पेरिस पैरालिंपिक 2024: भारत ने दिन 5 में दो स्वर्ण सहित 14 पदक जीते
सित॰, 29 2025
पेरिस में पेरिस पैरालिंपिक 2024 के पांचवें दिन, भारतीय टीम ने इतिहास फिर से लिखते हुए सुमित अँटिल की गोल्ड जीत सहित दो स्वर्ण और कुल 14 पदकों का झंडा गवाह बना। सुबह 12:30 बजे शुरू हुए इवेंट्स में निहाल सिंह और अमीर अहमद भट ने पिस्टल शूटिंग में क्वालीफ़ाइ एडवांस किया, जबकि योगेश काठुनिया ने डिस्कस थ्रो में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाया। बॅडमिंटन में सिवराजन सोलाيمलाई‑निथ्या श्री सुमति शिवन की मिश्रित डबल्स जोड़ी ने ब्राँज मैच में इन्डोनेशिया को हराया।
पेरिस पैरालिंपिक 2024 की पृष्ठभूमि
भारतीय पैरालिंपिक समिति ने इस बार 84 एथलीटों के साथ अपना सबसे बड़ा दल भेजा, जो 2021 टोक्यो में 19 पदकों की उपलब्धि के बाद की सबसे महत्त्वपूर्ण कदम थी। टोक्यो में 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक लेकर टीम ने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया था, और अब पेरिस में वही जोश फिर से देखने को मिला।
- कुल भारतीय प्रतिनिधि: 84 एथलीट
- अब तक कुल पदक: 14 (2 स्वर्ण, 5 रजत, 7 कांस्य)
- इवेंट्स में भागीदारी: एथलेटिक्स, शूटिंग, बॅडमिंटन आदि
दिन 5 के प्रमुख प्रदर्शन
12:30 IST पर पैरालिंपिक 2024 के पिस्टल शूटर निहाल सिंह और अमीर अहमद भट ने मिश्रित 25m पिस्टल क्वालीफ़िकेशन में शानदार शॉट्स लगाए, जिससे सभी की उम्मीदें बढ़ी।
एक घंटे बाद, डिस्कस फाइनल में योगेश काठुनिया ने 55.32 मीटर की दूरी बना कर भारतीय एथलेटिक्स को नई उम्मीद दी। उनके कोच ने कहा, “यह सिर्फ एक शुरुआत है, आज की झलक हमें गोल्ड तक ले जाएगी।”
बॅडमिंटन में सबसे रोमांचक सामना तब आया जब सिवराजन सोलािमलाई‑निथ्या श्री सुमति शिवन ने इंडोनेशिया के सबहान‑रिना मार्लिना को 2‑1 से हराकर ब्राँज जीत ली। इस जीत के बाद उनके सहयोगियों – सुहास यथिराज, नितेश कुमार और थुलासिमथि मुरुगेसन – आगे के गोल्ड मैचों की तैयारी में लगे थे।
स्वर्ण पदक विजेता और उनका सफर
दुर्लभ क्षण आया जब सुमित अँटिल ने F64 जावेलिन फेंक में 69.04 मीटर की नई दूरी बनाकर अपना दूसरा लगातार गोल्ड हासिल किया। उनके कोच ने कहा, “सुमित ने अपनी मेहनत और तकनीक से सबको साबित कर दिया कि भारत पैरालिंपिक में एक नई लकीर बना रहा है।”
इसी दिन अवनी लेखरा ने शूटर में अपनी रजत पदक को फिर से चमकाया, जबकि मनिश नारवाल ने 10m एयर राइफल में कांस्य जीत कर टीम का मनोबल ऊँचा रखा। बॅडमिंटन के सितारे कृष्णा नगर और मनुष नारवाल ने भी अपने-अपने इवेंट्स में कोटा तोड़ दिया, लेकिन गोल्ड चैंपियनशिप अभी बाकी है।
भारत की समग्र उपलब्धि और भविष्य की संभावनाएँ
पेरिस पैरालिंपिक के पहले पाँच दिनों में भारत ने 14 पदक लेकर 10वें स्थान पर जगह बनाई। यदि बॅडमिंटन के तीन गोल्ड मैच जीतते हैं, तो कुल पदकों की संख्या 20‑सीमा पार कर सकती है, जिससे भारत का पहला ‘डबल‑डिजिट’ गोल्ड खजाना बन सकता है।
एन.जी.ओ. ‘प्रधानमंत्री खेल योजना’ के अनुसार, अगली दो साल में पैरालिंपिक एथलीट्स के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और टैलेंट सर्च में निवेश बढ़ाया जाएगा। इस रणनीति का लक्ष्य 2028 लास वेगास पैरालिंपिक में कम से कम 30 पदक जीतना है।
नज़दीकी छूटते हुए प्रतिस्पर्धा पर नज़र
अगले दो दिनों में 100m T12, 400m T47 तथा बॅडमिंटन में पुरुष डबल्स फाइनल जैसे इवेंट्स होंगे जहाँ भारत के कई एथलीट टॉप फॉर्म में हैं। कोच आशा सिंह ने कहा, “हमारी तैयारी का सबसे बड़ा इंटेन्ज़न अब फिनाले की ओर है, और हर एथलीट को पता है कि यह मौका दोबारा नहीं मिलेगा।”
Frequently Asked Questions
पेरिस पैरालिंपिक में भारत ने कुल कितने पदक जीते?
