मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न का खुलासा: जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न का खुलासा: जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट अग॰, 20 2024

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न: जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे

मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के चौंकाने वाले मामले जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट द्वारा उजागर किए गए हैं। यह रिपोर्ट 19 अगस्त 2024 को जारी की गई है, जो असल में 2019 में प्रस्तुत की गई थी लेकिन इसे अब सार्वजनिक किया गया। इस रिपोर्ट ने भारतीय फिल्म जगत में एक नई बहस छेड़ दी है और महिलाओं के सुरक्षा और सम्मान के मुद्दे को सामने रखा है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें और खतरनाक सच्चाइयाँ

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कई महिलाएं अपने काम की शुरूआत से पहले ही अनचाहे प्रस्तावों का सामना करती हैं। उन्हें 'समझौता' और 'समर्पण' करने के लिए यौन मांगों के आगे झुकने के लिए मजबूर किया जाता है। यह आलम तब होता है जब फिल्में अभी बननी भी शुरू नहीं हुई होतीं। रिपोर्ट में दिए गए विवरण बेहद चौंकाने वाले और हिला देने वाले हैं।

समिति ने 2019 में अभिनेत्री पर हुए हमले के बाद इस मुद्दे की जांच की थी जिसमें अभिनेता दिलीप का नाम सामने आया था। यह हमला मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की स्थितियों की असलियत को उजागर करने का त्रासद लेकिन आवश्यक मौका बन गया था। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि उद्योग पर एक 'अपराधी गिरोह' का नियंत्रण है, जिससे महिलाओं में अपने अनुभवों को रिपोर्ट करने का डर बना रहता है।

रिपोर्ट में अनेक घटनाओं का जिक्र किया गया है जहां नशे में धुत्त व्यक्तियों ने महिलाओं के होटल के कमरे के दरवाजे खटखटाए। इन घटनाओं के बाद भी महिलाएँ अपनी शिकायतें दर्ज कराने से हिचकिचाती हैं, उन्हें डर रहता है कि कहीं उनके खिलाफ प्रतिशोध न लिया जाए। यह औद्योगिक डर महिलाओं को न्याय प्राप्त करने से दूर रखने का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है।

महिला कलाकारों के लिए सुविधाओं की कमी

जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने अन्य कई मुद्दों को भी उजागर किया है। महिलाओं के लिए अपने मासिक धर्म के दौरान उचित सुविधाओं की उपलब्धता नहीं होती। इस समय में महिलाओं को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा, महिला और पुरुष कलाकारों के वेतन में भारी असमानता भी एक बड़ा मुद्दा है। महिला कलाकारों को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में काफी कम वेतन मिलता है, जो समान कार्य के लिए उचित नहीं है। यह असमानता भी सिनेमा उद्योग में महिलाओं की दुर्दशा को सुलगाती रहती है।

विशेष जांच दल की मांग

रिपोर्ट के इन खुलासों के बाद कानूनी विशेषज्ञों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है। उनका मानना है कि राज्य सरकार को इस महत्वपूर्ण विषय पर एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करना चाहिए, ताकि इन मामलों की गहराई से जांच हो सके और दोषियों को सजा दिलाई जा सके।

यह रिपोर्ट यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं की आवाज को मजबूती देने का काम कर रही है। अब जरूरी है कि राज्य सरकार और संबंधित संस्थाएं इसका संज्ञान लें और आवश्यक कार्रवाई करें।

अभिनेत्री सुरक्षा और सुधार के उपाय

इस मुद्दे को देखते हुए उद्योग में कई सुधारों की भी आवश्यकता है। महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल की व्यवस्था, उचित सुविधाओं की उपलब्धता, समान वेतन नीति आदि आवश्यक हैं। इससे महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपने काम को निष्पक्षता और सम्मान के साथ कर सकेंगी।

समिति की रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट ने न केवल सच्चाई को उजागर किया है, बल्कि सुधारों की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम लिया है।

समिति की इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और संबंधित संस्थानों को जल्द ही ठोस कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके और सिनेमा उद्योग में एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल प्रदान किया जा सके।

इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने एक नया दृष्टिकोण उत्पन्न किया है और अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि इसके आधार पर क्या और कैसे सुधार किए जाएंगे।