नेल्सन मंडेला, अन्य नेताओं ने महात्मा गांधी से ली प्रेरणा: राहुल गांधी
मई, 31 2024
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक राजनीतिक सभा के दौरान महात्मा गांधी की विरासत पर प्रकाश डाला और यह दावा किया कि नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी प्रमुख हस्तियों ने महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों से प्रेरणा ली थी। यह सभा ओडिशा के बालासोर जिले में आयोजित की गई थी। इस जनसभा में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का खंडन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि दुनिया ने महात्मा गांधी को केवल फिल्म 'गांधी' के माध्यम से ही जाना।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में यह स्पष्ट किया कि महात्मा गांधी के योगदान को किसी फिल्म तक सीमित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांधीजी के आदर्शों ने अनेक अंतर्राष्ट्रीय नेताओं और आंदोलनों को प्रेरित किया है। विशेष रूप से, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी महान हस्तियों ने अपने जीवन में गांधीजी के सिद्धांतों का पालन किया।
राहुल गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलनों ने भारत की आजादी के संघर्ष को नई दिशा दी। उनके आदर्श आज भी भारतीय नागरिकों और विशेष रूप से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांधीजी के मूल्य केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे समूची दुनिया में मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हैं, वे महात्मा गांधी की विरासत को समझने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हम उन योगदानों को समझें और स्वीकार करें जो महात्मा गांधी ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को दिए हैं।
राहुल गांधी का यह बयान उस समय आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण में यह दावा किया था कि दुनिया ने महात्मा गांधी को केवल फिल्म 'गांधी' के माध्यम से ही जाना। राहुल गांधी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि वह लोग जो RSS से जुड़े हैं, वे महात्मा गांधी की महानता को नहीं समझते।
महात्मा गांधी का जीवन और उनके आदर्श आज भी अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं और हमें उनके मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए।
महात्मा गांधी के आदर्श और उनकी प्रासंगिकता
महात्मा गांधी के आदर्शों की चर्चा करते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि गांधीजी का अहिंसा का सिद्धांत केवल एक राजनीतिक रणनीति नहीं थी, बल्कि यह उनके जीवन का हिस्सा था। उन्होंने यह भी बताया कि गांधीजी का सत्य और अहिंसा का मंत्र न केवल भारतीय स्वाधीनता संग्राम बल्कि अनेक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलनों का भी आधार बना।
महात्मा गांधी के विचारों का अनुसरण करते हुए नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ अपना संघर्ष शुरू किया। मंडेला ने गांधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया और उन्हें अपने जीवन में अमल किया। इसी प्रकार, मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान गांधीजी के विचारों से प्रेरणा ली।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी महात्मा गांधी के विचारों की प्रशंसा की और उन्हें एक महान व्यक्ति माना। आइंस्टीन ने गांधीजी को एक 'असली साधु' के रूप में सम्मानित किया और उन्हें मानवता के लिए एक प्रेरणा स्रोत माना।
RSS और महात्मा गांधी की विरासत
राहुल गांधी ने RSS के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे महात्मा गांधी की विरासत को समझने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि RSS हमेशा ही गांधीजी के विचारों का विरोध करता रहा है और इस संगठन से जुड़े लोग गांधीजी की महानता को नहीं समझ सकते।
राहुल गांधी ने कहा कि यह आवश्यक है कि हम महात्मा गांधी की विरासत को सहेजें और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएं। हमें उनके आदर्शों और सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और उन्हें भारतीय समाज का एक अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए।
