पेरिस 2024 ओलंपिक्स में अमन सेहरावत ने जीता कांस्य पदक: भारतीय कुश्ती की शानदार परंपरा को कायम रखा

पेरिस 2024 ओलंपिक्स में अमन सेहरावत ने जीता कांस्य पदक: भारतीय कुश्ती की शानदार परंपरा को कायम रखा अग॰, 10 2024

अमन सेहरावत की ऐतिहासिक जीत

भारतीय पहलवान अमन सेहरावत ने पेरिस 2024 ओलंपिक्स में पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। अमन ने पुएर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज को 13-5 की भारी अंतर से हराया और जीत अपने नाम की। यह जीत न केवल अमन के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय बनी। पेरिस खेलों में यह भारत का पहला कुश्ती पदक था और कुल मिलाकर छठा पदक।

सेहरावत की राह

अमन सेहरावत के इस कांस्य पदक की यात्रा उतार-चढ़ाव भरी रही। शुरुआत में उन्होंने उत्तरी मकदोनिया के व्लादिमिर एगोरॉव और अल्बानिया के जेलिमखान अबाकारॉव को तकनीकी श्रेष्ठता से हराया। लेकिन सेमीफाइनल में जापान के रेई हिगूची से हार गए। इसके बावजूद, अमन ने हिम्मत नहीं हारी और कांस्य पदक मुकाबले में जोरदार वापसी करते हुए पुएर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज को पराजित किया।

भारतीय कुश्ती की परंपरा

इस शानदार जीत ने भारतीय कुश्ती की साझा परंपरा को और मजबूत किया है। यह पांचवां लगातार मौका था जब किसी भारतीय पहलवान ने ओलंपिक्स में पदक जीता हो। इससे पहले के.डी. जाधव, सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और रवि कुमार दहिया जैसे महान पहलवान भी ओलंपिक्स में देश का गौरव बढ़ा चुके हैं।

कुश्ती में सफलता की कहानी

भारतीय महिलाओं और पुरुषों ने कुश्ती में लगातार सफलता हासिल कर देश को कई पदक दिलाए हैं। अमन की यह जीत इसी कड़ी का हिस्सा है। पेरिस 2024 में यह भारत का चौथा कांस्य पदक था और कुल मिलाकर खेलों में छठा पदक।

आने वाले भविष्य की उम्मीदें

अमन सेहरावत की इस जीत ने भारतीय समर्थकों में उम्मीदें बढ़ा दी हैं। कुश्ती में मिल रही सफलताओं को देखते हुए देशवासियों को उम्मीद है कि भारतीय पहलवान आने वाले खेलों में भी अपना परचम लहराते रहेंगे।

15 टिप्पणि

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    shobhit lal

    अगस्त 10, 2024 AT 23:48

    भाई लोग, तुम लोग नहीं जानते कि कुश्ती में वजन घटाने के लिए कौन सा फूड ट्रेंड है! आम तौर पर पहलवान लोग हाई‑प्रोटीन डाइट फॉलो करते हैं, जैसे कि राजमा, दालें, अंडे, और कच्ची मांसाहारी चीजें, और साथ में रोज़ 8‑10 लीटर पानी पीते हैं, इससे मसल्स फुलाना आसान हो जाता है। इसके अलावा, पेरिस के सर्जिकल क्लीनिक में इंटेंसिटी ट्रेनिंग के बाद वैकल्पिक थर्मल बाथ भी बहुत फायदेमंद रहता है। मैं भी कुछ महीने पहले वही रूटीन अपनाया था, और देखो अब मेरी फॉर्म भी सुधर गई। तो अगली बार जब कोई कहे “अमन ने सिर्फ़ मेहनत की”, तो बता देना कि विज्ञान भी साथ में है।

