ICMAI CMA जून 2025 परिणाम घोषित : इंटर व फाइनल परीक्षाओं में पासिंग रेट में गिरावट

ICMAI CMA जून 2025 परिणाम घोषित : इंटर व फाइनल परीक्षाओं में पासिंग रेट में गिरावट अग॰, 12 2025

ICMAI CMA जून 2025: मुश्किल हुई परीक्षा, पास प्रतिशत रिकार्ड निचले स्तर पर

इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICMAI) ने CMA जून 2025 सेशन की इंटरमीडिएट और फाइनल परीक्षाओं के नतीजे घोषित कर दिए हैं। नतीजे देखकर कई उम्मीदवारों को झटका लगा, क्योंकि पासिंग रेट में इस बार जबरदस्त गिरावट आई है। खास तौर पर ICMAI इंटरमीडिएट ग्रुप-I में पास प्रतिशत ने बीते कुछ सालों का सबसे निचला स्तर छू लिया है।

इंटरमीडिएट परीक्षा की बात करें तो ग्रुप-I में कुल 26,974 लिखित अभ्यर्थियों में से सिर्फ 2,864 सफल हो पाए, यानि पास प्रतिशत महज 10.62। ग्रुप-II थोड़ा बेहतर रहा, जहां 15,333 में से 4,664 पास हुए और पासिंग रेट 30.42 प्रतिशत रहा। दोनों ग्रुप्स के लिए 9,998 कैंडिडेट्स ने परीक्षा दी, जिनमें से केवल 864 (8.64 प्रतिशत) एक ग्रुप में पास हुए और 1,375 (13.75 प्रतिशत) दोनों ग्रुप्स क्लियर करने में सफल रहे। कुल मिलाकर इस बार 5,491 अभ्यर्थियों ने इंटरमीडिएट कोर्स पूरा किया।

फाइनल परीक्षा (सिलेबस 2022) के रिजल्ट्स भी उम्मीदवारों के लिए चुनौतीपूर्ण रहे। ग्रुप III में 10,503 में से 1,701 पास होने के साथ पास प्रतिशत 16.20 रहा। ग्रुप IV में 4,458 में से 1,108 उम्मीदवार सफलता हासिल कर पाए, यहाँ पास रेट 24.85 प्रतिशत रहा। दोनों ग्रुप्स में बैठने वाले कुल 3,493 में से 478 ने किसी एक ग्रुप में (13.68 प्रतिशत) और 651 (18.64 प्रतिशत) ने दोनों ग्रुप्स में पास किया।

टॉपर्स की घोषणा और क्वालिफाई करने के नियम

इंटरमीडिएट के टॉपर बने सुजल साराफ और फाइनल ओवरऑल में हंस जैन ने पहला स्थान हासिल किया। पहले घोषित CMA फाउंडेशन के टॉपर रिया पोद्दार (हावड़ा) भी सुर्खियों में रहती आई हैं, जिन्होंने जुलाई 2025 में टॉप किया था।

CMA परीक्षा पास करने के लिए हर पेपर में कम से कम 40 प्रतिशत और समग्र (aggregate) में 50 प्रतिशत नंबर जरूरी हैं। खास बात ये है कि यदि कोई उम्मीदवार किसी पेपर में 60% या उससे ज्यादा अंक लाता है, लेकिन बाकी शर्तें पूरी नहीं कर पाता, तो उसे अगले अटेम्प्ट में उस पेपर से छूट मिलती है। ऐसे पेपर का स्कोर अगले बार aggregate में 50% मान लिया जाता है।

ICMAI हर साल दो बार—जून और दिसंबर—ये परीक्षाएं आयोजित करता है। पिछले साल इंटरमीडिएट ग्रुप-I का पासिंग रेट 16.10% था, जबकि इस बार 10.62% पर आ गया। ग्रुप-II भी पिछली बार के मुक़ाबले कमजोर रहा। साफ है कि परीक्षा का स्तर बढ़ गया है और करना-कराना दोनों ही अब पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।

नतीजे देखने के लिए अभ्यर्थी icmai.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन डिटेल्स डालकर अपना रजिस्ट्रेशन रिजल्ट व मार्क्स चेक कर सकते हैं। संस्थान ने सभी सफल छात्रों के लिए मार्क्स व ग्रेड्स भी जारी किए हैं।

10 टिप्पणि

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    richa dhawan

    अगस्त 12, 2025 AT 18:53

    इन्हें सच तो बता ही दूँ, ये पासिंग रेट गिरना कोई आकस्मिक नहीं है; सरकार और ICMAI के बीच कुछ छुपी हुई साजिश है। एजेंसी के अंदर फाइलें बदल दी गईं और केवल वही लोग पास होते हैं जो उनसे जुड़े हैं।

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    Balaji S

    अगस्त 12, 2025 AT 19:03

    परिणामों को देख कर यह प्रतीत होता है कि शैक्षणिक परिदृश्य में एक विकासात्मक मोड़ आया है; कठिनाई का स्तर बढ़ा है, परन्तु यह भी एक अवसर है कि हम अपनी रणनीति को पुनः परिभाषित करें। विभिन्न समूहों के प्रदर्शन में अंतर यह संकेत देता है कि तैयारी के तरीकों में विविधता आवश्यक है।

