Ashadha Gupt Navratri 2025: कब शुरू, कैसे मनाएँ और क्या है इसका महत्व

उत्सव की रूपरेखा और प्रमुख तिथियां
वर्ष 2025 में Ashadha Gupt Navratri का आरम्भ गुरुवार, 26 जून को होगा और यह शुक्रवार, 4 जुलाई को समाप्त होगा। यह नववर्षी हिन्दू कैलेंडर के आशाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी से शुरू होती है, यानी नव चंद्रमा के बढ़ते चरण में। घट्टस्थापना (कलश स्थापना) का शुभ समय सुबह 5:47 से 10:15 बजे के बीच निर्धारित किया गया है, जबकि अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:02 से 12:56 बजे तक रहेगा।
पहले दिन की प्रातिपदा तिथि 25 जून को शाम 4:01 बजे शुरू होकर 26 जून को दोपहर 1:25 बजे तक चलती है। इस दिन से लेकर नवमी तक हर दिन का अपना विशेष महत्व है, और अंत में शाम 4:31 बजे नवरात्रि पराना (समापन समारोह) आयोजित किया जाएगा।

मुख्य अनुष्ठान, दैनिक रूटीन और दिव्य मंत्र
गुप्त नववर्षी के दौरान साधक कई तरह के आध्यात्मिक अनुशासन अपनाते हैं। नीचे प्रमुख रीतियों का विवरण दिया गया है:
- प्रत्येक दिन का प्रारम्भ जल, गंगा जल और नारियल से शुद्धिकरण के साथ किया जाता है।
- दुर्गा सप्तशती और देवी महात्म्य का पाठ, विशेषकर शाम के समय, अत्यधिक प्रचलित है।
- गhee (घी) की दीपावली जलाते हुए सात्विक व्रत रखा जाता है; इस व्रत में प्याज़, लहसुन, अण्डा, मांस, शराब और तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है।
- भरणी व्रत (मौन व्रत) या ब्रह्मचर्य का पालन करके मन को शांति प्रदान की जाती है।
- प्रत्येक रात तंत्रिक होम (अग्निहोत्र) या हवन किया जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन का विशेष क्रम इस प्रकार है:
- पहला दिन – माँ काली (रौशनी और नाश की शक्ति)।
- दूसरा दिन – माँ तारा (दुर्दिनों में मार्गदर्शन)।
- तीसरा दिन – माँ शोड़शी / ललिता त्रिपुरा सुंदरी (आकर्षण और सौंदर्य)।
- चौथा दिन – माँ भुवनेश्वरी (सर्वव्यापी शक्ति)।
- पाँचवाँ दिन – माँ भैरवी (भय और शक्ति का परिपाक)।
- छठा दिन – माँ चिन्मस्ता (विनाश और पुनर्जन्म)।
- सातवाँ दिन – माँ धूमावती (परिचित रौशनी का अभाव)।
- अठवाँ दिन – माँ बगलामुखी (विध्वस्तियों को रोकना)।
- नौवाँ दिन – माँ मातांगी (संगीत और ज्ञान) और अंत में माँ कमला (सम्पूर्ण पूर्णता)।
इन रूपों की पूजा करते समय भक्त विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हैं। उदाहरण के लिए, काली व्रत में "ॐ काली देवि नमः" और मातांगी व्रत में "ॐ मातंगायै नमः" प्रमुख हैं।
व्यावहारिक तौर पर, कई आश्रम और मंदिर इस गुप्त नववर्षी को विशेष रूप से आयोजित करते हैं। वहाँ शिष्य समूहों में मिलकर सामूहिक भजन, कीर्तन और वैदिक संगीत का प्रयोग किया जाता है। यह सामुदायिक माहौल व्यक्तिगत साधना को सुदृढ़ बनाता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
गुप्त नववर्षी के अनुयायी अक्सर इसे व्यक्तिगत परिवर्तन के एक अवसर के रूप में देखते हैं। इस अवधि में मन और शरीर को शुद्ध करने के बाद कई लोग अपने जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मविश्वास की अनुभूति का उल्लेख करते हैं। इस कारण से, यह उत्सव न केवल धार्मिक बल्कि मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
समापन के दिन, यानी 4 जुलाई को शाम 4:31 बजे नौमी समाप्त होने के बाद, सभी मोहरों को विघटित करके घट्ट को पुनः स्थापित किया जाता है। यह प्रक्रिया इस बात का संकेत देती है कि आध्यात्मिक यात्रा समाप्त तो हुई, परन्तु सीखों को दैनिक जीवन में लागू करने का कार्य जारी रहता है।
