भारत बनाम कुवैत फीफा वर्ल्ड कप क्वालीफायर हाइलाइट्स: सुनील छेत्री ने अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहा, भारत ने कुवैत से 0-0 से ड्रॉ खेला
जून, 7 2024भारत बनाम कुवैत: एक ऐतिहासिक मैच
गुरुवार, 6 जून 2024 को कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में खेले गए फीफा वर्ल्ड कप 2026 क्वालीफायर मैच में भारत और कुवैत की टीमें 0-0 के स्कोर पर ड्रॉ खेली। यह मैच भारतीय फुटबॉल के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इस मैच के साथ ही भारतीय फुटबॉल के महान खिलाड़ी सुनील छेत्री ने अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कह दिया।
सुनील छेत्री: एक युग का अंत
सुनील छेत्री, जो अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल में चौथे सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं, ने इस मैच के बाद संन्यास लेने का फैसला किया। छेत्री ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत 2005 में की थी और तब से लेकर अब तक वह भारतीय फुटबॉल के सबसे प्रमुख चेहरे रहे हैं। उनकी विदाई के अवसर पर पूरा स्टेडियम 'छेत्री, छेत्री' के नारों से गूंज उठा। यह एक भावुक क्षण था जब उन्होंने अपने प्रशंसकों को विदाई दी।
मैच का प्रारंभ और दूसरे हाफ की स्थिति
मैच का प्रारंभ दोनों टीमों की ओर से तेज खेल के साथ हुआ। पहले हाफ में दोनों टीमें गोल करने के कई मौकों के करीब पहुंची, लेकिन सफल नहीं हो पाईं। जैसा कि दूसरे हाफ की शुरुआत हुई, खेल और अधिक आक्रामक हो गया। दोनों टीमों ने एक दूसरे के गोलपोस्ट पर कई हमलों की कोशिश की, लेकिन किसी भी टीम को गोल में सफलता नहीं मिली।
कुवैत की चुनौतियाँ और भारतीय टीम की मजबूत रक्षा
कुवैत की टीम ने भारतीय गोलपोस्ट पर कई बार हमले किए, लेकिन भारतीय डिफेंस की मजबूती के सामने उनकी एक भी कोशिश सफल नहीं हो पाई। भारतीय गोलकीपर ने भी शानदार प्रदर्शन किया और कई महत्वपूर्ण सेव किए। दूसरी ओर, भारतीय टीम की ओर से भी कई हमले किए गए, लेकिन कुवैत की डिफेंस ने भी मजबूती दिखाई।
अगले मैच की चुनौती
अब भारतीय टीम को अपने अगला मैच कतर के खिलाफ खेलना है, जिसमें उन्हें जीत हासिल करनी होगी ताकि वे वर्ल्ड कप के अगले दौर में प्रवेश कर सकें। यह मैच भी भारतीय टीम के लिए उतना ही महत्वपूर्ण होगा जितना की छेत्री की विदाई का यह मैच था।
छेत्री के बिना भारतीय फुटबॉल का भविष्य
इस मैच के बाद भारतीय फुटबॉल को छेत्री के बिना नए नेतृत्व और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना होगा। छेत्री ने अपनी प्रेरक नेतृत्व क्षमता और असाधारण प्रदर्शन से भारतीय फुटबॉल में जो योगदान दिया है, उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब नई पीढ़ी के खिलाड़ियों पर होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय फुटबॉल टीम कैसे इस नई चुनौती का सामना करती है और छेत्री के स्थापित मानकों को कैसे बनाए रखती है।