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    suji kumar

    अगस्त 11, 2024 AT 21:13

    सबसे पहले, इस महान उपलब्धि को देख कर भारत की सांस्कृतिक धरोहर पर एक गहरा गर्व महसूस होता है, क्योंकि कुश्ती न केवल एक खेल है, बल्कि हमारे प्राचीन शौर्य और परंपरा का प्रतीक भी है,; यह धारा सदियों से चली आ रही है, जैसा कि महाभारत में भी द्रोणाचार्य द्वारा शिष्यों को सिखाए गए मकलस्थेन कला में स्पष्ट है,; आधुनिक समय में, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार अपनी पहचान बनाई है, और यह पदक इस निरंतरता का एक नया अध्याय है,; अमन सेहरावत की जीत ने न केवल व्यक्तिगत क्षमताओं को उजागर किया है, बल्कि हमारे राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को भी सिद्ध किया है,; पिछले दशक में, राष्ट्रीय खेल एजेंसी ने वैज्ञानिक डाटा एनालिटिक्स, पोषणात्मक मॉडलों, और मनोवैज्ञानिक समर्थन को मिलाकर एक संपूर्ण प्रणाली विकसित की है,; इस प्रणाली ने कई युवा पहलवानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया है,; इसके साथ ही, भारतीय शारीरिक शिक्षा संस्थानों ने शारीरिक विकास के नवीनतम सिद्धांतों को अपनाया, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ,; अब बात करें सामाजिक प्रभाव की, तो इस जीत ने ग्रामीण क्षेत्रों में युवा वर्ग को प्रेरित किया है, जिससे कुश्ती अकादमी में दाखिल होने वाले छात्रों की संख्या में 40 % की वृद्धि देखी गई है,; इसके अलावा, मीडिया कवरेज ने इस खेल को जनमानस में लोकप्रिय बनाया है, जिससे स्‍ट्रीमर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों ने इस विषय पर नियमित रूप से संवाद किया है,; देखें तो कई प्रमुख समाचार चैनलों ने इस जीत को राष्ट्र गर्व के रूप में प्रस्तुत किया है,; इस मंच पर, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि इस तरह के उपलब्धियों के पीछे कई अनसुनसान कहानियाँ होती हैं, जैसे कि कठिन आर्थिक परिस्थितियों में भी पालन‑पोषण जारी रहना, एक स्वस्थ मनोवृत्ति बनाये रखना, और निरंतर अभ्यास का पालन करना,; इस प्रकार की कहानियों को उजागर करना आवश्यक है, ताकि हम भविष्य में और भी अधिक समर्थन प्रदान कर सकें,; अंत में, राष्ट्रीय खेल मंत्रालय को चाहिए कि वे इस सफलता को एक मॉडल के रूप में पेश करके, अधिक निवेश और स्कॉलरशिप प्रदान करें,; क्योंकि जब तक हम अपने युवा प्रतिभाओं को उचित संसाधन नहीं देते, तब तक यह चमक केवल एक बार नहीं, कई बार दिखाई देगी,; इस प्रकार, अमन की इस जीत ने न केवल इतिहास में एक नया पृष्ठ जोड़ा है, बल्कि भविष्य के लिए एक प्रकाशस्तंभ भी स्थापित किया है।

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    Ajeet Kaur Chadha

    अगस्त 13, 2024 AT 01:00

    अरे यार, क्या बताऊँ, अब तो हर बार ओलंपिक में “इंडिया ने फिर कुछ किया” लिखते‑लिखते थक गया हूँ! अमन ने तो जैसे “मैं बस चला गया, सब आसान था” कह दिया, और हम सब को चकनाचूर कर दिया! मानो कोई फिल्म का क्लिफ़हैंगर हो, पर असली ज़िंदगी में।

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    Vishwas Chaudhary

    अगस्त 14, 2024 AT 04:46

    देखो भाई, इस जीत को सिर्फ़ एक व्यक्ति की मेहनत नहीं, बल्कि हमारी हर भारतीय की शान है, हमारे देश की ताक़त को दिखाता है, यही समय है जब हम सबको मिलकर अपना झंडा और ऊँचा करना चाहिए

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    Rahul kumar

    अगस्त 15, 2024 AT 08:33

    भले ही सब कहते हैं कि ये एक बड़ी जीत है, पर मैं कहूँगा कि यह सिर्फ़ एक छद्म‑उत्सव है, असली मुद्दा तो हमारे ग्राउंड लेवल की टैलेंट पाइपलाइन में है, और वो अभी भी ढीला है

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    indra adhi teknik

    अगस्त 16, 2024 AT 12:20

    सही कहा आपका, इस सफलता के पीछे कई कोचिंग सेंटर और पोषण विशेषज्ञों का योगदान रहा है, अगर आप चाहें तो मैं कुछ उपयोगी लिंक और पुस्तकें साझा कर सकता हूँ, जिससे आगे की तैयारी में मदद मिलेगी

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    Kishan Kishan

    अगस्त 17, 2024 AT 16:06

    वैसे तो सबकी बधाईयाँ बेमिसाल हैं-अमन भाई ने तो सही में रीढ़-स्टाइल में जीत हासिल की!; लेकिन यदि आप सोच रहे हैं कि अगली बार क्या करना है, तो बुनियादी बातों पर ध्यान देना जरूरी है, जैसे कि सही वार्म‑अप, सही पोज़िशन, और सही डाइट-इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए!; मैं सुझाव दूँगा कि युवा खिलाड़ी अपने कोच के साथ मिलकर एक साक्ष्य‑आधारित प्रशिक्षण प्लान बनाएं; इससे न केवल मसल्स बिल्डिंग में मदद मिलेगी, बल्कि मैच‑डेज़ पर मानसिक स्थिरता भी बनी रहेगी।; साथ ही, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विभिन्न शैलीयों को समझने के लिए वीडियो विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक है; यह हमारे लड़ाकू रवैये को बढ़ावा देगा।; अंत में, याद रखें-कुश्ती में जीत केवल शक्ति से नहीं, बल्कि रणनीति से भी आती है।

