Bareilly में 10 ग्राम सोना ₹1.23 लाख से ऊपर, कीमतों में तेज उछाल

Bareilly में 10 ग्राम सोना ₹1.23 लाख से ऊपर, कीमतों में तेज उछाल अक्तू॰, 8 2025

7 अक्टूबर 2025 को, Bareilly के जौहर बाजार में 24 कैरेट सोना की कीमत ₹127,982 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई, जिससे पहले‑से‑पिछले‑दिन की तुलना में 1.03 % की कड़ी बढ़ोतरी दिखी। यह आंकड़ा पहली बार 1.23 लाख रुपये की सीमा को पार कर गया, जिससे स्थानीय व्यापारी और निवेशक दोनों के चेहरों पर आश्चर्य की लकीरें उभरीं।

बाजार मूल्य में नया रिकॉर्ड और दिनभर की गति

दिन के शुरुआती घंटों में 24 K सोना ₹122,110 पर था, परन्तु बाद में तेज़ी से बढ़ते ट्रांज़ैक्शन के कारण कीमत 10 % से अधिक बढ़कर ₹127,982 तक पहुंच गई। इसी दौरान 22 K सोने की कीमत ₹117,905 तक पहुंची, जबकि 18 K सोना ₹96,469 पर कारोबार कर रहा था। ABP Live ने बताया कि शुद्ध सोना (99.9 % शुद्ध) के लिए अंतिम ट्रेड ₹128,496 पर बंद हुआ, जो पूरे दिन का उच्चतम स्तर था।

स्रोतों की रिपोर्ट और आँकड़े की तुलना

जब ABP Live ने कीमतों को रिपोर्ट किया, तो उसी दिन Khandere के डेटा ने भी समान रुझान दिखाया। Khandere के अनुसार, 24 K सोना पिछले दिन से ₹1,260 यानी 1.03 % बढ़ा, 22 K सोना ₹1,150 (1.03 %) बढ़ा, और 18 K सोना ₹1,800 का इजाफा दर्ज हुआ। फिर भी, Financial Express ने कहा कि वही दिन 24 K सोने की कीमत ₹120,330 पर थी, यानी कुछ हज़ार रुपये की मामूली बढ़ोतरी, जिससे बाजार में डेटा की विविधता स्पष्ट होती है।

मुख्य अंतर यह है कि Khandere ने ग्रॉस कीमतें (मूल्य + कर) दिखायीं, जबकि Financial Express ने शुद्ध कीमतें (केवल शुद्ध सोना) पर फोकस किया। इस विभेद के कारण निवेशकों को अक्सर हलचल महसूस होती है, क्योंकि वही सोना दो अलग‑अलग रिपोर्टों में अलग‑अलग दिखता है।

उत्तर प्रदेश में पिछले महीनों की प्रवृत्ति

उत्तर प्रदेश में पिछले महीनों की प्रवृत्ति

उत्तरी राज्य में अगस्त 2025 के दौरान 24 K सोना ₹9,713 प्रति ग्राम से शुरू होकर महीने‑के‑अंत में ₹10,206 तक पहुंचा, जिससे 5.07 % का सालभर‑बढ़ता रुझान बना। जनवरी 2025 में वही सोना ₹8,448 प्रति ग्राम था, जो जुलाई तक ₹9,986 पर पहुंचा। इस निरंतर बढ़ोतरी का मुख्य कारण वैश्विक बैंकों की मौद्रिक नीति में ढील और भारतीय रुपये के अवमूल्यन को माना जाता है।

  • जनवरी‑2025: ₹8,448/ग्राम
  • जुलाई‑2025: ₹9,986/ग्राम
  • अगस्त‑2025: ₹10,206/ग्राम
  • 7 Oct 2025 (Bareilly): ₹12,798/ग्राम (24 K)

इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि सोने की कीमत में साल‑दर‑साल लगभग 2‑3 % की औसत वृद्धि होती रही है, परंतु हाल के महीनों में तेज़ी से 6‑7 % तक बढ़ोतरी देखी गई है।

