Australian Open 2015: सेरेना–वीनस की दहाड़, कमबैक से क्वार्टर फाइनल में जगह

कमबैक की मास्टरक्लास: विलियम्स बहनें फिर केंद्र में
Australian Open 2015 के बीचोंबीच जिस चीज़ ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी, वह था विलियम्स बहनों का पुराने तेवर में लौटना। एक-एक सेट गंवाने के बावजूद सेरेना और वीनस—दोनों—ऐसे पलटे कि विरोधी संभल नहीं पाईं। सेरेना ने यूक्रेन की उभरती खिलाड़ी एलीना स्वितोलिना को 4-6, 6-2, 6-0 से हराया। वीनस ने इटली की कैमिला जॉर्जी के खिलाफ 4-6, 7-6, 6-1 से जीत निकाली। दोनों मैचों ने एक ही बात साफ की—बड़े मंच पर अनुभव और हिम्मत साथ हों, तो स्कोरलाइन कितनी जल्दी बदल सकती है।
सेरेना का मैच शुरुआत में उलझा हुआ दिखा। स्वितोलिना ने पहले सेट में तेज शुरुआत की, रैलियों की गति बढ़ाई और सेरेना की गलतियों से फायदा उठाया। लेकिन दूसरे सेट से तस्वीर पलट गई। सेरेना का फर्स्ट सर्व सटीक बैठा, रिटर्न गहरे पड़े और फोरहैंड ने लाइनों को चीरना शुरू किया। जब उनका लय मिलता है तो पॉइंट छोटे हो जाते हैं, और वही हुआ—6-2, 6-0 की रफ्तार बताती है कि उन्होंने नियंत्रण पूरी तरह अपने हाथ में ले लिया। तीसरे सेट में तो स्वितोलिना को सांस लेने का मौका नहीं मिला, और सेरेना ने बिना घबराए मैच को एकतरफा मोड़ दिया।
वीनस का मुकाबला अलग तरह का था। जॉर्जी फ्लैट, तेज शॉट मारने के लिए जानी जाती हैं। पहले सेट में इटालियन खिलाड़ी ने नेट पर आकर और शुरुआती स्ट्राइक से बढ़त बनाई। वीनस ने धैर्य नहीं छोड़ा। दूसरे सेट में सर्विस गेम्स को बचाते हुए उन्होंने टाईब्रेकर तक मैच खींचा और वहां अनुभव बोला। तीसरे सेट में वीनस की एथलेटिसिज़्म और कोर्ट कवरेज सामने आया—रैली लंबी हुई तो ज्यादातर पॉइंट उनके खाते में गए, और स्कोर 6-1 ने अंतर दिखा दिया।
दोनों जीतें सिर्फ स्कोर नहीं थीं, एक संदेश थीं। 30 की उम्र पार कर चुके खिलाड़ी अक्सर फिजिकल और मानसिक दोनों तरह की चुनौती झेलते हैं। सेरेना 33 और वीनस 34 के आसपास थीं, फिर भी उनकी बॉडी लैंग्वेज में थकान नहीं, फोकस दिखा। कोर्टसाइड से देखने वालों ने महसूस किया कि जैसे-जैसे मैच बढ़ा, बहनों की रीडिंग और शॉट सेलेक्शन बेहतर होते गए। यह वही क्लास है जिसने उन्हें सालों से महिला टेनिस की दिशा तय करने वाला बनाया है।
टूर्नामेंट संदर्भ में भी असर बड़ा था। दोनों के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने से ड्रॉ रोमांचक हो गया। एक तरफ सेरेना शीर्ष वरीय खिलाड़ी थीं और अपने नंबर-1 स्टेटस के साथ आगे बढ़ रही थीं; दूसरी तरफ वीनस ने पिछले कुछ वर्षों की स्वास्थ्य चुनौतियों के बाद बड़ी स्टेज पर ठोस वापसी का संकेत दिया। दर्शकों के लिए सबसे बड़ा सवाल था—क्या बहनें आपस में भिड़ेंगी? उस संभावना ने मेलबर्न पार्क का शोर बढ़ा दिया।

ड्रॉ की कहानी, आगे क्या हुआ और टेनिस पर असर
क्वार्टर फाइनल में रास्ते अलग हुए। सेरेना ने अपने अगले मैचों में वही वर्चस्व दिखाया जिसकी उनसे उम्मीद रहती है। सेमीफाइनल में अमेरिकी प्रतिभा मैडिसन कीज़ का अच्छा मुकाबला देखने को मिला, लेकिन सेरेना ने बड़े पॉइंट्स अपने नाम किए और फाइनल में पहुंच गईं। दूसरी ओर वीनस की भिड़ंत भी कीज़ से हुई और वहां कड़ा तीन सेट का मैच चला, जहां वीनस थोड़े अंतर से पिछड़ गईं। यानी बहनों की वह बहुचर्चित टक्कर बस एक कदम दूर रह गई।