पहले पांच दिनों में भारत ने दो स्वर्ण, पाँच रजत और सात कांस्य पदक मिलाकर कुल 14 पदक हासिल किए हैं। यह आंकड़ा खेल के कई विभागों में बराबर बँटा हुआ है।
सुमित अँटिल की जीत का क्या महत्व है?
सुमित ने F64 जावेलिन फेंक में लगातार दो गोल्ड जीत कर भारत को पैरालिंपिक इतिहास में पहली बार एक ही इवेंट में दो वार गोल्ड वाला बना दिया। उनकी जीत अन्य एथलीट्स के लिए प्रेरणा का काम कर रही है।
बॅडमिंटन में भारत की स्थिति क्या है?
बॅडमिंटन में सुहास यथिराज, नितेश कुमार, थुलासिमथि मुरुगेसन और मिश्रित डबल्स जोड़ी सिवराजन‑निथ्या ने सभी ने गोल्ड के लिये फाइनल तक पहुँचने का सुत्र दिया है। अगर यही फॉर्म बना रहा तो भारत को कम से कम दो गोल्ड मिल सकते हैं।
पैरालिंपिक में भविष्य की तैयारी के लिए क्या योजनाएँ हैं?
सरकार ने ‘प्रधानमंत्री खेल योजना’ के तहत एथलीटों के प्रशिक्षण केंद्र, उच्च तकनीक वाले उपकरण और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी को बढ़ावा देना तय किया है, ताकि 2028 में भारत 30 से अधिक पदक लाने की कोशिश कर सके।
निशाद कुमार और प्रीथि पॉल की पिछली उपलब्धियाँ क्या थीं?
निशाद कुमार ने 1 सितंबर को हाई जंप T47 में सिल्वर जीता, जबकि प्रीथि पॉल ने 100m T35 और 200m T35 दोनों में ब्राँज मैडल जीतकर भारतीय महिला स्प्रिंटरों के लिये नया रिकॉर्ड स्थापित किया।

Kiran Singh
सितंबर 29, 2025 AT 01:39सुपर! 🇮🇳 हमारे एथलीट्स ने फिर से धूम मचा दी है! 🎉 सुमित भाई की जीत देख कर दिल खुश हो गया। ऐसे ही मेहनत और जज्बा रखो, आगे भी और स्वर्ण लाओ। टीम को बधाई! 🙌
Balaji Srinivasan
अक्तूबर 3, 2025 AT 16:46पिछले टोक्यो की सफलता को देखते हुए इस बार का प्रदर्शन बहुत महत्वपूर्ण है। टीम की तैयारी में दृढ़ता और एकजुटता दिखी है। सभी को शुभकामनाएँ।
Shubham Abhang
अक्तूबर 8, 2025 AT 07:52क्या बात है!!! भारत ने फिर से धूमधाम से... पदक जीते??? यह तो कोई सपना जैसा लग रहा है...!! कोच की मेहनत, एथलीट्स की लगन...सभी को बधाई!!!