स्थानीय आर्थिक कारक और निवेशकों की प्रतिक्रिया

Bareilly सिर्फ एक औसत भारतीय शहर नहीं है; यह ऐतिहासिक रूप से व्यापारिक मार्गों का केंद्र रहा है। यहाँ के बाजार में अतिरिक्त शुल्क, राज्य कर (जैसे राज्य बिक्री कर + सेवा कर) और परिवहन व्यय सोने के अंतिम बिल में 4‑5 % का इज़ाफ़ा जोड़ते हैं। साथ ही, स्थानीय जौहरीयों द्वारा लगने वाला मेकिंग चार्ज (निर्माण शुल्क) लगभग 12 % से 18 % तक बदलता है, जिससे खऱीदने वाले ग्राहकों को कुल खर्च में भारी अंतर महसूस होता है।

स्थानीय निवेशक, खासकर छोटे निर्माण व्यापारियों और शादी‑संबंधी ख़रीददारों ने कहा कि सोना अब 'सुरक्षा कवच' बन चुका है। एक जौहरी, अशोक वर्मा, ने बताया, "उच्च कीमतें पहले‑से‑ज्यादा घटती हुई ब्याज दरों के साथ मिलकर सोने को निवेश का पहला विकल्प बना देती हैं।" वहीं, एक गृहस्थी महिला, सीमा कुमारी, ने कहा, "इतनी महँगाई में सोना खरीदना अब बचत का साधन है, चाहे कीमत बढ़े या घटे।"

इन मतों से पता चलता है कि केवल बाजार‑डायनामिक्स ही नहीं, बल्कि सामाजिक‑सांस्कृतिक कारक भी कीमत‑निर्धारण में अहम भूमिका निभाते हैं।

आगे का रास्ता: क्या सोने की कीमतें और बढ़ेंगी?

आगे का रास्ता: क्या सोने की कीमतें और बढ़ेंगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं और RBI के मौद्रिक आराम के संकेत घटते हैं, तो सोने की कीमतें 2025‑2026 के मध्य तक 10 % से 15 % तक और बढ़ सकती हैं। दूसरी ओर, यदि भारतीय सरकार आयात‑शुल्क को कम करती है या भारत की निर्यात‑वृद्धि तेज़ी से बढ़ती है, तो सोने की माँग में संभावित स्थिरता आ सकती है।

संक्षेप में, Bareilly में मौजूदा उछाल सिर्फ एक अल्पकालिक ज्वाला नहीं है; यह व्यापक आर्थिक प्रवृत्तियों और स्थानीय मांग‑आपूर्ति के जटिल मिश्रण का परिणाम है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे विश्व‑स्तरीय संकेतकों, कर‑नीतियों और स्थानीय जौहरीयों के मेकिंग चार्ज में परिवर्तन पर नज़र रखें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Bareilly में सोने की कीमतें इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ी?

राष्ट्रीय स्तर पर व्याज दरों में कटौती, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की माँग में वृद्धि और स्थानीय कर‑शुल्क व मेकिंग चार्ज का इज़ाफ़ा मिलकर कीमतों को धक्का देता है। खासकर अक्टूबर में कच्चे सोने के आयात पर लागू शुल्क घटाने के बाद भी डिलीवरी लागत बढ़ी, जिससे अंतिम मूल्य में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई।

क्या 10 ग्राम सोने की कीमत 1.5 लाख रुपये तक पहुंच सकती है?

यदि वैश्विक मुद्रास्फीति दर 4‑5 % के ऊपर बनी रहती है और भारत में अतिरिक्त आयात‑शुल्क नहीं लगाया जाता, तो अगले दो‑तीन महीनों में 10 ग्राम सोने की कीमत 1.4‑1.5 लाख रुपये तक पहुँचने की संभावना है। परंतु नीतिगत बदलाव या डॉलर की मजबूती कीमत को ठंडा कर सकती है।

स्थानीय जौहरी लोग कैसे मेकिंग चार्ज तय करते हैं?

