पिछले कुछ सालों में भारतीय स्पेस इंडस्ट्री तेज़ी से बदल रही है। ISRO पर भरोसा तो बना हुआ है, लेकिन अब प्राइवेट कंपनियाँ, सरकार की नई नीतियाँ और कम कीमत वाले लांच विकल्प बाजार को हिला रहे हैं। क्या आप स्पेस तकनीक में काम करना चाहते हैं या निवेश-समाचार ढूँढ रहे हैं? यह पेज उसी के लिए है — सीधे, साफ और उपयोगी जानकारी के साथ।
ISRO अभी भी प्रमुख मिशन और बुनियादी ढांचे का नेतृत्व कर रहा है — PSLV, GSLV और राष्ट्रीय मिशनों के जरिए। साथ ही NSIL और IN-SPACe ने निजी क्षेत्र के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं। Skyroot, Agnikul, Bellatrix जैसी स्टार्टअप्स छोटे उपग्रह लॉन्चर, प्रोपल्शन और सैटेलाइट-सर्विस में काम कर रही हैं। यही बदलाव कम लागत, तेज़ विकास और अधिक प्रतियोगिता ला रहा है।
मिशन की बात करें तो चंद्रयान, आदित्य और भू-सम्बंधित प्रोजेक्ट लगातार चर्चा में रहते हैं। छोटे सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन, पृथ्वी अवलोकन सेवाएँ और कनेक्टिविटी (ब्रॉडबैंड स्पेस-सर्विस) नए व्यावसायिक अवसर हैं।
अगर आप करियर बनाना चाहते हैं तो एयरोस्पेस, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस और सिस्टम इंजीनियरिंग पर ध्यान दें। सॉफ्टवेयर (एंबेडेड सिस्टम, कंट्रोल एल्गोरिद्म), प्रोपल्शन और सैटेलाइट कम्युनिकेशन प्रमुख स्किल्स हैं। इंटर्नशिप के लिए ISRO, NARL, DRDO और प्राइवेट स्टार्टअप्स की वेबसाइट्स देखें। LinkedIn पर स्पेस कंपनियों को फॉलो करें और स्थानीय स्पेस मीटअप/हैक्सथॉन में शामिल हों।
निवेशक हैं तो सैटेलाइट-सर्विस, क्लाउड-बेस्ड अर्थ-ऑब्ज़र्वेशन, और लांच-सर्विसेज में दीर्घकालिक संभावनाएँ दिखती हैं। कंपनी की टेक्नोलॉजी, पायलट प्रोजेक्ट और रेगुलेटरी क्लियरेंस देखें। भारत में IN-SPACe और NSIL जैसी संस्थाएँ प्राइवेट प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी देती हैं — इन्हें समझना जरूरी है।
खबरें और अपडेट चाहते हैं तो आधिकारिक स्रोत (ISRO.gov.in, IN-SPACe), उद्योग रिपोर्ट और भरोसेमंद समाचार साइट्स को नियमित फॉलो करें। हमारी "भरोसेमंद समाचार" साइट पर यह टैग पेज भारतीय स्पेस इंडस्ट्री से जुड़े ताज़ा लेख और एनालिसिस दिखाता है — रोज़ाना चेक करें ताकि आप बड़े फैसलों से पहले पूरी जानकारी रख सकें।
अवसर साफ हैं: तकनीक, सेवाएँ और डेटा-आधारित बिजनेस मॉडल जल्दी उभर रहे हैं। चुनौतियाँ भी हैं — फंडिंग, सप्लाई-चेन और अंतरराष्ट्रीय नियम — पर जो टेक्नोलॉजी-फोकस्ड टीम्स हैं, उनके लिए रास्ते खुल रहे हैं। अगर आप स्पेस में कदम रख रहे हैं तो छोटे प्रोजेक्ट से शुरू करें, पायलट बनाएं और नेटवर्क पर काम करें। भारतीय स्पेस इंडस्ट्री बढ़ रही है — और अब इसमें भाग लेना आसान और ज़रूरी दोनों है।
30 मई, 2024 को, भारतीय स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट अग्निबाण का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह भारत का पहला निजी तौर पर विकसित सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन है। यह प्रक्षेपण इसरो के थुम्बा इक्वैटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन, केरल में हुआ।
आगे पढ़ें