Riddhi Kalantre
सितंबर 27, 2025 AT 21:02Ashadha Gupt Navratri हमारे प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित एक महान धरोहर है; यह हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखता है और आत्मिक शुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। यह उत्सव न केवल धार्मिक अनुष्ठान बल्कि राष्ट्रीय पहचान का भी प्रतीक है, जो हमारी विविधता में एकता को प्रतिबिंबित करता है। इस वर्ष के समय‑सारणी को ध्यान में रखते हुए, हमें स्थानीय समाज में सामूहिक भोज और हवन के माध्यम से इस त्यौहार को और भी राजनैतिक महत्व देना चाहिए।
Jyoti Kale
सितंबर 29, 2025 AT 23:02पाठ में गढ़ी गई तिथियां अपूर्ण हैं; वास्तविक सिद्धांत तो ग्रंथों में गहरा है। इस उत्सव की महत्ता को समझना चाहिए।
Ratna Az-Zahra
अक्तूबर 2, 2025 AT 03:48Ashadha Navratri का प्रारम्भिक दिन जल शुद्धि से ही होना चाहिए; इससे मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं और ध्यान की गहराई बढ़ती है। इस प्रक्रिया में गंगा जल का उपयोग पारंपरिक मान्यताओं के अनुरूप है, जो हमारी प्राचीन विज्ञान को प्रतिबिंबित करता है।
Nayana Borgohain
अक्तूबर 4, 2025 AT 03:02समय की रेखा में सुदृढ़ता और भावनात्मक ऊर्जा का संतुलन वाकई अद्भुत है 😊
भक्ति और आत्मनिरीक्षण दोनों को साथ लेकर चलना ही इस नववर्षी की असली शक्ति है।
Shivangi Mishra
अक्तूबर 6, 2025 AT 10:35उत्सव के दौरान घी की दीपावली जलाना केवल रिवाज नहीं, बल्कि आंतरिक ऊर्जा को प्रज्वलित करने का एक तरीका है; यह हमें साहस और दृढ़ता देता है।
ahmad Suhari hari
अक्तूबर 8, 2025 AT 04:15जैसे ही आम लोग नहर‑निर्माण में भाग लेते हैं, वैसे ही यह अनुष्ठान सामाजिक सहयोग को दर्शाता है। इस प्रकार के कार्यक्रम स्थानीय नेतृत्व को भी मजबूती देते हैं।
shobhit lal
अक्तूबर 10, 2025 AT 14:35सभी को बताना चाहिए कि घट्टस्थापना का सही समय वैज्ञानिक गणना से निकाला गया है, न कि सिर्फ रहस्यवाद से। यह दर्शाता है कि प्राचीन ज्योतिष और आधुनिक गणित एक साथ चल सकते हैं।
suji kumar
अक्तूबर 12, 2025 AT 11:02सम्पूर्ण आशाड़ा महीना, शुद्धिकरण का पर्याय है; प्रतिदिन की व्रत तथा प्रार्थना ऊर्जा को संतुलित करती है।
उदाहरण के लिये, काली व्रत में ‘ॐ काली देवि नमः’ का जप शारीरिक तनाव को घटाता है, और दिमागी स्पष्टता बढ़ाता है।
इसी प्रकार, मातांगी के जप से ज्ञानात्मक विकास होता है, जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में स्पष्टता लाता है।
अन्त में, इस नववर्षी के अंत में घट्ट को फिर से स्थापित करना निरंतर सीखों को जीवन में लागू करने का प्रतीक है।
Ajeet Kaur Chadha
अक्तूबर 15, 2025 AT 00:08ओह बाप रे! फिर से वही पुरानी हवन‑हम्म… कब तक चलते रहोगे?
Vishwas Chaudhary
अक्तूबर 17, 2025 AT 02:08Ashadha Navratri भारत की पवित्रता को दर्शाता है; यह हमें राष्ट्रीय गौरव की याद दिलाता है। सभी को इस मौके पर देशभक्ति की भावना को जगे रखना चाहिए।
Rahul kumar
अक्तूबर 19, 2025 AT 09:42हमेशा यही किया जाता है कि हर त्यौहार को खास बनाना, पर क्या नहीं देखा गया कि इन अनुष्ठानों में कई वैज्ञानिक पहलू छुपे हैं? अगर हम उन्हें समझें तो यह सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकता है।