इंदिरा गांधी की हत्या: एक इतिहासिक दिन की पूरी कहानी
नव॰, 1 2024इंदिरा गांधी की हत्या: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
31 अक्टूबर, 1984 का दिन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और दुखद दिन के रूप में दर्ज है। यह वही दिन है जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अपने ही बॉडीगार्ड्स, सतवंत सिंह और बेअंत सिंह, ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इंदिरा गांधी, जिनका पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी था, भारतीय राजनीति की एक शक्तिशाली और प्रभावशाली नेता मानी जाती थीं। उन्होंने देश को कई महत्वपूर्ण नीतियों और निर्णयों से गुजरते हुए 15 से अधिक वर्षों तक नेतृत्व प्रदान किया।
हत्या की पृष्ठभूमि
इंदिरा गांधी की हत्या कोई अचानक घटी घटना नहीं थी, बल्कि यह एक लंबे समय से चले आ रहे तनाव का परिणाम थी। जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के जरिए, भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में प्रवेश किया, जो कई सिखों के लिए एक पवित्र स्थल है। यह कार्रवाई जटिल राजनीतिक और सामुदायिक प्रभाव वाली थी, क्योंकि इसका उद्देश्य उग्रवादी सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उनके अनुयायियों को बाहर निकालना था। इस सैन्य अभियान ने सिख समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा की और हजारों लोगों की भावनाएं दुखी हुईं।
इंदिरा गांधी के विरुद्ध विद्रोह की भावना उनके बॉडीगार्ड्स में भी धीरे-धीरे बढ़ी। यह वही भावना थी जिसने सतवंत सिंह और बेअंत सिंह को उनके जीवन का अंत करने के लिए प्रेरित किया। जब इंदिरा गांधी ने अपने निवास पर सुबह के वक्त अपने बगीचे में कदम रखा, तो उनके प्रति द्वेष ने एक भयंकर रूप ले लिया।
हत्या के बाद की प्रतिक्रिया
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद का परिणाम देशभर में भयावह था। संभ्रांत नेताओं और सिविल समाज के सदस्य स्तब्ध रह गए। लेकिन उससे भी अधिक, यह हत्या भारतीय समाज में गहरे सांप्रदायिक तनाव को जन्म देने वाली साबित हुई। इस हत्या के बाद दिल्ली और अन्य हिस्सों में भड़के दंगे विपन्न और विध्वंसकारी थे। हजारों सिखों को इन दंगों में अपनी जान गंवानी पड़ी।
यह अवधि हिंसा और उत्पीड़न से परिपूर्ण थी, जब तमाम लोगों की जिंदगियां बदल गई थीं। हिंदू और सिख समुदायों के बीच बनी इस दूरी ने सामाजिक समीकरणों को कई वर्षों तक प्रभावित किया। इसके चलते बहुत से बेगुनाह लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए और उनके जीवनस्तर में अवांछनीय बदलाव आया।
इंदिरा गांधी की विरासत
इंदिरा गांधी की विरासत भारतीय राजनीति में बहुआयामी है। जहां एक ओर उनके फैसले सख्त और दृढ़ता भरे थे, वहीं दूसरी ओर उन्हें कई विवादों का सामना करना पड़ा। उनकी राजनैतिक शैली 'लौह महिला' के रूप में वर्णित की गई। उनके नेतृत्व में, भारत ने महत्वपूर्ण विकासशील नीतियों और संवृद्धियों का अनुभव किया। परंतु, उनकी नीति निर्धारण प्रक्रिया कभी-कभी विवादास्पद और कठोर मानी गई।
उनकी हत्या के बाद, उनके पुत्र राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में उनके पदचिन्हों पर चलना शुरू किया। हालांकि, उनके जीवन का अंत भी उनके जैसी ही एक दुखद घटना से हुआ। इंदिरा गांधी की हत्या केवल एक परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण देश के लिए बिछोह का कारण बनी।
भारत में आज भी जीवंत है यादें
इंदिरा गांधी को उनकी दूरदर्शी सोच और भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिहाज से भी याद किया जाता है। उनकी असामयिक मृत्यु ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। वे एक ऐसी नेता थीं, जिन्होंने कई पीढ़ियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया। जो राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अपना प्रभाव छोड़ गईं। आज, उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी राजनीतिक शैली इतिहास और आधुनिक भारत के गहन विचारशीलता का विषय बने हुए हैं।