राधिका यादव हत्या पर हिमांशीका का नया वीडियो: पिता के समर्थकों को मिली कड़ी निंदा

घटना की पृष्ठभूमि और वीडियो के मुख्य बिंदु
गुरुग्राम के सुशांत लोक में 10 जुलाई को हुई दहशतख़ोर घटना ने खेल जगत को हिला कर रख दिया। 25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव, जो कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत की शान थी, अपने ही पिता दीपक यादव द्वारा मार दी गई। इस हत्या के बाद राधिका की करीबी दोस्त हिमांशीका राजपूत ने एक नया वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने पिता के समर्थकों को स्पष्ट शब्दों में चिढ़ाया।
वीडियो में हिमांशीका ने बताया कि राधिका को पाँच बार गोली मार दी गई, जिसमें चार गोली सीधे शरीर में लगीं। उन्होंने कहा कि दीपक यादव ने कई सालों तक बेटी पर मोर्चा डालते हुए नियंत्रण‑मुक्ति, लगातार निंदा और "क्या लोग कहेंगे" जैसे सवालों से उसका जीवन दवाबपूर्ण बना दिया। इस नियंत्रण का सबसे बड़ा कारण राधिका का टेनिस अकादमी चलाना था, जिसे पिता ने आर्थिक रूप से पर्याप्त मानते हुए बार‑बार बंद करने को कहा।
हिमांशीका ने यह भी कहा कि राधिका वीडियो, रील और सोशल मीडिया पोस्टों से बहुत प्यार करती थी, लेकिन परिवार के दबाव के कारण उसे ऐसा करने से रोक दिया गया। वह पिता की बातों को "कुंडली" मानती थीं, और कहती हैं कि राधिका को एक कड़ाई से बना कर्फ़्यू भी था।

परिवार और मित्रों के बयानों में अंतर
हिमांशीका के बयान पर राधिका के विस्तारित रिश्तेदारों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। एक चचेरे भाई ने कहा कि अगर सच में सीमा‑बद्ध जीवन था, तो राधिका को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए कई देशों की यात्रा नहीं करनी पड़ती। उन्होंने बताया कि टिकट, वीज़ा और रहने की व्यवस्था पूरी तरह से परिवार की मदद से होती थी, जो इस बात को सिद्ध करता है कि राधिका पर इतने कठोर प्रतिबंध नहीं थे।
परिवार यह भी बताता है कि राधिका का टेनिस अकादमी उसके करियर का एक आवश्यक हिस्सा था, न कि पिता के लिए आर्थिक बोझ। अकादमी ने कई युवा खिलाड़ियों को कोच किया, और उसे अपने घर के दो‑मंजिला रहने वाले परिसर में नियोजित किया गया था। पुलिस के मुताबिक, दीपक यादव ने अपनी 0.32 बीयर रिवॉल्वर का उपयोग करके यह हत्या की, और पोस्ट‑मॉर्टेम रिपोर्ट में पता चला कि राधिका की पीठ में तीन गोली लगी और एक कंधे में। अब उन्हें 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी दी गई है, जबकि जांच जारी है।
जांच के शुरुआती चरणों में यह स्पष्ट हो रहा है कि विवाद का मूल कारण टेनिस अकादमी पर पिता और बेटी के बीच लगातार बढ़ते हुए झगड़े थे। कई रिपोर्टों में बताया गया है कि दीपक ने अकादमी बंद करने के लिये कई बार राधिका से कहा, पर वह दृढ़ रह गई। वह अपने पिता को "कन्यावध" (धार्मिक शब्द जिसमें बेटी की हत्या को निंदा की जाती है) कह कर सिद्ध करना चाहती थीं।
- 10 जुलाई: राधिका को घर में पांच बार गोली मार दी गई।
- 15 जुलाई: पुलिस ने पिता को हिरासत में ले लिया, 0.32 बीयर रिवॉल्वर बरामद किया।
- 18 जुलाई: हिमांशीका ने वीडियो जारी किया, जिसमें पिता के समर्थकों की कड़ी निंदा की गई।
- 19 जुलाई: परिवार के सदस्य ने सार्वजनिक बयान दिया, जिसमें उन्होंने आरोपों को खारिज किया।
- आज: पिता को 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी मिली, फोरेंसिक रिपोर्ट जारी।
यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी को उजागर करता है, बल्कि खेल के पेशे में महिला एथलीटों के सामने आने वाले सामाजिक और पारिवारिक दबावों को भी सवालों के घेरे में लाता है। राधिका के मित्रों के अनुसार, वह हमेशा सपने देखने वाली, स्वतंत्र सोच वाली और अपने करियर को आगे बढ़ाने वाली थी। उनके इस काफी हद तक नियंत्रित माहौल के बावजूद मजबूत रहने की कहानी कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करती है।
जांच के अंत में यदि यह सिद्ध हो जाता है कि पिता ने आर्थिक और व्यक्तिगत कारणों से अपने ही रक्त संबंधी को मार दिया है, तो यह न केवल एक केस बनेगा, बल्कि भारतीय समाज में परिवारिक अधिकार, महिलाओं की आज़ादी और खेल की स्वायत्तता पर गहरी चर्चा का कारण भी बनेगा। इस दर्दनाक कहानी में नाम मात्र नहीं, बल्कि कई अनकहे घाव और सामाजिक सवाल छिपे हैं, जिनका उत्तर न्यायालय निश्चित रूप से देगी।
