मंजू वारियर की वापसी के बाद की 8 बेहतरीन फिल्में और किरदार
सित॰, 10 2024
मंजू वारियर की वापसी का सफर
मंजू वारियर, जिनका नाम मलयालम फिल्म उद्योग में एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है, ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण मोड़ देखे हैं। एक समय पर उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली थी, लेकिन फिल्म 'हाउ ओल्ड आर यू' से उनकी वापसी ने एक नया अध्याय लिखा। इस फिल्म में उन्होंने निरुपमा राजीव का किरदार निभाया, जो उनके वापसी के सफर में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस लेख में हम उनकी ऐसी 8 फिल्मों और किरदारों पर बात करेंगे, जिन्होंने उनकी वापसी को शानदार बनाया।
1. हाउ ओल्ड आर यू (2014)
इस फिल्म में मंजू वारियर ने निरुपमा राजीव का किरदार निभाया, जो एक साधारण गृहिणी थी। फिल्म की कहानी इस बात के इर्द-गिर्द घूमती है कि कैसे निरुपमा अपने सपनों को फिर से जीने का साहस करती है। मंजू की अभिनय की गहराई और संवेदनशीलता ने इस किरदार को जीवंत बना दिया। यह फिल्म उनकी वापसी के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
2. एन्नु निन्ते मोइदीन (2015)
इस फिल्म में मंजू ने कोठा की भूमिका निभाई, जो एक प्रेम कहानी में एक मजबूत महिला का किरदार था। फिल्म की संवेदनशीलता और मंजू के अभिनय ने इसे उनके करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म बना दिया। यह फिल्म भी दर्शकों और आलोचकों दोनों से प्रशंसा प्राप्त कर चुकी है।
3. करिंकुनन (2016)
मंजू ने इस फिल्म में एक ग्रामीण महिला का किरदार निभाया, जो अपनी समस्याओं के बावजूद अदम्य साहस दिखाती है। इस किरदार ने मंजू की अभिनय क्षमताओं को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया। फिल्म ने कई पुरस्कार भी जीते।
4. वायपन (2017)
इस फिल्म में मंजू वारियर ने एक ऐसा किरदार निभाया जो अपने परिवार के लिए सारे संघर्ष करता है। मंजू के इस रोल ने दर्शकों को उनकी फिल्म में पूरी तरह से शामिल कर लिया। यह रोल भी उनकी बहुमुखी प्रतिभा का एक और प्रमाण है।
5. उधाहरणम सुजाथा (2017)
इस फिल्म में मंजू ने सुजाथा का किरदार निभाया, जो एक गरीब मां थी और अपनी बेटी की शिक्षा के लिए संघर्ष करती है। इस भूमिका ने एक बार फिर दिखाया कि मंजू हर तरह के किरदार में जान डालने में सक्षम हैं।
6. आरत्तू (2018)
यह एक थ्रिलर ड्रामा थी, जिसमें मंजू ने एक जांच अधिकारी की भूमिका निभाई। इस किरदार में उनका आत्मविश्वास और एक्टिंग की क्षमता दर्शकों को खूब पसंद आई। फिल्म में उनके अभिनय की तारीफ हुई और यह उनके करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक बन गई।
7. लूसिफ़र (2019)
