भारत सेवाश्रम के कार्तिक महाराज ने 'कुछ संत भाजपा का समर्थन कर रहे हैं' टिप्पणी पर सीएम ममता बनर्जी को कानूनी नोटिस भेजा

भारत सेवाश्रम के कार्तिक महाराज ने 'कुछ संत भाजपा का समर्थन कर रहे हैं' टिप्पणी पर सीएम ममता बनर्जी को कानूनी नोटिस भेजा मई, 21 2024

भारत सेवाश्रम संघ के एक प्रमुख संत कार्तिक महाराज ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक कानूनी नोटिस भेजा है। यह नोटिस उनकी हाल की टिप्पणी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'कुछ संत' भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन कर रहे हैं और नई दिल्ली के निर्देशों पर काम कर रहे हैं।

कार्तिक महाराज ने अपने नोटिस में मुख्यमंत्री से 48 घंटे के भीतर बिना शर्त माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की टिप्पणियां 'मानहानिकारक' हैं और उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है जिसका मुख्यमंत्री ने हवाला दिया है।

यह कानूनी नोटिस ममता बनर्जी के उस आरोप के बाद आया है, जो उन्होंने एक चुनावी रैली में लगाया था। उन्होंने कहा था कि रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम जैसे संगठनों के संत लोगों से भाजपा को वोट देने के लिए कह रहे हैं। हालांकि, कार्तिक महाराज ने इन आरोपों का खंडन किया है।

कार्तिक महाराज का कहना है कि ममता बनर्जी के आरोप निराधार और झूठे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं। उन्होंने कहा, "मैं किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं हूं और न ही मैंने कभी किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन किया है।"

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कार्तिक महाराज को धन्यवाद दिया है कि उन्होंने ममता बनर्जी के सनातन धर्म पर हमलों के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया है। सुवेंदु ने कहा, "मैं कार्तिक महाराज को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी द्वारा हिंदू धर्म और संतों पर किए जा रहे हमलों के खिलाफ आवाज उठाई है।"

कानूनी नोटिस के अनुसार, अगर ममता बनर्जी चार दिनों के भीतर जवाब देने में विफल रहती हैं, तो कार्तिक महाराज उनके खिलाफ आपराधिक मामले शुरू करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं। कार्तिक महाराज ने कहा, "अगर मुख्यमंत्री निर्धारित समय सीमा में माफी नहीं मांगती हैं या अपनी टिप्पणी वापस नहीं लेती हैं, तो मैं उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होऊंगा।"

ममता बनर्जी द्वारा संतों और हिंदू धर्म पर की गई टिप्पणियों को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा ने इन टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है और इसे हिंदू विरोधी करार दिया है। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर धर्म का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ममता बनर्जी की टिप्पणियां उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं और हिंदू मतदाताओं को नाराज कर सकती हैं। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में धर्म और जाति के मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

कार्तिक महाराज द्वारा भेजा गया कानूनी नोटिस इस बात का संकेत है कि संत समुदाय अब राजनीतिक दलों द्वारा उनके धर्म और आस्था पर की जाने वाली टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह घटना धर्म और राजनीति के बीच बढ़ते टकराव को भी दर्शाती है।

देखना होगा कि ममता बनर्जी इस कानूनी नोटिस पर कैसे प्रतिक्रिया देती हैं और क्या वह अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगती हैं। यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है और पश्चिम बंगाल की राजनीति पर अपना असर डाल सकता है।

20 टिप्पणि

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    Deepak Kumar

    मई 21, 2024 AT 00:00

    संतों को राजनीति में घसीटना सही नहीं, बैर बहुत बढ़ रहा है।

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    Chaitanya Sharma

    मई 27, 2024 AT 11:34

    उल्लेखित नोटिस एक कानूनी प्रक्रिया है; यह दर्शाता है कि सार्वजनिक व्यक्तित्वों को उनके शब्दों के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

