देखें।
    यह प्रयोग हमें बताता है कि कैसे जनसंख्या की विविधता को एकीकृत किया जा सकता है।
    समग्र रूप से, वाराणसी के चुनाव में विकास, धर्म और राष्ट्रीयता का मिश्रण एक जटिल समीकरण बनाता है।
    यदि हम इस समीकरण को सही ढंग से हल नहीं करते, तो परिणाम अस्थिर रहेंगे।
    अंत में, मैं यह निष्कर्ष निकालता हूं कि वाराणसी में सिर्फ जीत-हार नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक भाषा का उदय हो रहा है।

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    RISHAB SINGH

    मई 20, 2024 AT 13:13

    चलो, समर्थन के साथ आगे बढ़ते हैं, मोदी जी को जीत की बधाई!

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    Deepak Sonawane

    मई 21, 2024 AT 17:00

    वर्तमान राजनीतिक अनालिसिस दर्शाता है कि वाराणसी का चयनित बायस अत्यधिक एंट्रॉपिक है, जिससे बहुपक्षीय संतुलन में विसंगति उत्पन्न हो रही है

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