जब बारिश बंद नहीं होती, हवाएं तेज़ हो जाती हैं, और पहाड़ों से मिट्टी फिसलने लगती है — तो उसका नाम चक्रवात, एक भयानक जलवायु घटना जो समुद्र से ऊपर उठकर भूमि पर बरसती है होता है। चक्रवात मोंथा ऐसा ही एक नाम है, जिसे आपने समाचारों में सुना होगा — न केवल एक शब्द, बल्कि एक वास्तविकता जिसने दरजिलिंग और मिरिक के हज़ारों लोगों के जीवन बदल दिए। यह कोई फिल्म का दृश्य नहीं, बल्कि 5 अक्टूबर 2025 की वह रात थी, जब बारिश ने आयरन ब्रिज को तोड़ दिया, रास्ते बंद कर दिए, और 20 से अधिक लोगों की जान ले ली।
चक्रवात मोंथा जैसी घटनाएं अब सिर्फ़ तूफान नहीं, बल्कि बाढ़, जब जमीन पर पानी का स्तर इतना बढ़ जाता है कि घर, रास्ते और खेत डूब जाएं और भूस्खलन, पहाड़ों की मिट्टी का अचानक नीचे फिसलना, जिससे गांव दब जाते हैं का कारण बन जाती हैं। इन तीनों के बीच का संबंध सीधा है: चक्रवात बहुत ज़्यादा बारिश लाता है, बारिश से नदियां उफन जाती हैं — बाढ़ आती है — और नमी से पहाड़ों की मिट्टी ढीली हो जाती है — भूस्खलन हो जाता है। यह एक श्रृंखला है, जिसका एक टुकड़ा टूट गया तो पूरा नेटवर्क गिर जाता है। दरजिलिंग में जो हुआ, वह इसी श्रृंखला का एक उदाहरण है। यहाँ की बारिश ने सिर्फ़ रास्ते नहीं बंद किए, बल्कि जीवन के आधार को भी तोड़ दिया।
इस तरह के चक्रवात अब सिर्फ़ तटीय इलाकों का मुद्दा नहीं रहे। अब ये पहाड़ी इलाकों तक पहुँच गए हैं। और जब ये आते हैं, तो वे बस बारिश नहीं लाते — वे बाजार, बिजली, स्वास्थ्य और भविष्य को भी बदल देते हैं। इसी वजह से जब आप चक्रवात मोंथा के बारे में पढ़ते हैं, तो आपको सिर्फ़ एक तूफान की खबर नहीं, बल्कि एक पूरे क्षेत्र के जीवन की कहानी मिलती है। यहाँ आपको उन पोस्ट्स में ऐसे ही असली घटनाओं के विवरण मिलेंगे — जिनमें बाढ़ के बाद का जीवन, भूस्खलन के बाद की राहत कार्रवाई, और उन लोगों की कहानियाँ शामिल हैं जिन्होंने इन आपदाओं को जिंदा बचकर देखा है।
चक्रवात 'मोंथा' 28 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश तट पर 110 किमी/घंटा की रफ्तार से टकराएगा। आईएमडी ने ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
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