Cannes 2025: Aditi Rao Hydari ने पहना राहुल मिश्रा का अनोखा 2,600 घंटे में बना गाउन, दुनिया भर में दिखी भारतीय कारीगरी

Cannes 2025: Aditi Rao Hydari ने पहना राहुल मिश्रा का अनोखा 2,600 घंटे में बना गाउन, दुनिया भर में दिखी भारतीय कारीगरी जून, 3 2025

अदिति राव हैदरी का Cannes 2025 रेड कार्पेट लुक: भारतीय डिजाइन का कमाल

सोचिए, 2,600 घंटे एक ही गाउन को बनाने में लग जाएं! यह कोई मजाक नहीं, बल्कि वाकई में हुआ जब अदिति राव हैदरी ने 78वें Cannes Film Festival के प्रीमियर पर राहुल मिश्रा के राहुल मिश्रा के स्पेशल 'Aura' कलेक्शन से बना शानदार गाउन पहना। फिल्म 'Fuori' के प्रीमियर पर सबकी नजरें एक ही चीज पर टिक गईं—अदिति का अनोखा, हैंडक्राफ्टेड परिधान, जिसमें भारतीय कारीगरों की मेहनत और कला झलक रही थी।

यह गाउन इतनी खास थी कि इसके रंग भी अपनी कहानी खुद बयां करते हैं—गहरे काले से लेकर दूधिया सफेद तक का ओम्ब्रे ग्रेडिएंट। इस गाउन पर रेशम के धागों से बारीक काम, सीक्विन और कांच की बगुले बीड्स का जोड़, सब कुछ एक अलग तरह की चमक दिखा रहा था। फैशन के जानकार इसे सिर्फ ड्रेस नहीं, बल्कि एक मूविंग आर्ट पीस मान रहे हैं।

कॉस्मिक एनर्जी और भारतीय विरासत का संगम

कॉस्मिक एनर्जी और भारतीय विरासत का संगम

राहुल मिश्रा के इस कलेक्शन में ब्रह्मांड की ऊर्जा और हिंदू कॉस्मोलॉजी के 'ब्रह्मा' की कल्पनाओं को गाउन के जरिए जीवंत किया गया। इसमें स्कल्प्चरल वेस्ट डिटेलिंग और हिप्स पर फ्लोइंग एंबेलिशमेंट्स ऐसे लगे जैसे किसी देवी की मूरत बनी हो। इस ड्रेस में सिर्फ फैशन ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की भी झलक थी।

अदिति को इस लुक में स्टाइल किया था प्रियंका कपाड़िया ने, जिन्होंने गले में चौकदार डायमंड नेकलेस और मैचिंग इयररिंग्स चुनीं। मशहूर जूलरी ब्रांड 'Chopard' के डायमंड्स ने ड्रेस को और भी शाही बना दिया। अदिति का लुक एकदम न्यूनतम मेकअप और सॉफ्ट बालों के साथ रखा गया, जिससे गाउन खुद ही स्टार बन गया।

  • 2,600 घंटे में बुनाई गई कारीगरी
  • रेशम, सीक्विन, कांच के बीड्स का अनूठा मिक्स
  • ओम्ब्रे लुक—काले से सफेद का ट्रांजिशन
  • Paris Couture Week 2024 का खास हिस्सा
  • भारतीय डिजाइनरों को मिला इंटरनेशनल फोकस

अदिति राव हैदरी कई बार भारतीय डिजाइनरों को इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर प्रमोट करती रही हैं, और Cannes 2025 में उनका यह लुक देश की कारीगरी और स्टाइल परंपरा को नई बुलंदी तक ले गया। विदेशी मीडिया में भी इस गाउन की चर्चा खूब हुई, जिससे साफ है कि भारतीय फैशन की चमक अब सीमाओं से परे निकल चुकी है।

10 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Rahul kumar

    जून 3, 2025 AT 20:21

    ये जो सब कह रहे हैं कि गाउन की 2600 घंटे की बुनाई एक कला है, असल में यह केवल एक मार्केटिंग स्टंट है। हेड़लाइन आकर्षण के लिए ये किलकारी है

  • Image placeholder

    indra adhi teknik

    जून 10, 2025 AT 19:01

    अदिति राव ने भारतीय कारीगरों को एक बड़ा मंच दिया है, इस गाउन की बारीकी में जड़ा हुआ शिल्प कौशल दशकों के अनुभव को दर्शाता है। यह तकनीकी पहलू, जैसे सिल्क थ्रेड की टेंशन और ब्यूटीफ़ुल बीड बिंडिंग, पूरे उद्योग के लिए प्रेरणा है

  • Image placeholder

    Kishan Kishan

    जून 17, 2025 AT 17:41

    वाह! 2600 घंटे का गाउन? यह तो ऐसा लग रहा है जैसे कोई टाइम ट्रैवलर ने फैशन को फिर से लिख दिया हो; सच में, इस पर सिल्क, सीक्विन और कांच के बीड्स का मिश्रण इतना जटिल है कि इसे देखते ही लोग "क्या?" शब्द दोहराते हैं; लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इस तरह की टेबलटॉप कारीगरी का वास्तविक लागत क्या है?; अक्सर, मीडिया इतनी चमक-धमक में लिप्त हो जाती है कि वह असली कारीगरों के श्रम को नजरअंदाज कर देती है; यह सच्चाई है कि चाहे कितना भी इधर-उधर लिखा जाए, अंत में वही कारीगरों की मेहनत ही इस गाउन को जीवंत बनाती है