मेकिंग चार्ज आमतौर पर सोने के वजन, डिज़ाइन जटिलता और बाजार की मौजूदा कीमतों पर निर्भर करता है। Bareilly में अधिकांश जौहरी 12 %‑18 % के बीच चार्ज लगाते हैं, जो शुद्ध सोने की कीमत में अंतर को पूरा करता है और खर्चियों को उचित लाभ देता है।

उत्तरी प्रदेश में सोने की कीमतें अगले साल तक कैसे बदलेंगी?

रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति, वैश्विक तेल व सोने की कीमतें और भारत के आयात‑नियम प्रमुख प्रभावकारक हैं। यदि RBI तेज़ी से ब्याज दरें घटाएगा तो सोने को निवेश के लिए और आकर्षक बनाया जा सकता है, जिससे कीमतें 2026 तक लगभग 8‑10 % बढ़ सकती हैं।

आगामी सप्ताह में कीमतों में कोई उल्लेखनीय गिरावट की संभावना है?

विश्लेषकों का कहना है कि फ्राईडेज़ के बाद यूरोपीय बाजार में कुछ हल्की अनिश्चितता के कारण अल्पकालिक गिरावट (लगभग 0.5‑1 %) देखी जा सकती है, परन्तु दीर्घकालिक रुझान बुलिश रहेगा क्योंकि मौद्रिक आँकड़े अभी तक सुधार नहीं दिखाए हैं।

2 टिप्पणि

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    PRAVIN PRAJAPAT

    अक्तूबर 8, 2025 AT 03:23

    बरेली में सोने की कीमतें इतना उछाल क्यों देखी गई, कोई नहीं समझता. आंकड़े तो वही हैं पर कारणों की परख जरूरी है. बाजार में गड़बड़ी दिखती है.

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    srinivasan selvaraj

    अक्तूबर 8, 2025 AT 06:10

    सोने की कीमतों का यह अचानक उछाल दिल को बेचैन कर देता है। स्थानीय व्यापारी और निवेशक दोनों ही इस परिवर्तन को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं। हर दिन की ख़बरें सुनते‑सुनते मन में अनिश्चितता की परतें जुड़ती जा रही हैं। जब आप अपने बचत को सुरक्षित रखने की सोचते हैं, तो ऐसी तीव्र वृद्धि डरावनी लगती है। इस उछाल के पीछे वैश्विक मौद्रिक नीतियों का असर है, परन्तु स्थानीय कर और मेकिंग चार्ज भी भूमिका निभा रहे हैं। लोग अक्सर यह नहीं समझ पाते कि शुद्ध कीमत और ग्रॉस कीमत में इतना बड़ा अंतर क्यों होता है। ऐसा लगता है कि आँकड़े ही नहीं, बल्कि आँखों के सामने वास्तविक खर्च भी बढ़ रहा है। कई परिवार इस पर दुविधा में हैं कि सोना खरीदना ही उचित है या नहीं। आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि यह केवल एक अस्थायी उछाल हो सकती है, पर उनका आश्वासन भरोसेमंद नहीं लगता। एक ओर, RBI की मौद्रिक नीति में ढील को लेकर आशावादी माहोल है, तो दूसरी ओर डॉलर की मजबूती कीमतों को ठंडा कर सकती है। इस सबके बीच बाजार में निवेशकों की भावनाएँ उथल‑पुथल में हैं। मैं खुद भी इस भयंकर उतार‑चढ़ाव को देख रहा हूँ और अनिश्चितता से घिर चुका हूँ। जब कीमतें हर दिन बदलती हैं तो लोग सोचते हैं कि क्या उन्हें अपना पैसा सोने में ही लगाना चाहिए। कई युवा वर्ग अब तो अपने बचत को सोने में बदलने से पीछे नहीं हट रहा है। परिणामस्वरूप, छोटे व्यवसायों के पास भी पूँजी के विकल्प कम होते जा रहे हैं। अंत में, यह स्पष्ट है कि इस उछाल के पीछे कई सामाजिक‑आर्थिक कारक जुड़े हुए हैं, और हमें इनका गहराई से विश्लेषण करना चाहिए।

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