Ajeet Kaur Chadha
सितंबर 23, 2025 AT 07:16वाह, फिर भी जज्बा पूरा है, पिता ने 'फैमिली बिजनेस' को गन से हल किया है।
Vishwas Chaudhary
सितंबर 23, 2025 AT 07:33देखो भाई इस केस में भारत की अदालतें पहले से ही सख्त सजा देती हैं क्योंकि पितृसत्ता के साथ हथियारों को मिलाना तो जैसे गुनाह का नया ब्रांड है इसके अलावा फोरेंसिक रिपोर्ट से साफ़ पता चलता है कि 0.32 बीयर रिवॉल्वर का इस्तेमाल हुआ और ऐसे मामलों में 14 दिन की कस्टडी सिर्फ शुरुआती कदम है दीर्घकालिक सजा तय होगी अगर क़ानून के तहत हत्या सिद्ध हुई तो सजा में आजीवन रायल या फांसी भी शामिल हो सकती है इसलिए समाज को इस तरह के काले पैंट वाले ट्रैडिशन को खत्म करना पड़ेगा सभी को यह समझना होगा कि खेल के मैदान में महिला एथलीट्स को संरक्षण देना राष्ट्रीय दायित्व है
Rahul kumar
सितंबर 23, 2025 AT 07:50जैसे ही हर कोई पिता को बुरा बताने लगे वैसा ही सच्चाई का एक और पहलू छिपता है कि राधिका खुद भी अपने करियर में बहुत दबाव डाल रही थी और अकादमी बंद करने में उसके भी कुछ जिम्मेदारी थी क्योंकि कई बार वह खर्चे का बोझ बन गई थी
indra adhi teknik
सितंबर 23, 2025 AT 08:06सबसे पहले यह स्पष्ट करना जरूरी है कि घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओँ को संरक्षण देने वाला कानून, यानी वॉम्पा अधिनियम, 2005, लागू है और पीड़िता को तुरंत सुरक्षा आदेश मिल सकता है। इसके तहत पीड़िता को पुलिस स्टेशनों में शीघ्र FIR दर्ज करवानी चाहिए और चिकित्सा सहायता देनी चाहिए। राधिका के मामले में यदि पिता द्वारा असली हत्यारा सिद्ध होते हैं तो यह मामला हत्या के तहत prosecution का है, लेकिन साथ ही इसे घरेलू हिंसा का एक रूप भी माना जा सकता है। इस कारण कोर्ट अतिरिक्त सुरक्षा उपाय जैसे कि वीआईपी प्रोसेसिंग और साक्ष्य संरक्षण का आदेश दे सकता है। अदालतें अक्सर आरोपी को बँधक रिहा न करके ज्यूडिशियल कस्टडी देती हैं ताकि जांच में दफ़ा न हो। साथ ही इस केस में फोरेंसिक विशेषज्ञों को साक्ष्य की श्रृंखला को संभालते समय अनुक्रमिक रिकॉर्ड रखना जरूरी होता है। यदि साक्ष्य साक्ष्य के तौर पर स्थापित हो जाता है तो आरोपी को 14 दिन से अधिक की कस्टडी की संभावना भी बढ़ जाती है। सामाजिक रूप से इस तरह की घटनाओं से महिलाओं को खेल में आगे बढ़ने में बाधा आती है, इसलिए खेल संगठनों को भी सुरक्षित माहौल बनाना चाहिए। भारतीय टेनिस एसोसिएशन को अब महिला खिलाड़ियों के लिए एक विशेष हेल्पलाइन स्थापित करनी चाहिए जहाँ वे बिना किसी डर के अपने मामलों की रिपोर्ट कर सकें। इसके अलावा, इस तरह के मामलों में मीडिया को भी जिम्मेदारी से रिपोर्ट करना चाहिए, sensationalism से बचकर तथ्यात्मक जानकारी देनी चाहिए। परिवार में भी संवाद की कमी अक्सर ऐसे ट्रैजिक परिणाम देती है, इसलिए पारिवारिक काउंसलिंग को अनिवार्य करना चाहिए। यदि पिता को सजा सुनाई जाए तो यह एक उदाहरण स्थापित करेगा कि कोई भी व्यक्तिगत बंधन कानून के ऊपर नहीं है। इस प्रकार के एकीकरण से भविष्य में समान घटनाओं को रोका जा सकता है। अंततः, हर नागरिक को यह समझना चाहिए कि महिलाओं की सुरक्षा केवल सरकारी नीतियों से नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता से भी जुड़ी है। इसलिए शिक्षा प्रणाली में लिंग समानता के पाठ्यक्रम को और सुदृढ़ किया जाना चाहिए। यह पहल न केवल खेल में बल्कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाती है।
Kishan Kishan
सितंबर 23, 2025 AT 08:23वाह! बिल्कुल सही कहा आपने, 14 दिन की कस्टडी तो बस एक छोटा चाय‑ब्रेक है, असली दंड तो फिर कब आएगा? अगर कोर्ट जल्दी‑जल्दी सजा नहीं सुनाता तो हमें अपना खुद का “पारिवारिक न्याय” सिस्टम शुरू करना पड़ेगा, जिससे हर पिता को अपना खुद का “डिस्पॉज़ेबल” लाइसेंस मिल जाए! 🤦♂️ लेकिन हाँ, इस गड़बड़ी को ठीक करने के लिए हमें तुरंत राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष टेनिस सुरक्षा बोर्ड बनाना चाहिए, जहाँ हर महिला खिलाड़ी को मुसीबत में “SOS” बटन मिल सके, वाकई में ये ज़रूरी है।