इस फिल्म में मंजू ने पृथ्वीराज के साथ मुख्य भूमिका में नजर आईं। उन्होंने एक राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले किरदार को निभाया, जो एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण भूमिका थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की और यह मंजू के करियर में एक और जोड़ बन गई।
8. सिनेमा कंपनी (2020)
यह फिल्म मंजू की बहुमुखी प्रतिभा का एक और उदाहरण है, जिसमें उन्होंने एक संघर्षशील अभिनेत्री का किरदार निभाया। फिल्म की कहानी और मंजू की अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीता।
मंजू वारियर की इन फिल्मों और किरदारों ने यह साबित कर दिया कि वह न केवल एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं, बल्कि उन्होंने अपनी वापसी से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक नया मानक स्थापित किया है। उनकी वापसी ने उन्हें न सिर्फ उनके पहले के फैंस के बीच, बल्कि नई पीढ़ी के दर्शकों के बीच भी लोकप्रिय बना दिया है।
इस कहानी से सच्चाई उजागर होती है कि एक कलाकार किसी भी समय अपने खोए हुए स्थान को वापस पा सकता है, बशर्ते उसमें समर्पण और लगन हो। मंजू वारियर की यह यात्रा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि किसी भी चुनौती को स्वीकार करके हम अपनी जीवन की नई कहानी लिख सकते हैं।

Deepak Kumar
सितंबर 10, 2024 AT 08:36मंजू वारियर की फिल्मों ने मलयालम सिनेमा को नई दिशा दी।
Chaitanya Sharma
सितंबर 14, 2024 AT 23:43वापसी के बाद उनकी भूमिका चयन में विविधता देखी गई है। इसके पीछे उनके व्यक्तिगत विकास और उद्योग की बदलती आवश्यकताएँ हैं। इस सूची में प्रत्येक फिल्म उनके अभिनय के अलग‑अलग पहलू को दिखाती है।
Riddhi Kalantre
सितंबर 19, 2024 AT 14:50हिंदी दर्शकों को मलयालम कलाकारों की प्रतिभा दिखाने की ख्वाहिश दिल में बसी है। मंजू वारियर ने अपने काम से यह सिद्ध किया कि भाषा कोई बाधा नहीं। उनके किरदार अक्सर सामाजिक मुद्दों को उजागर करते हैं। यह निबंध उनके कार्यों का सटीक विश्लेषण प्रदान करता है। अंत में, हमें उनके भविष्य के प्रोजेक्ट्स का इंतज़ार रहेगा।
Jyoti Kale
सितंबर 24, 2024 AT 05:56इन फिल्मों में अधिकांश किरदार क्लिशे से परे नहीं हैं। ऐसा लिस्टिंग केवल सतही प्रशंसा को बढ़ावा देती है।
Ratna Az-Zahra
सितंबर 28, 2024 AT 21:03समीक्षा में कुछ उल्लेखनीय बिंदु हैं, परंतु यह सूची पूरी तरह संतुलित नहीं लगती। कुछ महत्वपूर्ण फिल्में इस लेख में छूट गई हैं।
Nayana Borgohain
अक्तूबर 3, 2024 AT 12:10मंजू की यात्रा स्वयं खोज की मिसाल है 😊
Shivangi Mishra
अक्तूबर 8, 2024 AT 03:16वापसी? बस एक झूठा नाटक! असली टैलेंट दिखाने में देर क्यों हुई?
ahmad Suhari hari
अक्तूबर 12, 2024 AT 18:23इन्हे देखके लगता है कि कलाकारी की सच्ची परिभाषा को समझा नहीं गया। वः लेखक क्यो ने इतना साधारण चॉइस किया?
