धनतेरस 2025: सोने की कीमत 67% बढ़ी, मोदी का संदेश और बाजार का अनुमान

धनतेरस 2025: सोने की कीमत 67% बढ़ी, मोदी का संदेश और बाजार का अनुमान अक्तू॰, 19 2025

जब धनतेरस 2025भारत की तैयारी तेज़ी से चल रही है, तो सोना की कीमतों ने भी धूम मचा दी है—पिछले साल के इसी त्यौहार में ₹78,493 प्रति 10 ग्राम से बढ़कर आज ₹1,30,870 तक पहुंच गई है। यह 67% का उछाल Indian Bullion and Jewellers Association Ltd (IBJA) के आंकड़ों से पुष्टि होता है, और निवेशकों व खरीदारों दोनों को एक नए सवाल की ओर धकेल रहा है: क्या इस तेज़ी को और लंबे समय तक टिकाया जा सकेगा?

धनतेरस की पूजा मुहूर्त नरेंद्र मोदी ने कल शाम X (पहले ट्विटर) पर “सभी भारतवासियों को हार्दिक धनतेरस की शुभकामनाएँ” कहकर शेयर किया, जिससे बाजार में उत्साह की लहर दौड़ गई। इस दिन (18 अक्टूबर, 2025) ट्रेडिंग सत्र में Multi Commodity Exchange (MCX) पर 24‑कैरेट सोने का दर लगभग 3% घटकर ₹1,25,957 प्रति 10 ग्राम हो गया, जबकि सितारा The Indian Express ने रिपोर्ट किया कि सिल्वर की गिरावट 8% से अधिक थी।

पिछले दो‑तीन वर्षों में सोने की कीमतों का आंकड़ा

भूले नहीं कि 10 नवंबर, 2023 को सोने का मूल्य ₹60,097 प्रति 10 ग्राम था। अब दो साल बाद, IBJA ने बताया कि द्विवर्षीय समग्र वार्षिक विकास दर (CAGR) 47.57% तक पहुंच गई है, जबकि तीन साल की CAGR 37.76% है। 2024 के दियोंली सीजन में लगभग 30% की वर्ष‑दर‑वर्ष वृद्धि देखी गई थी, तब से मूल्य में निरंतर तीव्रता आई है।

  • 2023‑11‑10: ₹60,097 /10 g
  • 2024‑10‑29 (पिछला धनतेरस): ₹78,493 /10 g
  • 2025‑10‑17: ₹1,30,870 /10 g (रिकॉर्ड उच्चतम)
  • दो‑वर्षीय CAGR: 47.57%
  • तीन‑वर्षीय CAGR: 37.76%

शहरों अनुसार सोने‑सिल्वर के दाम

भारत के बड़े मेट्रो में कीमतों में थोड़ा‑बहुत अंतर रहा। मुंबई में 24‑कैरेट सोना ₹13,277 प्रति ग्राम, 22‑कैरेट ₹12,170, जबकि दिल्ली में 24‑कैरेट ₹13,292, 22‑कैरेट ₹12,185।चेन्नई में 24‑कैरेट ₹13,309, 22‑कैरेट ₹12,200। कोलकाता का दाम भी मुंबई जैसा ही रहा।

सिल्वर की कीमतें भी काफी फरक दिखा रही थीं: चेन्नई में 10 g के लिए ₹2,030, मुंबई‑दिल्ली में ₹1,850, जबकि कोलकाता में ₹1,889। ये अंतर स्थानीय टैक्स, परिवहन और रिटेलर मार्जिन से प्रभावित है।

उपभोक्ता व्यवहार और उद्योग का अनुमान

एक तरफ, उत्तरी‑पश्चिमी भारत में परम्परागत 22‑कैरेट सोने की मांग अब भी मजबूत है, पर दूसरी ओर, उच्च कीमतों के कारण कई खरीदार हल्के कैरेट या सिक्के चुन रहे हैं। Tanishq ने बताया कि उनका 22‑कैरेट सोना ₹12,210 प्रति ग्राम है, जबकि Malabar Gold & Diamonds, Joyalukkas और Kalyan Jewellers ने समान रेंज ₹11,995‑12,210 पर डाली है।

"रिपोर्टिंग एजेंडा" (Times of India) का एक विश्लेषण कहता है कि रिकॉर्ड कीमतें बिक्री वॉल्यूम को लगभग 15% तक घटा सकती हैं, पर दियोंली सीजन की भावनात्मक महत्ता इसे पूरी तरह रोक नहीं पाएगी। एक अनाम बाजार विश्लेषक ने कहा, "अगर आप कीमतों में गिरावट के दौरान खरीदते हैं, तो फेस्टिवल के बाद रिटर्न बेहतर हो सकता है।"