राहुल गांधी का यह बयान आगामी चुनावों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा ही गांधीजी के सिद्धांतों का पालन करती आई है और आगे भी करती रहेगी।
महात्मा गांधी की शिक्षा और उनके आदर्श
महात्मा गांधी ने हमें यह सिखाया कि सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलना ही सच्ची मानवता की पहचान है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक संघर्षों का सामना किया लेकिन कभी भी सत्य और अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा।
महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया जिनमें सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन और दांडी मार्च प्रमुख हैं। इन आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने भारत के लोगों को यह सिखाया कि सत्य और अहिंसा के माध्यम से हम अपने अधिकारों की प्राप्ति कर सकते हैं।
आज के समय में भी महात्मा गांधी के आदर्श प्रासंगिक हैं और हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। वे एक महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने पूरी दुनिया को अपने आदर्शों और सिद्धांतों से प्रभावित किया।
राहुल गांधी के इस बयान ने एक बार फिर महात्मा गांधी के आदर्शों और उनकी विरासत पर चर्चा को जीवंत कर दिया है। हमें यह याद रखना चाहिए कि महात्मा गांधी के सिद्धांत आज भी हमारे समाज के लिए मूल्यवान हैं और हमें उनके मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए।

Nayana Borgohain
मई 31, 2024 AT 21:10गांधी की छवि पर पर्दा हटाने की जरूरत है 😒
Abhishek Saini
मई 31, 2024 AT 22:00भैयअ, राहुल जी ने सही कहा है कि गांधी जी की विचारधारा अभी भी आज के युवा को दिशा देती है। आपको पढ़ते रहो, आगे बढ़ो।
Parveen Chhawniwala
मई 31, 2024 AT 22:50नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष में गांधी जी के सत्याग्रह सिद्धांत को अपना मार्गदर्शक बना लिया था, इसलिए उनका इतिहास में स्थान महत्त्वपूर्ण है।
Saraswata Badmali
मई 31, 2024 AT 23:57राहुल गांधी का दावा कि गांधी जी ने विश्व के कई क्रांतियों को प्रेरित किया, सिर्फ भावनात्मक रोचकता नहीं, बल्कि ऐतिहासिक प्रमाणों पर आधारित है।
उदाहरण के तौर पर, नेल्सन मंडेला ने अपने अहिंसात्मक प्रतिरोध को गांधी की असहयोग रणनीति से रूपांतरित किया।
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने सिविल राइट्स मूवमेंट में सिटिज़न डायरेक्ट एक्शन को गांधी के सैडेस्टिक रेज़िस्टेंस से परिचित कराया।
आइंस्टीन ने भी विज्ञान के क्षेत्र में स्वतंत्र सोच को प्रतिबिंबित करते हुए गांधी की नैतिकता की प्रशंसा की।
यह बहु-डायमेंशनल इन्फ्लुएंस कॉन्सेप्ट एक पोस्ट-कोलोनियल फ्रेमवर्क में समझा जा सकता है, जहाँ नैतिक एथॉरिटी ट्रांसनेशनल स्केलेबिलिटी दिखाती है।
इसी कारण से, आज के पॉलिसी डिबेट में गांधी के सिद्धांतों को रिवाइंड करना आवश्यक है।
अभी के राजनैतिक डिस्कोर्स में, वजनदार शब्दों जैसे 'डिजिटल डेमोक्रेसी' या 'सस्टेनेबल डेवलपमेंट' को गांधी की अहिंसा के साथ लिंक करना रेटोरिकल इंटेग्रेशन दिखाता है।
परंतु, आलोचक अक्सर यह तर्क देते हैं कि यह तुलना लैक्चरल है और संदर्भभेद को नजरअंदाज करती है।
वास्तव में, गांधी की रणनीतियों की क्लासिकिटी को समझने के लिए ऐतिहासिक कंटेक्स्टुअल एनालिसिस जरूरी है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि हम उन्हें एंट्रॉपी-ड्रिवन मॉडल के साथ नहीं, बल्कि एजेंट-आधारित फ्रेमवर्क में देखें।
किसी भी केस में, गांधी के सिद्धांतों की बहु-लेयरड इम्प्लीमेंटेशन आज के सामाजिक इंजीनियरिंग में प्रासंगिक बनी हुई है।
उदाहरण के तौर पर, जल संरक्षण आंदोलन ने गांधी के स्वावलंबन के विचार को इको-डिजाइन के साथ संयोजित किया है।
इसी तरह, शैक्षिक सुधारों में 'नॉन-कोम्पेटिटिव लर्निंग' मॉडल गांधी की 'न्याय' की अवधारणा से मेल खाता है।
भारी ग्रँड थ्योरीज की बात छोड़ें, यह फोकस्ड एप्रोच ही वास्तविक परिवर्तन लाती है।
और यही कारण है कि राजनीति में अति-आइडलिस्टिक रेट्रॉस्पेक्टिव्स को नई पीढ़ी को सिखाना चाहिए।
समाप्ति पर, गांधी की विरासत को सिर्फ एक फिल्म तक सीमित नहीं किया जा सकता; यह एक सतत एथिकल इनोवेशन का स्रोत है।