फाइनल में कहानी जानी-पहचानी लगी—सेरेना बनाम मारिया शारापोवा। बड़े मैचों में सेरेना का गियर अलग होता है। उन्होंने 6-3, 7-6 की जीत के साथ मेलबर्न में अपना छठा खिताब उठाया और करियर का 19वां ग्रैंड स्लैम अपने नाम किया। यह माइलस्टोन उन्हें ओपन एरा के महान खिलाड़ियों की सूची में और ऊपर ले गया और रिकॉर्ड बुक्स में उनके आगे बढ़ने का संकेत बन गया।
तकनीकी नजर से देखें तो सेरेना के कमबैक की कुंजी वही थी जो वर्षों से रही है—सर्व और रिटर्न। जब उनका पहला सर्विस भीतर गिरता है, तो रीटर्नर पर दबाव बढ़ता है; दूसरे ही शॉट पर वे पहल कर लेती हैं। स्वितोलिना के खिलाफ दूसरे और तीसरे सेट में उन्होंने शुरुआत से आक्रामक रिटर्न चुना, जिससे यूक्रेनी खिलाड़ी को बेसलाइन से हटकर डिफेंस अपनाना पड़ा। एरर-प्रबंधन भी अहम रहा—पहले सेट की अनफोर्स्ड गलतियों में घटत आई और विनर्स-टू-एरर रेशियो उनके पक्ष में गया।
वीनस की ताकतें अलग हैं। उनका लम्बा स्ट्राइड, नेट पर टाइमिंग और क्रॉस-कोर्ट बैकहैंड—तीनों ने जॉर्जी की रफ्तार को धीमा किया। टाईब्रेकर में उन्होंने रिस्क और सेफ्टी के बीच सही संतुलन रखा। तीसरे सेट तक फिटनेस भी फैक्टर बनी, और लंबी रैलियों में वीनस ने ज्यादा अंक बटोरे। यह जीत इसलिए भी अहम थी क्योंकि वीनस पिछले कुछ सीजन्स में लगातार उतार-चढ़ाव से गुजर रही थीं; मेलबर्न की हवा में यह आत्मविश्वास की वापसी थी।
बड़ी तस्वीर में इन कमबैक्स का असर कोर्ट से बाहर तक जाता है। महिला टेनिस का वह समय था जब कई नाम एक साथ दावेदारी कर रहे थे—शारापोवा, सिमोना हालेप, पेत्रा क्वितोवा जैसी टॉप सीड्स सब फ्रेम में थीं। ऐसे में विलियम्स बहनों का दबदबा दर्शकों को पुराना समय याद दिलाता है, जहां बड़ी सर्विस, निरंतर प्रेशर और मानसिक मजबूती मैच की दिशा पलट देते थे।
फैंस के लिए यह टूर्नामेंट खास इसलिए भी रहा क्योंकि एक पीढ़ी परिवर्तन स्पष्ट दिख रहा था। मैडिसन कीज़ जैसे युवा खिलाड़ियों का उभार नजर आया, वहीं सेरेना-वीनस जैसे दिग्गज अभी भी बड़े दिनों में मानक तय कर रहे थे। यह कॉम्बिनेशन खेल को दिलचस्प बनाता है—विरासत और नई ऊर्जा का साथ-साथ चलना।
रिकॉर्ड की बात करें तो सेरेना का मेलबर्न खिताब उन्हें 19वें मेजर तक ले गया, जिसने इतिहास की रेस को और कस दिया। उस समय यह पड़ाव उनके लिए सिर्फ एक और जीत नहीं था, बल्कि यह संकेत था कि वह बड़े मंच पर अभी भी सबसे भरोसेमंद नाम हैं। वीनस के लिए क्वार्टर फाइनल तक का सफर भी कम उपलब्धि नहीं—यह याद दिलाता है कि अनुभव और हिम्मत कभी आउटडेटेड नहीं होते।
अंततः, उन दो कमबैक्स ने टूर्नामेंट का टोन तय किया। दर्शकों ने देखा कि स्कोरलाइन चाहे 0-1 सेट हो, लेकिन अगर आत्मविश्वास बरकरार है, तो मोमेंटम मिनटों में बदल सकता है। मेलबर्न की वही शामें, जब स्टेडियम की लाइट्स के नीचे रैकेट की आवाज तेज सुनाई देती है, विलियम्स बहनों के नाम रहीं—एक बार फिर।