भविष्य की दिशा और संभावित जोखिम

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक मुद्रास्फीति दर में स्थिरता नहीं आती, तो सोने की कीमतें अगले कुछ महीनों में फिर से बढ़ सकती हैं। वहीं, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा यदि ब्याज दरों में वृद्धि की जाती है, तो सोना एक उच्च‑व्याज वाले बंधक साधनों के मुकाबले कम आकर्षक हो सकता है।

इस बीच, निर्यात‑आधारित जौहरी कंपनियों ने कहा कि निवेशकों की "डिप पर खरीद" की प्रवृत्ति जारी रहेगी, बशर्ते वार्षिक आय में सुधार और यूएस डॉलर की मजबूती बनी रहे।

मुख्य बिंदु

  • धनतेरस 2025 का मुहूर्त 18 अक्टूबर शाम 5:36‑7:31 बजे निर्धारित (ड्राय पंचांग)।
  • सोने की कीमत 67% बढ़कर ₹1,30,870/10 g तक पहुँची।
  • MCX पर 24‑कैरेट गिरावट 3%, सिल्वर 8% गिराव।
  • मुख्य मेट्रो में 24‑कैरेट ₹13,277‑13,309/ग्राम; 22‑कैरेट ₹12,170‑12,210/ग्राम।
  • विश्लेषकों का अनुमान: हल्के कैरेट या सिक्के की ओर झुकाव, डिप पर खरीद की सलाह।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धनतेरस के दौरान सोने के दाम इतना बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?

मुख्य कारणों में वैश्विक मुद्रास्फीति, यूएस डॉलर की मजबूती, और भारतीय रिटेल जौहरी सेक्टर की मौसमी मांग शामिल हैं। साथ ही, RBI की नीतियों में बदलाव और विदेशी निवेशकों का सुरक्षित आश्रय के रूप में सोना चुनना भी असरदार रहा है।

क्या इस उच्च कीमत पर सामान्य घर में खरीदने वाले लोग सोना खरीद पाएंगे?

बहुतेरी लोग अब हल्के कैरेट (18‑22) या गोल्ड कोइन्स की ओर रुख कर रहे हैं। रिटेलर्स ने छोटे‑मोटे बजट के लिए विभिन्न आकार की सिक्के और 5‑ग्राम पैक उपलब्ध कराए हैं, जिससे कम खर्च में भी पारंपरिक रीति निभाना संभव हो रहा है।

अगर कीमतें फिर गिरें तो क्या निवेशकों को नुकसान होगा?

इतिहास ने दिखाया है कि सोने की कीमतें अल्पकालिक गिरावट के बाद अक्सर फिर से बढ़ती हैं। इसलिए विशेषज्ञ “डिप पर खरीद” की रणनीति सुझाते हैं—उच्च कीमत पर नहीं, बल्कि जब बाजार में हल्की गिरावट हो तब खरीदें, ताकि दीर्घकालिक लाभ को सुरक्षित किया जा सके।

भविष्य में सोने की कीमतों का क्या अनुमान है?

वित्तीय विश्लेषकों का राय है कि अगर वैश्विक भू‑राजनीतिक तनाव और महंगाई दर में गिरावट नहीं आती, तो कीमतें अगले 6‑12 महीनों में फिर से 10‑12% बढ़ सकती हैं। फिर भी, RBI की संभावित दर‑बढ़ोतरी इसे नियंत्रित कर सकती है।

धनतेरस के साथ कौन‑कौन सी परंपराएं जुड़ी हैं, और क्या वे मूल्य में बदलाव से प्रभावित होंगी?

धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू और ब्रास की घंटी खरीदना शुभ माना जाता है। मूल्य में अस्थायी उछाल चीज़ों की खरीद में थोड़ा कमी ला सकता है, पर परंपरागत रूप से लोग बजट के भीतर समायोजन कर लेते हैं—जैसे कम कैरेट का सोना या छोटे आकार के सिक्के—ताकि रिवाज़ बना रहे।