shobhit lal
अक्तूबर 17, 2024 AT 09:30भाई, यहाँ तो बस एंट्री लिस्टिंग है, डिटेल नहीं। हर फिल्म का इम्पैक्ट समझाने वाली बात नहीं है।
suji kumar
अक्तूबर 22, 2024 AT 00:36मंजू वारियर का करियर एक साथ कई भारतीय भाषाओं के संगम को दर्शाता है।
उनकी पहली प्रमुख फिल्म 'हाउ ओल्ड आर यू' ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
इस फिल्म में निरुपमा राजीव का किरदार महिलाओं की आत्मनिर्भरता को उजागर करता है।
फिर उन्होंने 'एन्नु निन्ते मोइदीन' में कोठा की भूमिका ली, जो प्रेम कथा में शक्ति का प्रतीक थी।
'करिंकुनन' में ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों को उन्होंने बहुत संवेदनशीलता से पेश किया।
वह फिल्म सामाजिक संघर्षों को दिखाती है, और उनकी एक्टिंग ने इस बात को सशक्त किया।
वायपन में उन्होंने परिवार के लिए बलिदान करने वाली माँ के रूप में दिल छू लिया।
उधाहरणम सुजाथा में गरीबी और शिक्षा के मुद्दे को उन्होंने जीवंत किया।
आरत्तू में उनका थ्रिलर भूमिका जांच अधिकारी की थी, जो उनके दृढ़ता को दर्शाती है।
लूसिफ़र में राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले किरदार ने उन्हें एक नई चुनौती दी।
सिनेमा कंपनी में संघर्षशील अभिनेत्री के रूप में उनका प्रदर्शन आलोचकों के बीच चर्चा का विषय रहा।
हर फिल्म में उन्होंने विभिन्न सामाजिक समस्याओं को उजागर किया, जिससे दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया।
इन किरदारों के माध्यम से उन्होंने महिलाओं की शक्ति और संघर्ष को सशक्त किया।
मंजू का यह सफर यह सिद्ध करता है कि एक कलाकार निरंतर नवाचार और आत्ममंथन से ही टिक सकता है।
भविष्य में हम आशा करते हैं कि वह और भी विविध और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ अपनाएँगी।
Ajeet Kaur Chadha
अक्तूबर 26, 2024 AT 15:43ओह, फिर से एक लिस्ट, क्योंकि बाकी सब तो बेकार हैं।
Vishwas Chaudhary
अक्तूबर 31, 2024 AT 05:50इतनी बातें तो सब जानते हैं, बस ज़रूरत है सही डेटा की। इस लिस्ट में कुछ फ़िल्टरिंग कम है।
Rahul kumar
नवंबर 4, 2024 AT 20:56ऐसे मत समझो कि ये सब सिर्फ़ सफर है; अक्सर पर्दे के पीछे कई जटिल राज़ छिपे होते हैं, जिन्हें हम नहीं देख पाते।
indra adhi teknik
नवंबर 9, 2024 AT 12:03सही कहा, लेकिन भावनात्मक जुड़ाव भी जरूरी है जो पाठकों को आकर्षित करता है।
Kishan Kishan
नवंबर 14, 2024 AT 03:10वापसी के बारे में इतनी गहरी बात तो नहीं, पर दर्शकों को हँसी भी चाहिए; वैसे, कुछ फ़िल्मों में वह 'झूठ' नहीं बल्कि वास्तविकता है।
richa dhawan
नवंबर 18, 2024 AT 18:16लैखिकता में गड़बड़ी है, और इस लेख ने कई सच्चाइयों को अनदेखा किया है।
Balaji S
नवंबर 23, 2024 AT 09:23मंजू वारियर का कार्यक्षेत्र सिर्फ़ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उद्योग के बहुआयामी विकास को भी प्रतिबिंबित करता है। उनकी फिल्मोग्राफी को देखते हुए हम देख सकते हैं कि कैसे स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संरचना और आर्थिक तंत्र एक साथ मिलकर नई कथा निर्माण में योगदान देते हैं। इस प्रकार, प्रत्येक किरदार न केवल एक व्यक्ति की आत्मा को दर्शाता है, बल्कि व्यापक सामाजिक प्रेरणा को भी उजागर करता है।
Alia Singh
नवंबर 28, 2024 AT 00:30उपरोक्त विश्लेषण अत्यंत सूक्ष्म एवं विचारोत्तेजक है; यह न केवल मनन को प्रेरित करता है, बल्कि आगे के अनुसंधान के लिये ठोस आधार प्रदान करता है।
Purnima Nath
दिसंबर 2, 2024 AT 15:36चलो, इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं और देखते हैं कि अगली बड़ी फिल्म कौन सी होगी।