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    Suresh Chandra Sharma

    जून 2, 2024 AT 23:07

    यार ये सिचुएशन बहुत बकवास है, ममता जी को थोड़ा समझना चाहिए।

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    sakshi singh

    जून 9, 2024 AT 10:40

    कार्तिक महाराज का नोटिस राजनीति और धर्म के बीच की धुंधली रेखा को साफ करता है।
    वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि किसी भी राजनीतिक पार्टी से उनका कोई संबंध नहीं है।
    यह बात इस बात को रेखांकित करती है कि संतों को सरकारी आदेशों के तहत काम करना नहीं चाहिए।
    ममता बनर्जी की टिप्पणी ने कई लोगों को गुस्सा दिला दिया है।
    परंतु कानूनी नोटिस के माध्यम से वह जवाब देना एक लोकतांत्रिक अधिकार है।
    संतों को अधिकार है कि वे अपने मान्यताओं की रक्षा करें।
    यह मामला दर्शाता है कि धर्म के नाम पर राजनीति का प्रयोग कितना खतरनाक हो सकता है।
    अगर मुख्यमंत्री ऐसा व्यवहार जारी रखेंगी तो सामाजिक तनाव बढ़ेगा।
    विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे को उठाया है, जो यह दर्शाता है कि यह विषय व्यापक है।
    राजनीतिक दलों को इस प्रकार की विवादास्पद टिप्पणियों से बचना चाहिए।
    धर्म और राजनीति का मिश्रण अक्सर चुनावी परिणामों को प्रभावित करता है।
    पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों को देखते हुए यह एक जोखिम भरा कदम हो सकता है।
    हम सभी को चाहिए कि हम इस बात को समझें कि कोई भी धर्म सामुदायिक एकता को तोड़ नहीं सकता।
    संतों की आवाज़ को सुनना और उनका सम्मान करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है।
    आगे चलकर इस मुद्दे का समाधान संवाद और समझौते के जरिए होना चाहिए।

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    Hitesh Soni

    जून 15, 2024 AT 22:14

    प्रकाशित नोटिस का उद्देश्य स्पष्ट है; वह कानूनी प्रावधानों के तहत उत्तरदायित्व स्थापित करना चाहती है।

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    rajeev singh

    जून 22, 2024 AT 09:47

    राजनीतिक टिप्पणी और धार्मिक मान्यताओं के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

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    ANIKET PADVAL

    जून 28, 2024 AT 21:20

    ऐसे समय में जहाँ राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिल रही है, हमें इस प्रकार के बेतुके आरोपों को दृढ़ता से नकारना चाहिए।

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    Shivangi Mishra

    जुलाई 5, 2024 AT 08:54

    बनर्जी को तुरंत माफी देनी चाहिए, नहीं तो मामला और बिगड़ेगा।

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    ahmad Suhari hari

    जुलाई 11, 2024 AT 20:27

    धर्म और पॉलिटिकल मैनेजमेंट एक दूसरे को नीत नहीं हो सकते।

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    shobhit lal

    जुलाई 18, 2024 AT 08:00

    सच कहूं तो ये सब तो बड़ाए का मजाक है, लोग हाई फेक देख रहे हैं।

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    suji kumar

    जुलाई 24, 2024 AT 19:34

    वित्तीय और कानूनी पहलुओं को देखते हुए यह नोटिस एक गंभीर कदम है; उसके पीछे की प्रेरणा को समझना आवश्यक होगा।

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    Ajeet Kaur Chadha

    जुलाई 31, 2024 AT 07:07

    वाओ, हमेशा की तरह राजनीति ने धर्म को बिखेरे है, मज़ा आ गया!

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    Rahul kumar

    अगस्त 6, 2024 AT 18:40

    क्या बात है, जिंदा सवालों का जवाब नहीं, बस नोटिस भेजते रहो!

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    indra adhi teknik

    अगस्त 13, 2024 AT 06:14

    ध्यान रखो कि ऐसे नोटिस हमेशा असरदार नहीं होते

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    Kishan Kishan

    अगस्त 19, 2024 AT 17:47

    जैसे ही नोटिस भेजा गया, तुरंत कोर्ट में दफ़ा होगा, मज़ा आता है।

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    richa dhawan

    अगस्त 26, 2024 AT 05:20

    शायद ये सब किसी बड़ी योजना का हिस्सा है।

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    Balaji S

    सितंबर 1, 2024 AT 16:54

    धर्म-राजनीति इंटरसेक्शन में फॉल्ट ट्री एनालिसिस दिखाता है कि कई कारक सामंजस्य को बाधित कर रहे हैं; यह विश्लेषण नीति निर्माताओं के लिए दिशा-निर्देश प्रदान कर सकता है।

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    Alia Singh

    सितंबर 8, 2024 AT 04:27

    यह नोटिस आवश्यक है; इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए; अन्यथा न्यायिक प्रक्रियाओं को बाधा पहुँच सकती है।

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    Purnima Nath

    सितंबर 14, 2024 AT 16:00

    चलो, आशा है कि सब मिलजुल कर समाधान निकालेंगे!

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    Rahuk Kumar

    सितंबर 20, 2024 AT 00:00

    कानूनी प्रक्रिया ठीक है।

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