  • Image placeholder

    richa dhawan

    जून 24, 2025 AT 16:21

    मैं मानती हूँ कि इस गाउन की कहानी में कुछ छुपे हुए राज़ हैं, शायद विदेशियों ने भारतीय कारीगरों को अपना लाभ बनाने के लिए चुना है

  • Image placeholder

    Balaji S

    जुलाई 1, 2025 AT 15:01

    Cannes जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय परिधान का प्रतिनिधित्व एक गर्व का क्षण है।
    राहुल मिश्रा का यह गाउन सिर्फ एक कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संवाद का साधन है।
    2600 घंटे की बुनाई समय में धैर्य, निपुणता और अनूठी डिजाइन दर्शन का मिश्रण दर्शाता है।
    इस गाउन में प्रयुक्त सिल्क थ्रेड की सूक्ष्मता और सीक्विन की चमक दोनों ही परिधान की कला को नई ऊँचाइयों पर ले जाती है।
    भारतीय कारीगरों की पारंपरिक बुनाई तकनीकों को आधुनिक फैशन के साथ समन्वयित करना एक अद्भुत नवाचार है।
    ऐसे कार्य में कारीगरों को अक्सर सही मान्यता नहीं मिलती, परन्तु यह प्रस्तुति उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिला रही है।
    गाउन की ओम्ब्रे ग्रेडिएंट, काले से सफेद तक, ब्रह्मांडीय ऊर्जा की प्रतिमूर्ति के रूप में व्याख्यायित की जा सकती है।
    यह रंग परिवर्तन न केवल दृश्य प्रभाव देता है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी दर्शकों को आकर्षित करता है।
    डिज़ाइन में हिप्स पर फ़्लोइंग एंबेलिशमेंट्स, प्राचीन देवी मूरतों की याद दिलाते हैं, जिससे परिधान में पौराणिक तत्व जुड़ते हैं।
    हर बीड, चाहे वह कांच का हो या सीक्विन, एक कहानी कहता है, जो भारतीय शिल्प की विविधता को प्रतिबिंबित करता है।
    अदिति का न्यूनतम मेकअप और सॉफ्ट बैंग्स इस कला को और अधिक प्रमुख बनाते हैं, क्योंकि ध्यान पूरी तरह गाउन पर ही रहता है।
    इसी कारण से, फैशन आलोचक इसे "मोविंग आर्ट पिस" कहने से नहीं कतरे।
    फ्रांस के रेड कार्पेट पर इस तरह की प्रस्तुति न केवल भारतीय फैशन को उभारती है, बल्कि वैश्विक फैशन में विविधता की आवश्यकता को भी उजागर करती है।
    भविष्य में, यदि हम अधिक ऐसे सहयोग देखेंगे, तो भारतीय कारीगरों की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार अपेक्षित है।
    अंततः, यह गाउन एक प्रेरणा है कि परम्परा और आधुनिकता साथ-साथ चल सकते हैं।
    साथ ही यह हमें याद दिलाता है कि कला और शिल्प का हर पहलू, चाहे वह चमकदार हो या सूक्ष्म, समान रूप से महत्व रखता है।

  • Image placeholder

    Alia Singh

    जुलाई 8, 2025 AT 13:41

    अदिति राव हैदरी द्वारा प्रस्तुत यह गाउन, भारतीय शिल्प परम्परा एवं अंतर्राष्ट्रीय फैशन के संगम का उत्कृष्ट उदाहरण है; इस परिधान में प्रयुक्त सिल्क, सीक्विन व कांच के बीड्स की जटिलता, व उसकी 2600 घंटे की बुनाई प्रक्रिया, दोनों ही तकनीकी दक्षता एवं कलात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाती है; इस प्रकार की कृतियों को विश्व मंच पर देखना, हमारे सांस्कृतिक धरोहर की समृद्धि को प्रमाणित करता है;

  • Image placeholder

    Purnima Nath

    जुलाई 15, 2025 AT 12:21

    अदिति ने तो सच्ची इंडियन पावर दिखा दी!

  • Image placeholder

    Rahuk Kumar

    जुलाई 22, 2025 AT 11:01

    Balaji का यह विस्तृत तर्क, यद्यपि शब्दों का कलात्मक उपयोग करता है, परन्तु वह केवल दार्शनिक सतह पर ही टकराता है; वास्तविक मूल्यांकन के लिये हमें सामग्री की स्थिरता एवं आर्थिक प्रभाव पर अधिक कठोर विश्लेषण की आवश्यकता है

  • Image placeholder

    Deepak Kumar

    जुलाई 29, 2025 AT 09:41

    राहुल, आपका दृष्टिकोण दिलचस्प है, पर गाउन की कारीगरी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

  • Image placeholder

    Chaitanya Sharma

    अगस्त 5, 2025 AT 08:21

    किशन जी, आपके व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कुछ सच्चाई निहित है; तथापि, यह ज़रूरी है कि हम निर्माताओं के श्रम एवं लागत को संतुलित दृष्टिकोण से देखें, जिससे राय अधिक संतुलित बनी रहे

एक टिप्पणी लिखें