Trupti Jain
अक्तूबर 12, 2025 AT 22:59दुर्भाग्यवश, कुछ लोगों में अभी भी अति-आत्मविश्वास का रंग दिखता है, लेकिन वास्तविकता में प्रदर्शन ही सब कुछ कहा देता है। इस जीत को स्थायी प्रभाव की आवश्यकता है, अन्यथा यह केवल क्षणिक चमक रह सकती है।
deepika balodi
अक्तूबर 17, 2025 AT 14:06सुपर कमाल की जीत। टीम ने मेहनत दिखाई। आशा है आगे भी निरन्तर सफलता मिले।
Anurag Narayan Rai
अक्तूबर 22, 2025 AT 05:12पेरिस पैरालिंपिक में भारतीय टीम की इस अविश्वसनीय उपलब्धि पर मन की गहराइयों से बधाई देना चाहूँगा। पहला वाक्य यह दर्शाता है कि कड़ी मेहनत और उचित समर्थन के बिना ऐसी सफलता संभव नहीं होती। सुमित अँटिल की लगातार दो स्वर्ण जीत न केवल व्यक्तिगत जिद्द का परिणाम है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर समुचित ट्रेनिंग व्यवस्था का प्रमाण भी है। इसी तरह, निहाल सिंह और अमीर अहमद भट ने पिस्टल शूटिंग इवेंट में अपनी निशानेबाज़ी का लोहा मनवाया, जिससे सभी को आशा मिली कि भविष्य में भी यह क्षेत्र हमारे लिए फलदायक रहेगा। योगेश काठुनिया का डिस्कस थ्रो में शानदार प्रदर्शन भारत की एथलेटिक्स में नई दिशा खोलता है और युवा एथलीट्स को प्रेरित करता है। बॅडमिंटन में सिवराजन‑निथ्या की मिश्रित डबल्स ने ब्राँज मेडल जीतते हुए टीम के समग्र क्रम को ऊँचा किया, जो दिखाता है कि विभिन्न खेलों में हमारी तैयारी समुचित है। इन उपलब्धियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि हमारे कोच, फिजियोथेरेपिस्ट और सपोर्ट स्टॅफ़ ने भी अहम भूमिका निभाई है। अब बात आती है अगले चरण की, जहाँ कई इवेंट्स में भारत को गोल्ड की संभावनाएं दिख रही हैं; इससे हमारी कुल पदक गिनती 20‑सीमा को पार कर सकती है। यह चरण न केवल खिलाड़ियों की शारीरिक शक्ति की परीक्षा है, बल्कि उनके मानसिक दृढ़ता की भी। सरकार की ‘प्रधानमंत्री खेल योजना’ ने बुनियादी ढाँचे में निवेश करके इस सफलता को संभव बनाया है, और हमें इस योजना को और अधिक विस्तारित करना चाहिए। अगले दो दिनों में होने वाले इवेंट्स के लिए अभी से रणनीतिक तैयारी आवश्यक है, क्योंकि हर एथलीट को पता है कि यह अवसर दोबारा नहीं मिलेगा। अंत में, मैं सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिन्होंने इस जीत को संभव किया, चाहे वह खिलाड़ी हों, कोच हों या देशभक्त दर्शक। आशा है कि इस ऊर्जा को हम भविष्य में भी बरकरार रखेंगे और 2028 के लास वेगास पैरालिंपिक में नई ऊँचाइयों को छूएँगे।
Sandhya Mohan
अक्तूबर 26, 2025 AT 20:19वास्तव में, हर जीत एक दार्शनिक सवाल को जन्म देती है-क्या सफलता हमें बदलती है या हम उसे बदलते हैं? आपके विस्तृत विश्लेषण ने इस बात को उजागर किया कि केवल शारीरिक प्रशिक्षन ही नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन भी आवश्यक है।
Prakash Dwivedi
अक्तूबर 31, 2025 AT 11:26व्यावहारिक रूप से देखें तो, टीम के प्रदर्शन में निरंतर सुधार के लिए डेटा‑ड्रिवेन विश्लेषण आवश्यक है। हमारे कोच ने इस दिशा में सही कदम उठाया है, जिससे भविष्य के परिणाम और भी बेहतर हो सकते हैं।
Rajbir Singh
नवंबर 5, 2025 AT 02:32सही बात है, जीत टीम की मेहनत से ही मिलती है। सभी को बधाई।
Swetha Brungi
नवंबर 9, 2025 AT 17:39इतिहास के पन्नों में इस जीत को एक नई रोशनी की तरह लिखना चाहिए। सुमित अँटिल का निरंतर सफलता का सफर हमें सिखाता है कि लक्ष्य के प्रति अडिग रहना कितना महत्वपूर्ण है। बॅडमिंटन में हमारे खिलाड़ियों ने दिखाया कि टीम वर्क और रणनीति का फल खिलता है। इस प्रकार की उपलब्धियों से राष्ट्रीय गर्व का भाव बढ़ता है और युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है।