अगर कोई कंपनी कुछ चुनिंदा निवेशकों को सीधे शेयर देती है तो उसे प्रेफरेंशियल इश्यू या प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट कहते हैं। यानी पब्लिक इश्यू की तरह आम लोगों को नहीं, बल्कि चयनित व्यक्तियों या संस्थाओं को शेयर दिए जाते हैं — कभी-कभी प्रोमोटर्स, निवेश फंड या स्ट्रेटेजिक पार्टनर को। इसका मकसद तेज़ी से पूँजी जुटाना, किसी विशेष निवेशक को कंपनी में हिस्सेदारी देना या कर्ज़ घटाना हो सकता है।
साधारण तौर पर कंपनी का बोर्ड प्रपोज़ल पास करता है, फिर शेयरहोल्डर्स की मंज़ूरी के लिए स्पेशल रज़ोल्यूशन लिया जाता है। कंपनी को नियमों के मुताबिक प्राइसिंग, अलॉटमेंट और रिपोर्टिंग की जानकारी देनी होती है — खासकर अगर यह लिस्टेड कंपनी है तो SEBI के नियम भी लागू होते हैं। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ में फाइलिंग और जरूरी डिस्क्लोज़र भी किए जाते हैं ताकि पारदर्शिता बने।
प्राइसिंग अक्सर मार्केट बेंचमार्क या वैल्यूएशन के आधार पर तय होती है। कंपनी और निवेशक के बीच रिलेटेड‑पार्टी डील हो तो अतिरिक्त पारदर्शिता चाहिए होती है ताकि छोटे निवेशकों के हक़ों का संरक्षण हो।
फायदे: कंपनी के लिए यह तेज़ और कम कागज़ी काम के साथ पूँजी जुटाने का तरीका है। स्ट्रेटेजिक निवेशक मिलने पर बिज़नेस ग्रोथ में मदद मिल सकती है। दूसरी तरफ, प्रोमोटर के लिए कंट्रोल बनाये रखने या नए पार्टनर को लाने जैसा फ़ायदा हो सकता है।
जोखिम: मौजूदा शेयरहोल्डर्स का डायल्यूशन (हिस्सेदारी पतली होना) और अगर कीमत कम तय हो जाए तो छोटे निवेशकों का नुकसान। रिलेटेड‑पार्टी ट्रांजैक्शन में नेपोटिज़्म या अनफेयर प्राइसिंग का खतरा बन सकता है। नियमों का उल्लंघन और डिस्क्लोज़र की कमी कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर असर डालती है।
निवेशक के लिए क्या देखें? कंपनी की अलॉटमेंट की रिपोर्ट पढ़ें, अलॉट किए गए लोगों के नाम और वे किस कीमत पर मिले — यह देखना ज़रूरी है। ज्ञात करें कि मिले पैसे का इस्तेमाल कहां होगा: डेब्ट चुकाना, विस्तार या रोज़मर्रा का खर्च? अगर यह रिलेटेड‑पार्टी डील है तो और सतर्क रहें।
किस तरह की कंपनियों को सूट करता है? स्टार्टअप और ग्रोथ‑फेज की कंपनियां अक्सर प्रेफरेंशियल इश्यू से फंड उठाती हैं क्योंकि यह तेज़ और लचीला होता है। बड़े पब्लिक कंपनी भी रणनीतिक कारणों से ऐसा कर सकती हैं — जैसे को-इन्वेस्टर लाना या कन्जोलिडेशन।
अंत में, अगर आप निवेश की सोच रहे हैं तो कंपनी के डिस्क्लोज़र, निगमन दस्तावेज़ और नियामक फाइलिंग (ROC/SEBI) चेक कर लें। समझ लें कि अलॉटमेंट किस कीमत पर और कौन सा निवेशक आया — यही बातें बड़े फर्क डालती हैं। इस टैग पर आप ऐसे ही अपडेट और आसान गाइड पढ़ते रहिए ताकि फैसले सूझबूझ से ले सकें।
रिलायंस पावर के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 1,525 करोड़ रुपये के प्रेफरेंशियल इश्यू को मंजूरी दी है, जिसमें 46.20 करोड़ इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे। इस इश्यू की कीमत 33 रुपये तय की गई है, जो सोमवार के बंद भाव से 13% की छूट पर है। इस इश्यू में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और अन्य निवेशक भाग लेंगे।
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