4 टिप्पणि

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    Heena Shaikh

    अक्तूबर 19, 2025 AT 18:33

    धनतेरस पर सोने की महँगाई, असली अइबीत की ओर संकेत करती है।

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    Chandra Soni

    अक्तूबर 27, 2025 AT 01:45

    भाई लोग, इस धधकते सोने के बाजार में डुबकी लगाने से पहले पॉइंट्स समझ ले!
    पहला, 67% की उछाल मैक्रो इकोनॉमी का साइड‑इफ़ेक्ट है, नहीं तो रिटेलर की प्रोमोशन।
    दूसरा, अगर आप डिप पर खरीदना चाहते हैं तो 5‑ग्राम की कॉइन से शुरू करो, बड़े लॉट्स नहीं।
    तीसरा, RBI की ब्याज नीति के मॉड्यूल को ट्रैक करो, क्योंकि वो सोने की आकर्षण को सीधे प्रभावित करता है।
    चलो, इस तहेदिल से कहूँ‑ इस जश्न में थोड़ा समझदारी जोड़ो, वरना पैसे पानी में घुल जाएंगे।

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    Kanhaiya Singh

    नवंबर 3, 2025 AT 08:57

    आज के आर्थिक माहौल में सोने की कीमतें मूल्य संरक्षण का साधन बन गई हैं। इस कारण निवेशकों को सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना आवश्यक है।

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    prabin khadgi

    नवंबर 10, 2025 AT 16:09

    धनतेरस के अवसर पर सोने की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल, एक गहरी आर्थिक संरचना की प्रतिबिंब है।
    पहले, वैश्विक मुद्रास्फीति दरों में निरंतर बढ़ोतरी, निवेशकों को सुरक्षित आश्रय की तलाश में सोने की ओर धकेलती है।
    दूसरे, यूएस डॉलर की मजबूती, भारतीय रूपये के मुकाबले सोने को सस्ता बनाती है, जिससे आयात‑आधारित जौहरी उद्योग को फायदा होता है।
    तीसरे, RBI की मौद्रिक नीति में परिवर्तन, विशेषकर बयास दरों में संभावित वृद्धि, सोने की आकर्षण को घटा सकती है।
    चौथे, मौसमी मांग, विशेष रूप से धनतेरस और दीवाली के दौरान, 22‑कैरेट सोने की बिक्री को तीव्र बनाती है, जिससे सप्लाई‑डिमांड समीकरण बदलता है।
    पाँचवे, भौगोलिक मूल्य अंतर, जैसे मुंबई बनाम दिल्ली, कर एवं परिवहन लागत से उत्पन्न होता है, जिससे विभिन्न शहरों में कीमतों में मामूली वैरिएशन दिखती है।
    छठे, जौहरी कंपनियों की इन्वेंट्री रणनीति, जो बाजार उतार‑चढ़ाव को संतुलित करने के लिए विभिन्न कैरेट विकल्पों को पेश करती है।
    सातवें, निवेशकों का व्यवहार, जहाँ कई लोग हल्के कैरेट या सिक्के की ओर झुकाव दिखा रहे हैं, ताकि उच्च मूल्य के बावजूद बजट के भीतर रह सकें।
    आठवें, ऐतिहासिक डेटा, जैसे 2023‑2025 के बीच CAGR, यह बताता है कि दीर्घकालिक वृद्धि संभावित है, पर अल्पकालिक अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
    नौवें, बाजार विश्लेषकों की भविष्यवाणी, कि यदि भू‑राजनीतिक तनाव जारी रहता है तो कीमतें अगले छह महीने में 10‑12% तक बढ़ सकती हैं।
    दसवें, सोने की कीमतों का प्रभावी प्रबंधन, निवेशकों को पोर्टफ़ोलियो में विविधता लाने की सलाह देता है, ताकि जोखिम को सीमित किया जा सके।
    ग्यारहवें, सरकारी नीतियों का प्रभाव, जैसे आयकर में बदलाव, जो सोने की खरीदारी को प्रोत्साहित या हतोत्साहित कर सकता है।
    बारहवें, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सोने के फ्यूचर्स ट्रेडिंग, जो छोटे निवेशकों को बाजार में प्रवेश आसान बनाता है।
    तेरहवें, उपभोक्ता मनोविज्ञान, जिसमें कई लोग महंगाई के डर से सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं।
    चौदहवें, अंततः, व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति, जो तय करती है कि कौन सा कैरेट या वजन सबसे उपयुक्त है।
    पंद्रहवें, हमें याद रखना चाहिए कि सोना केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक है, जो परम्पराओं को भी संजोए रखता है।
    छहteenवें, इस सबको मिलाकर, यह स्पष्ट हो जाता है कि केवल कीमतों के आँकड़े नहीं, बल्कि व्यापक आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक मिलकर इस उछाल को आकार देते हैं।

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