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    Alia Singh

    अगस्त 12, 2025 AT 19:20

    ICMAI द्वारा प्रकाशित परिणामों का विस्तृत विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि परीक्षा की कठिनाई स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है; इस वृद्धि का मुख्य कारण पाठ्यक्रम में नवीनतम बदलाव और मूल्यांकन मानकों का सख्त होना है; इंटरमीडिएट ग्रुप‑I में केवल 10.62% पासिंग रेट दर्शाता है कि अभ्यर्थियों की तैयारी में प्रणालीगत कमी है; ग्रुप‑II का 30.42% भी पिछली सत्रों की तुलना में गिरावट दर्शाता है; फाइनल परीक्षा में भी ग्रुप‑III और ग्रुप‑IV क्रमशः 16.20% एवं 24.85% पासिंग रेट प्राप्त कर रहे हैं; यह आँकड़ा यह सिद्ध करता है कि न केवल सहूलियत की कमी, बल्कि प्रश्नपत्र की जटिलता में भी वृद्धि हुई है; इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि प्रत्येक पेपर में न्यूनतम 40% अंक की आवश्यकता के साथ कुल 50% अंक का एग्रीगेट मानक लागू है; यदि कोई उम्मीदवार किसी एक पेपर में 60% से अधिक अंक प्राप्त करता है, तो वह अगले प्रयास में उस पेपर से मुक्त हो सकता है; यह प्रावधान, जबकि उम्मीदवारों के लिए लाभकारी प्रतीत होता है, वास्तव में कुल पासिंग रेट को और घटा सकता है; इसलिए, अभ्यर्थियों को न केवल प्रत्येक पेपर में निरंतरता बनाए रखनी चाहिए, बल्कि समग्र एग्रीगेट स्कोर को भी संतुलित रूप से उन्नत करना चाहिए; इस उद्देश्य से, अतिरिक्त संसाधन एवं टॉपर्स के अनुभवों का अध्ययन अत्यावश्यक हो जाता है; विशेष रूप से सुजल साराफ एवं हंस जैन जैसे टॉपरों के रणनीतिक अध्ययन से साधारण उम्मीदवार भी अपना प्रदर्शन सुधार सकते हैं; संस्थान द्वारा प्रदान किए जाने वाले विस्तृत ग्रेड रिपोर्ट का विश्लेषण भी एक प्रभावी साधन हो सकता है; अंततः, यह कहा जा सकता है कि परीक्षा कठिनाई में वृद्धि तथा पासिंग मानकों में सुधार दोनों ही उम्मीदवारों की तैयारियों को परखने के उद्देश्य से किए गए कदम हैं; इसलिए, भविष्य में यदि पासिंग रेट में पुनः वृद्धि देखी जाती है, तो वह केवल संपूर्ण अध्ययन पद्धति के सुधार का प्रतीक होगा।

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    Purnima Nath

    अगस्त 12, 2025 AT 19:30

    वाह! देखो तो सही, इतने कठिन प्रश्नों के बावजूद कुछ लोग चमकते हैं; आपको भी अपना मनोबल उठाना चाहिए और टॉपर्स की रणनीति को अपनाना चाहिए। साथ ही, सकारात्मक सोच रखो, हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।

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    Rahuk Kumar

    अगस्त 12, 2025 AT 19:43

    यह डेटा मौलिक रूप से अपर्याप्त है, शीर्षक से परे कोई गहरी विश्लेषण नहीं किया गया।

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    Deepak Kumar

    अगस्त 12, 2025 AT 20:00

    सबको नमस्ते, मैं सोचता हूँ कि हम एक साथ मिलकर अध्ययन ग्रुप बना सकते हैं; इससे सामग्री को समझना आसान होगा और पासिंग रेट को भी सुधार सकते हैं।

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    Chaitanya Sharma

    अगस्त 12, 2025 AT 20:10

    बहुत बढ़िया सुझाव है, समूह में चर्चा करने से कई उलझे हुए कॉन्सेप्ट साफ हो जाते हैं; मैं भी इस पहल में शामिल हूँ।

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    Riddhi Kalantre

    अगस्त 12, 2025 AT 20:23

    देशभक्तों को यह समझना चाहिए कि हमारे संस्थान की परीक्षा को कम नहीं करने का अधिकार नहीं है; यह हमारा राष्ट्रीय गौरव है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए।

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    Jyoti Kale

    अगस्त 12, 2025 AT 20:33

    जब तक हम अपने देश के शिक्षा मानकों को नहीं उठाते, तब तक ऐसी गिरावट रहेगी; हमें तुरंत सुधार की मांग करनी चाहिए।

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    Ratna Az-Zahra

    अगस्त 12, 2025 AT 20:50

    यह स्थिति चिंताजनक है।

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