3डी प्रिंटेड रॉकेट उन रॉकेट हिस्सों को कहते हैं जिन्हें परंपरागत कास्टिंग या मशीनिंग की बजाय लेयर-बाय-लेयर प्रिंट करके बनाया जाता है। यह तरीका डिजाइन की आज़ादी देता है, पार्ट्स कम और हल्के हो सकते हैं, और प्रोडक्शन तेज बनता है। अगर आप टेक या अंतरिक्ष खबरें देखते हैं तो यह शब्द अक्सर सुनने को मिलेगा।
आसान शब्दों में, 3डी प्रिंटेड रॉकेट वही रॉकेट हैं जिनके इंजन, टैंक या संरचनात्मक हिस्से एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग से बने होते हैं। सामग्री में मेटल पाउडर (जैसे इनकोनेल या स्टेनलेस स्टील) और कभी-कभी उच्च-प्रदर्शन पोलिमर शामिल होते हैं। बड़े प्रिंटर जैसे SLM (Selective Laser Melting), DED (Directed Energy Deposition) और WAAM (Wire Arc Additive Manufacturing) इस्तेमाल होते हैं।
किसी भाग को 3डी मॉडल में डिजाइन करते हैं, फिर प्रिंटर उसी मॉडल के अनुसार परत-दर-परत सामग्री जमा कर देता है। जरूरत के हिसाब से बाद में हीट ट्रीटमेंट और मशीनिंग भी की जाती है ताकि सटीक आयाम और ताकत मिल सके।
फायदे साफ हैं: डिजाइन मुक्तता से वजन घटता है, हिस्सों की संख्या कम होती है (एक कॉम्प्लेक्स हिस्सा कई हिस्सों की जगह ले सकता है), प्रोटोटाइप जल्दी बनते हैं और इंटीग्रेटेड कूलिंग जैसे इनोवेटिव फीचर संभव होते हैं। इससे लागत और समय दोनों पर फायदा होता है, खासकर छोटे बैच में।
चुनौतियाँ भी हैं। मेटल प्रिंटिंग में सामग्री की गुणवत्ता और इंटीरन डिफेक्ट्स पर काबू पाना मुश्किल होता है। थर्मल स्टेस व लाइफ-साइकल टेस्टिंग ज़रूरी हैं, वरना फेलियर का रिस्क बढ़ता है। सर्टिफिकेशन और रेगुलेटरी मानक भी अभी विकसित हो रहे हैं, इसलिए हर नया हिस्सा सीधे उड़ान में नहीं लग सकता।
दुनिया भर में कुछ कंपनियां और लैब 3डी प्रिंटेड रॉकेट के बड़े प्रयोग कर रही हैं। Relativity Space और Rocket Lab जैसी कंपनियां एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग पर काम कर रही हैं। भारत में भी संस्थान और स्टार्टअप्स इस टेक्नोलॉजी पर प्रयोग कर रहे हैं—ISRO समेत कुछ संगठन 3डी प्रिंटेड पार्ट्स पर काम कर चुके हैं या कर रहे हैं।
अगर आप अपडेट रहना चाहते हैं तो कुछ आसान कदम हैं: उद्योग-समाचार पढ़ें, टेक कॉन्फ्रेंस और वेबिनार देखें, और लोकल मेकर स्पेस या यूनिवर्सिटी लैब की गतिविधियों पर नजर रखें। छोटे स्तर पर सीखने के लिए CAD डिज़ाइन, मेटल प्रॉसेसिंग और प्रोटोटाइप टेस्टिंग के कोर्स कर सकते हैं।
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30 मई, 2024 को, भारतीय स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट अग्निबाण का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह भारत का पहला निजी तौर पर विकसित सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन है। यह प्रक्षेपण इसरो के थुम्बा इक्वैटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन, केरल में हुआ।
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