एडीएचडी (ADHD) ध्यान और व्यवहार से जुड़ा एक सामान्य न्यूरोविकास संबंधी हालात है। यह सिर्फ बच्चों का मुद्दा नहीं—कई वयस्कों में भी लक्षण रहते हैं। अगर ध्यान बनाये रखना मुश्किल लगता है, बार-बार चीज़ें भूल जाती हैं, या काम अधूरा छोड़ने की आदत है, तो एडीएचडी की संभावना हो सकती है।
एडीएचडी के मुख्य लक्षण तीन समूह में आते हैं: ध्यान की कमी, अति सक्रियता और आवेगशीलता। ध्यान संबंधित लक्षणों में बार-बार ध्यान भटकना, निर्देशों का पालन न कर पाना और लंबे समय तक बैठ न रह पाना शामिल है। अति सक्रियता में बार-बार हिलना-डुलना या चुप न बैठ पाना आता है। आवेगशीलता में बिना सोचे बोल देना या कतार में धैर्य न रखना दिखता है।
निदान केवल लक्षण देखकर किया जाता है—डॉक्टर या क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट पिछली घटनाओं, स्कूल/काम की रिपोर्ट्स और व्यवहार का मूल्यांकन करते हैं। कभी-कभी शिक्षक या परिवार से पूछताछ, स्केल और प्रश्नावली भी उपयोग की जाती हैं। यदि आप या आपका बच्चा इन लक्षणों से प्रभावित है तो मनोचिकित्सक या न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
छोटे-छोटे नियम और दैनिक रूटीन बहुत काम करते हैं। काम को छोटे हिस्सों में बाँटें और हर हिस्से के बाद ब्रेक दें। विज़ुअल शेड्यूल या चेकलिस्ट से ध्यान केंद्रित रखने में मदद मिलती है। सकारात्मक बोले—कठोर सज़ा से काम कम बिगड़ता है, लेकिन छोटी-छोटी तारीफें और रिवॉर्ड्स असर दिखाते हैं।
स्कूल या ऑफिस में सपोर्ट मांगने से नहिं हिचकिचाइए। शिक्षक/मैनेजर को बताएं कि किस तरह के बदलाव से काम बेहतर होगा—जैसे काम देने का तरीका, अतिरिक्त समय या बैठने की व्यवस्था।
मेडिकल और थेरेपी विकल्प भी होते हैं। व्यवहारिक थेरेपी, कौशल प्रशिक्षण और कुछ मामलों में दवा (स्टिमुलेंट्स या नॉन-स्टिमुलेंट्स) मददगार साबित होते हैं। किसी भी दवा को लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।
वयस्कों के लिए टाइम-मैनेजमेंट के साधन, स्मार्टफोन अलार्म और ऐप्स उपयोगी होते हैं। ध्यान भंग करने वाली चीजें कम करें—वर्क स्पेस साफ रखें और जरूरी कामों की प्राथमिकता तय करें।
एडीएचडी का मतलब कम बुद्धिमत्ता नहीं होता। अक्सर रचनात्मकता, ऊर्जा और अलग सोच साथ आती है। सही सहायता मिलने पर व्यक्ति अपने स्किल्स को बहुत बेहतर ढंग से उपयोग कर सकता है।
अगर लक्षण रोज़मर्रा की ज़िंदगी, पढ़ाई या नौकरी पर असर डाल रहे हों तो प्रोफेशनल मदद लें। छोटा कदम—डॉक्टर से संपर्क कर जानकारी लेना—कई बार बड़ा फर्क बना देता है।
अभिनेता फहद फासिल, जिन्हें 'आवेशम' जैसी फिल्मों में उनके किरदारों के लिए जाना जाता है, ने 41 वर्ष की आयु में एडीएचडी का निदान होने की बात साझा की। यह खुलासा कोठामंगलम में एक स्कूल के उद्घाटन समारोह के दौरान हुआ, जो विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के पुनर्वास पर केंद्रित है। फहद की यह ईमानदारी मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के प्रति जागरूकता का महत्व उजागर करती है।
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