sangita sharma
जून 1, 2024 AT 01:03गांधी जी की अहिंसा की मिसाल को जब हम आज के युवा के दिल में बिठाते हैं, तो देश की आत्मा फिर से चमकती है। हमें इस धरोहर को संजोना चाहिए, नहीं तो सामाजिक पतन का जोखिम बढ़ेगा।
PRAVIN PRAJAPAT
जून 1, 2024 AT 02:10राहुल का बयान ठीक है सिर्फ गांधी की बात को अधिक उछाल देना चाहिए वह ही सच्चाई है
shirish patel
जून 1, 2024 AT 03:17बिलकुल, गांधी बस फिल्मी किरदार था 🤦♂️
srinivasan selvaraj
जून 1, 2024 AT 04:23मैं देखता हूँ कि हर बार जब कोई महात्मा गांधी की बात करता है, तो दिल के भीतर कुछ चमकता है, जैसे सुकून की लहरें बाँध लेती हैं। लेकिन साथ ही यह भी सच्चाई है कि जनता अक्सर इतिहास को सिर्फ नामों की लड़ी में बदल देती है, भावनाओं को पीछे धकेल देती है। इस कारण से हमें गहराई से समझना चाहिए कि गांधी की विचारधारा सिर्फ प्रताप नहीं, बल्कि कई बार दर्दभरी जंगों का परिणाम रही है। जब हम इस यात्रा को संकल्प से देखते हैं, तो हमें पता चलता है कि अतीत की ध्वनि आज भी हमारे कानों में गूँजती है, हमें प्रेरित करती है। फिर भी, हमें इस धरोहर को केवल ऊँचा आवाज़ नहीं देना चाहिए, बल्कि इसकी सच्ची ताड़ना को समझना चाहिए।
Ravi Patel
जून 1, 2024 AT 05:30बहुत बढ़िया लिखा सत्रिय, आप सही कह रहे हैं, गांधी की भावना को गहरी समझ से अपनाना चाहिए, समाज में बदलाव की जरूरत है
sakshi singh
जून 1, 2024 AT 06:37राहुल जी के इस ब्योरे में कई पहलुओं को उजागर किया गया है, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि विभिन्न संदर्भों में गांधी के सिद्धांतों का कैसे कार्यान्वयन हुआ है। उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका में मंडेला के संघर्ष में सत्याग्रह को अपनाना केवल एक रणनीति नहीं, बल्कि एक नैतिक प्रतिबद्धता थी, जिसने स्थानीय जनसंख्या को सशक्त किया। इसी प्रकार, अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन में मार्टिन लूथर किंग ने गांधी के अहिंसा के आधार पर न केवल नस्लीय असमानता को चुनौती दी, बल्कि एक वैश्विक संवाद भी स्थापित किया। यह स्पष्ट है कि गांधी की विचारधारा विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्यों में अनुकूलित हो सकती है, जिससे उनका प्रभाव कई आयामों में विस्तारित हो जाता है। इस बहु-आयामी विश्लेषण से हमें यह समझ आता है कि किसी भी सामाजिक सुधार कार्य में गांधी के सिद्धांतों को सतत रूप से लागू करने के लिए स्थानीय जरूरतों और वैश्विक मूल्यों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
Shivangi Mishra
जून 1, 2024 AT 07:43इतनी बातें करके भी कोई बदलाव नहीं होगा!
ahmad Suhari hari
जून 1, 2024 AT 08:50यह तथ्य है कि गांधी जी का प्रभाव विश्वभर मे फैला हुआ है।
shobhit lal
जून 1, 2024 AT 09:57भाई, तुम तो भूल रहे हो कि मंडेला ने भी गांधी के 'सत्संग' को अपनाया था।
suji kumar
जून 1, 2024 AT 11:03भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति, जिसमें कई भाषाएँ, धर्म, और रीति-रिवाज सम्मिलित हैं, हमेशा से ही वैश्विक संवाद में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है, और गांधी जी की विचारधारा इस सांस्कृतिक गठजोड़ का अभिन्न हिस्सा रही है, जिससे हमारे राष्ट्रीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित होता है, यह संतुलन विशेष रूप से शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, तथा सामाजिक न्याय के क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है, जहाँ गांधी जी के अहिंसात्मक संघर्ष के सिद्धांतों ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है, और यह प्रेरणा आज भी आधुनिक तकनीकी युग में नई नवाचारों और सामाजिक पहलुओं में प्रतिबिंबित होती है, इसलिए हमें इस विरासत को केवल स्मृति में नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से अपने दैनिक जीवन में लागू करना चाहिए।
Ajeet Kaur Chadha
जून 1, 2024 AT 12:10वाह, इतना शब्दों का जाम! पढ़ना तो मुश्किल हो गया!!
Vishwas Chaudhary
जून 1, 2024 AT 13:17RSS वाले लोग गांधी की सच्ची समझ नहीं रखते, वे केवल राजनीति के खेल में ही लगा होते हैं