2024 लोक सभा चुनाव: 543 सीटों के विजेताओं की पूरी सूची

चुनाव प्रक्रिया और चरण
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और VVPAT के संयोजन से 2024 के लोक सभा चुनाव 2024 को भारत ने सात चरणों में आयोजित किया। पहला चरण 19 अप्रैल को 102 निर्वाचन क्षेत्रों में हुआ, इसके बाद 26 अप्रैल को 89, 7 मई को 94, 13 मई को 96, 20 मई को 49, 25 मई को 57 और अन्तिम चरण 1 जून को शेष 57 क्षेत्रों में तय हुआ। चुनाव आयोग ने सभी चरणों में सुरक्षा, कण्ट्रोल और रूटीन चेक‑पॉइंट्स को कड़ाई से लागू किया, जिससे मतदान बिना बड़ी रुकावट के समाप्त हो सका।
जैसा कि पिछले चुनावों में देखा गया, मतदाताओं की उत्सुकता को बढ़ाने के लिए विभिन्न राज्य‑स्तर पर सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई। कई रूरल और शहरी क्षेत्रों में मतदान केंद्रों की संख्या दुगनी कर दी गई, ताकि लंबी कतारों से बचा जा सके। इलेक्ट्रॉनिक मतगणना की प्रक्रिया ने परिणामों को तेज़ी से गिनने में मदद की, जिससे वोट की गिनती के बाद कुछ ही घंटों में अधिकांश सीटों के विजेताओं की घोषणा हो सکی।

मुख्य परिणाम और विश्लेषण
वोटों के पश्चात् प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में अलग‑अलग पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। कुल 543 सीटों में सबसे अधिक जीत भाजपा ने की, जबकि कांग्रेस, एसपी, जडपा, तथा एआईटीसी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने भी महत्वपूर्ण जीत दर्ज की। नीचे प्रमुख राज्यों की वोटर टर्नआउट और कुछ उल्लेखनीय जीतों का सारांश दिया गया है:
- उत्कृष्ट टर्नआउट वाले राज्य:
- असम – 81.87% (20,118,166 मतदाता)
- आंध्र प्रदेश – 81.78% (33,858,957 मतदाता)
- अरुणाचल प्रदेश – 81.07% (728,393 मतदाता)
- छत्तीसगढ़ – 72.94% (6,124,587 मतदाता)
- झारखंड – 71.45% (9,830,121 मतदाता)
- न्यूनतम टर्नआउट वाले राज्य:
- बिहार – 56.28% (43,480,859 मतदाता)
- उड़ीसा – 58.32% (2,561,834 मतदाता)
- तमिलनाडु – 59.12% (2,825,447 मतदाता)
कई उम्मीदवारों की वित्तीय स्थिति ने भी ध्यान खींचा। कुछ प्रमुख विजेताओं की सम्पत्ति सूची इस प्रकार है:
- पूणम बेन हेमतभाई मंदा (जमनगर, भाजपा) – ₹147 करोड़ से अधिक
- खालिदुर रहमान (जँगिपुर, एआईटीसी) – लगभग ₹51 करोड़
- बाबू सिंह कुशवाहा (जौनपुर, सपा) – ₹20 करोड़, साथ ही 25 आपराधिक मामलों में शामिल
शिक्षा के स्तर में भी विविधता देखी गई। कई विजेताओं ने स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की, जबकि कुछ ने शुरुआती स्कूल के स्तर की पढ़ाई पूरी की थी। यह दर्शाता है कि भारतीय लोकतंत्र में प्रत्याशी की शैक्षिक पृष्ठभूमि से लेकर संपत्ति तक, सभी वर्गों से लोग प्रतिस्पर्धा में भाग ले रहे हैं।
छोटे या स्वतंत्र दलों ने भी चुनाव में हिस्सा लिया, लेकिन उनके मत प्रतिशत काफी कम रहे। जाई हिंद पार्टी, नादालुम मक्कल कच्ची, स्वतंत्रता अभिव्यक्ति पार्टी जैसी छोटी पार्टियों ने कुछ ही सीटों में ही दो-तीन प्रतिशत वोट हासिल किया। इस तथ्य ने यह स्पष्ट किया कि बड़े गठबंधन अभी भी भारतीय राजनीति में प्रमुख प्रभाव रखते हैं।
समग्र रूप से यह चुनाव विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अभ्यास बना रहा। 91 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाताओं में से लगभग 75 % ने मतदान किया, जिससे भारत की लोकतांत्रिक परिपक्वता का स्तर स्पष्ट हुआ। परिणामस्वरूप 18वें लोक सभा के सदस्य चुने गए, जो आगे के पाँच साल के भीतर केन्द्र सरकार की नीति‑निर्धारण और राष्ट्रीय दिशा तय करेंगे।