बकरीद का मतलब है कुर्बानी और साथ में समुदाय, दया और शेयरिंग का मौसम। अगर आप पहली बार देख रहे हैं या हर साल थोड़ी बेहतर तैयारी करना चाहते हैं तो ये पेज आपके काम आएगा। इसमें तारीख कैसे तय होती है, कुर्बानी के नियम क्या हैं, और खरीदारी-रसोई के आसान सुझाव मिलेंगे।
बकरीद की तारीख चांद और हिजरी कैलेंडर के हिसाब से तय होती है। हर साल यह बदलती है, इसलिए आधिकारिक मस्जिद या स्थानीय मुस्लिम बोर्ड की घोषणा पर नजर रखें। सुबह की नमाज़ अक्सर खुले मैदान या मस्जिद में होती है। नमाज़ से पहले नहाना और अच्छे कपड़े पहनना आम रिवाज है। मौलाना या स्थानीय इमाम अक्सर नमाज़ के बाद छोटा भाषण देते हैं और फिर कुर्बानी के निर्देश साझा करते हैं।
कुर्बानी का मुख्य मकसद अल्लाह की रजा और गरीबों के साथ बांटना है। जानवर चुनते समय ध्यान दें: स्वस्थ होना चाहिए, पर्याप्त उम्र पूरी हो और बिना कोई बड़ी कमी के। क्या आप व्यक्तिगत रूप से कुर्बानी कर रहे हैं या फंड के जरिए दे रहे हैं? दोनों सही हैं। अगर आप फिजिकल खरीद रहे हैं तो शाम से पहले बाइक या ट्रक की व्यवस्था और स्वास्थ्य प्रमाण देख लें।
कुर्बानी करने का तरीका भी सीधा है: धारदार चाकू का इस्तेमाल करें, शान्ति बनी रहे और जानवर को तकलीफ न हो। अधिकतर लोग मांस का एक हिस्सा परिवार में रखते हैं, एक हिस्सा रिश्तेदारों को देते हैं और एक हिस्सा गरीबों को दान कर देते हैं। अगर आप मांस पैक करवा रहे हैं तो साफ और ठंडे स्टोरेज का ध्यान रखें।
हाइजीन पर खास ध्यान दें: कटाई के बाद हाथ-मोर्चे और खाना बनाने की सतह साफ रखें। यदि आप किसी प्रोफेशनल स्लॉटर या सर्विस का उपयोग कर रहे हैं, तो उनकी लाइसेंस और साफ-सफाई की स्थिति पहले देख लें।
खरीदारी के समय बातचीत करें और कीमतें पहले तय कर लें। बकरियों और भेड़ों के लिए वजन और उम्र पूछना जरूरी है। कुछ जगहों पर कुर्बानी के लिए पैकेज मिलते हैं — उसमें खरीद, काटना और पैकिंग सब शामिल होता है, जो सुविधाजनक होते हैं।
खाने के लिए आसान रेसिपी टिप: बड़े टुकड़ों को धीमी आंच पर दही, हल्दी, नमक और थोड़ा सरसों का तेल डालकर पकाएं—ठीक बिरयानी जैसा बेस बनता है। कटे मांस को फ्रिज में जल्दी रखें और 24-48 घंटे के भीतर उपयोग करें या फ्रीज कर लें।
अंत में, बकरीद पर दान करना मत भूलें। कई लोग स्थानीय मदरसों, अनाथालयों या जरूरतमंद परिवारों को सीधे मांस या पैकेज भेजते हैं। इससे त्यौहार का असली मतलब पूरा होता है—खुशी बाँटना। शुभ बकरीद!
ईद-उल-अज़हा, जिसे बकरीद भी कहते हैं, इस्लामी चंद्र कैलेंडर के धू अल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है। यह पर्व पैगंबर इब्राहीम द्वारा अपने बेटे इस्माइल की बलि देने की तत्परता की याद में मनाया जाता है। लेख में इस महत्वपूर्ण इस्लामी त्योहार पर साझा करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ, छवियाँ, व्हाट्सएप संदेश और प्रेरणादायक उद्धरण शामिल हैं।
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