क्या आपका बच्चा बार-बार ध्यान भटका देता है, काम अधूरा छोड़ देता है या आसानी से बेचैन हो जाता है? या आप खुद रोज़मर्रा के कार्यों में बार-बार गड़बड़ी महसूस कर रहे हैं? ये संकेत ध्यान और गतिविधि विकार (ADHD) की तरफ इशारा कर सकते हैं। ADHD कोई आलस्य नहीं, बल्कि दिमाग़ की व्यवहारिक शैली है जिसे समझकर संभाला जा सकता है।
ADHD के मुख्य तीन पैटर्न होते हैं: ध्यान न टिकना (Inattentive), अत्यधिक गतिविधि/बेचैनी (Hyperactive-Impulsive), या इन दोनों का मिश्रण। बच्चों में यह पढ़ाई में गलती, निर्देशों को न समझ पाना, चीज़ों को खो देना और क्लास में बार-बार उठना जैसे दिखता है। वयस्कों में भरोसा रखना मुश्किल, समय प्रबंधन में परेशानी, और कार्य बीच में छोड़ने की आदत आम है।
ध्यान दें: जो लक्षण सिर्फ स्कूल या सिर्फ घर में हैं, वे अक्सर ADHD की निशानी नहीं होते। सामान्यत: लक्षण कम से कम 6 महीने से कई जगह (घर, स्कूल, काम) दिखते हैं और रोज़मर्रा के कामकाज को प्रभावित करते हैं। सही पहचान के लिए डॉक्टर या मनोचिकित्सक से मूल्यांकन ज़रूरी है।
ADHD का इलाज व्यक्तिगत होता है — बच्चों और वयस्कों के लिए अलग ज़रूरतें होती हैं। आम तौर पर तीन चीज़ें मददगार होती हैं: व्यवहारिक थेरेपी, संरचना व रूटीन, और जब ज़रूरी हो तो दवा। दवा सिर्फ डॉक्टर की सलाह से लें; आम दवाओं में स्टिम्युलेंट (जैसे मेथाइलफेनिडेट) और नॉन-स्टिम्युलेंट विकल्प होते हैं जो कुछ लोगों के लिए फायदेमंद साबित होते हैं।
रोज़मर्रा के सरल टिप्स तुरंत आज़माएँ: छोटे-छोटे कार्यों में तोड़कर टाइमर रखें, महत्वपूर्ण कामों की चेकलिस्ट बनाएं, मोबाइल नोटिफ़िकेशन कम करें, और नियमित नींद का समय तय करें। बच्चों के लिए क्लासरूम में आगे की सीट, स्पष्ट निर्देश और पुरस्कार-आधारित सिस्टम उपयोगी रहते हैं। वयस्क काम पर टू-डू लिस्ट, कैलेंडर रिमाइंडर और शॉर्ट ब्रेक लेकर ध्यान बनाये रख सकते हैं।
माता-पिता और शिक्षकों के लिए: बच्चे की ताकत पर फोकस करें। व्यवहार बदलने के लिए छोटे लक्ष्य रखें और लगातार सकारात्मक फीडबैक दें। पारिवारिक नियम सरल रखें और रोज़मर्रा के कामों के लिए विज़ुअल रूटीन बनाएं (जैसे चित्र या शेड्यूल बोर्ड)।
कब डॉक्टर से मिलें? अगर लक्षण पढ़ाई, काम या रिश्तों को प्रभावित कर रहे हैं, बार-बार मुश्किल आ रही है, या आप खुद स्थिति समझने में असमर्थ हैं — तब विशेषज्ञ की मदद लें। सही निदान और समय पर हस्तक्षेप से जीवन काफी बेहतर बन सकता है।
अगर आपको संदेह है, छोटे टेस्ट्स और एक डॉक्टर की सलाह से शुरुआत करें। तुरंत बदलाव नहीं दिखे तो धैर्य रखें—ADHD में लगातार कोशिश और सही योजना से बड़ा फर्क पड़ता है।
अभिनेता फहद फासिल, जिन्हें 'आवेशम' जैसी फिल्मों में उनके किरदारों के लिए जाना जाता है, ने 41 वर्ष की आयु में एडीएचडी का निदान होने की बात साझा की। यह खुलासा कोठामंगलम में एक स्कूल के उद्घाटन समारोह के दौरान हुआ, जो विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के पुनर्वास पर केंद्रित है। फहद की यह ईमानदारी मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के प्रति जागरूकता का महत्व उजागर करती है।
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