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    richa dhawan

    अगस्त 18, 2024 AT 19:53

    इस सब के पीछे एक बड़ा रहस्य है-देखा जाए तो कई अंतरराष्ट्रीय मेडलों में गुप्त एजेंसियों की साजिशें होती हैं, और हमारा क़ानून भी इसे कवर करता है, इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए।

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    Balaji S

    अगस्त 19, 2024 AT 23:40

    हमारी संस्कृति में खेल को सामाजिक संवाद का एक माध्यम माना गया है; इसलिए जब अमन ने इस मंच पर अपना परचम लहराया, तो यह केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं बल्कि सामाजिक सामंजस्य का भी प्रतीक बन गया। इस प्रकार के सफलतापूर्ण उदाहरणों से न सिर्फ़ राष्ट्रीय गर्व का आर्थिक प्रभाव बढ़ता है, बल्कि एक पहचानात्मक बिंदु भी स्थापित होता है, जहाँ युवा वर्ग अपने भीतर की शक्ति को पहचानता है। इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार के प्रदर्शन से देश की कूटनीति में भी एक सकारात्मक परिणाम मिल सकता है, क्योंकि खेल के माध्यम से सांस्कृतिक आदान‑प्रदान सुगम हो जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि कुश्ती में तकनीकी पहलुओं जैसे कि ग्रिप स्ट्रेंथ, बैलेन्स कंट्रोल, और मैटिक एगिलिटी को सुधारने के लिए नवीनतम बायो‑मैकेनिक मॉडल का उपयोग किया जाता है, जो विज्ञान और परम्परा के संगम को दर्शाता है। इस संदर्भ में, हमें न केवल इस जीत को मनाना चाहिए, बल्कि इससे उत्पन्न होने वाले शैक्षिक एवं वैज्ञानिक शोध को भी प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे भविष्य में और अधिक कुश्ती सितारे उभर सकें।

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    Alia Singh

    अगस्त 21, 2024 AT 03:26

    सभी को नमस्कार, इस उत्कृष्ट उपलब्धि के प्रकाश में, मैं यह अभिव्यक्त करना चाहता हूँ कि निरंतर प्रशिक्षण, अनुशासन, तथा राष्ट्रीय समर्थन के संयोजन से ही इस प्रकार के उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त होते हैं; अतः विशेष रूप से युवा वर्ग को यह प्रेरणा मिलनी चाहिए कि वे भी अपनी क्षमताओं को विकसित करने में समर्पित रहें; इस प्रकार का सकारात्मक माहौल हमारे राष्ट्र की प्रगति में निर्णायक भूमिका निभाता है, और इसके लिए सभी संबंधित संस्थानों को सुदृढ़ सहयोग प्रदान करना आवश्यक है।

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    Purnima Nath

    अगस्त 22, 2024 AT 07:13

    चलो भाई, अगली बार भी धुआँ-धार के साथ जीतते रहो!

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    Rahuk Kumar

    अगस्त 23, 2024 AT 11:00

    वास्तव में, इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा केवल उन व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक है जो मौलिक सिद्धांतों का अभ्यासी हैं, और यह यहाँ के औपचारिक अभ्यास के कार्यान्वयन को दर्शाता है

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    Deepak Kumar

    अगस्त 24, 2024 AT 14:46

    अमन की जीत से प्रेरित होकर, नए खिलाड़ियों को सही तकनीक सीखनी चाहिए और निरंतर अभ्यास करना चाहिए।

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    Chaitanya Sharma

    अगस्त 25, 2024 AT 18:33

    यह बात बिलकुल सही है; यदि आप अपने कोच के साथ मिलकर एक विस्तृत प्रशिक्षण योजना बनाते हैं, तो आप न केवल अपने कौशल में सुधार कर सकते हैं, बल्कि प्रतियोगिता के दौरान अपनी मनोवैज्ञानिक दृढ़ता को भी मजबूत कर सकते हैं। मैं कुछ विश्वसनीय संसाधन और वीडियो लेक्टर्स की सूची साझा कर सकता हूँ, जिससे आपको रणनीतिक उपयोग मिलेगा।

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    Riddhi Kalantre

    अगस्त 26, 2024 AT 22:20

    अमन का कांस्य पदक सिर्फ़ एक व्यक्तिगत जीत नहीं, यह हमारे राष्ट्र की अटूट शक्ति और अभिमान का प्रतीक है, जिससे हर भारतीय को गर्व है और हमें अपनी दुनिया में अग्रणी बनने की राह पर आगे बढ़ाता है।

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